वरुण का ट्वीट वारलिखा- बैंक और रेलवे का निजीकरण 5 लाख कर्मचारियों को बेरोजगार कर देगा, भाजपा की सियासी मुश्किलें बढ़ीं
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने चौथे चरण के चुनाव के पहले दिन अपनी ही सरकार पर तंज कसा है। ट्वीट करके बैंक और रेलवे के निजीकरण की बात पर सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि एक लोक कल्याणकारी सरकार पूंजीवाद को कभी बढ़ावा नहीं दे सकती है। ट्वीट के बाद सियासी हलचल बढ़ गई। गौरतलब है कि पीलीभीत में 23 फरवरी यानी कल चुनाव है। ऐसे में वरुण गांधी का ट्वीट बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। इसके पहले 18 फरवरी को ट्वीट करके ‘विजय माल्या 9000 करोड़, नीरव मोदी 14000 करोड़, ऋषि अग्रवाल 23000 करोड़ लिखकर सरकार पर निशाना साधा था।
भाजपा सरकार को घेरा
नौजवानों, किसानों और गरीबों की बात को लेकर वरुण गांधी ने ट्वीट के जरिए अपनी ही सरकार को घेरा। उन्होंने फिर से बैंक और रेलवे के निजीकरण के संबंध में सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि केवल बैंक और रेलवे का निजीकरण ही 5 लाख कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त यानी बेरोजगार कर देगा। समाप्त होती हर नौकरी के साथ ही समाप्त हो जाती हैं लाखों परिवारों की उम्मीदें। सामाजिक स्तर पर आर्थिक असमानता पैदा कर एक लोक कल्याणकारी सरकार पूंजीवाद को कभी बढ़ावा नहीं दे सकती।
समर्थन में होने लगे री-ट्वीट
वरुण गांधी के इस ट्वीट के बाद उनके समर्थन में कई री-ट्वीट हुए। हजारों लोगों ने लाइक किया। बनारस के इंजीनियर ने लिखा सरकार ने जनता को 5 किलो राशन तक सीमित कर दिया और अपने पूंजीपति मित्रों को मालामाल कर दिया। निजीकरण कर मित्रों को लाभ पहुंचाने और अधिकारी-कर्मचारियों, श्रमिकों के शोषण का रास्ता बनाया जा रहा है। जब लोगों में धर्म का नशा उतरेगा तब वह अपने को लुटा हुआ पाएंगे।
तिलक राज लिखते हैं कि राष्ट्र प्रेमी देश का एकमात्र सांसद केवल बब्बर शेर वरुण गांधी ही है, जो केवल हमेशा नौजवानों की किसानों की व गरीबों की और हर वर्ग की विशेष रूप से चिंता करने व आवाज उठाने वाले हैं। निजीकरण से कई लोगों की नौकरी जाएंगी।
पहले भी ट्वीट के जरिए सरकार पर करते रहे हैं हमला
18 फरवरी को ट्वीट कर लिखा, ‘विजय माल्या 9000 करोड़, नीरव मोदी 14000 करोड़, ऋषि अग्रवाल 23000 करोड़। कर्ज के बोझ तले दबकर देश में रोज लगभग 14 लोग आत्महत्या कर रहे हैं।
कुछ दिन पहले वरुण ने सीएम योगी को संविदा कर्मियों की मांगों को लेकर घेरा था। उन्होंने सीएम को एक पत्र लिखकर कहा था कि आपने संविदा कर्मियों को उनकी मांगों को लेकर आश्वासन दिया था। इसके ढाई महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वरुण 19 दिसंबर को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संविदा कर्मियों के कार्यक्रम में पहुंचे थे। वहां उनके बीच बैठकर उनकी समस्याएं सुनी थीं।
UPTET पेपर लीक मामले में वरुण ने सरकार से पूछा था कि आखिर रसूखदारों पर एक्शन कब होगा? उन्होंने कहा था कि ज्यादातर शिक्षण संस्थानों के मालिक राजनीतिक रसूखदार हैं।
कृषि कानून और किसानों के मुद्दे पर भी वरुण सरकार के लिए कई बार असहज स्थिति उत्पन्न कर चुके हैं। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार को कई बार लेटर लिखा था। इसमें किसानों की मांग को पूरा करने की बात कही थी।
वरुण गांधी ने एक किसान के फसल जलाने पर भी BJP को घेरा था। उन्होंने लिखा था कि यूपी के किसान श्री समोध सिंह पिछले 15 दिनों से अपनी धान की फसल को बेचने के लिए मंडियों में मारे-मारे फिर रहे थे, जब धान बिका नहीं, तो निराश होकर इसमें स्वयं आग लगा दी।
वरुण ने केंद्र सरकार के बैंकों के निजीकरण का भी विरोध किया था। वहीं अमेजन, फ्लिपकार्ट पर भी हमला किया था। उन्होंने कहा था कि किसानों के हित में केवल वह खड़े हुए थे। इसका विरोध करने की बाकी किसी भी सांसद की हिम्मत नहीं हुई थी।
गन्ना मूल्य को लेकर परोक्ष रूप से राजनीतिक दलों पर कटाक्ष करते हुए वरुण ने कहा कि टिकट कटने के डर से पार्टी के नेता ऐसे मुद्दे नहीं उठाते। उन्हें इसका कोई डर नहीं है, क्योंकि उनके परिवार ने निर्दलीय भी चुनाव जीता है।