6 राज्यों के 1634 वर्चुअल वांटेड ….. तीन साल में मप्र के लोगों से 97 करोड़ की ऑनलाइन ठगी, सबसे ज्यादा सायबर फ्रॉड पश्चिम बंगाल के आईपी एड्रेस और नंबरों से
मप्र राज्य सायबर सेल इन दिनों 1634 वर्चुअल वांटेड की पड़ताल कर रही है। ये वो मोबाइल नंबर या आईपी एड्रेस हैं, जिनका इस्तेमाल किसी न किसी सायबर फ्रॉड में हुआ है। इनमें सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल के नंबर या आईपी का इस्तेमाल हुआ है। देश के 6 राज्यों में बैठे जालसाजों ने बीते 3 साल के भीतर प्रदेश के लोगों से करीब 97 करोड़ रुपए ठगे हैं।
ये आंकड़े तब सामने आए, जब एडीजी सायबर योगेश देशमुख ने राज्य सायबर पुलिस को मिली शिकायतों का एनालिसिस करवाया। तकनीकी जांच के बाद एक हजार से ज्यादा ऐसे मोबाइल नंबर और आईपी एड्रेस मिले, जिन्हें किसी सायबर अपराध में इस्तेमाल किया गया है।
इस आधार पर पुलिस ने इन्हें वर्चुअल वांटेड माना है। क्योंकि, संभव है कि इनमें बहुत से ऐसे लोग भी होंगे, जिन्हें सायबर फ्रॉड के बारे में पता ही न हो। उनके दस्तावेजों का गलत तरीके से इस्तेमाल कर जालसाजों ने उनके नाम से मोबाइल नंबर या इंटरनेट सर्विस ले ली हो।
पश्चिम बंगाल में पनप रहा बड़ा मॉड्यूल
मप्र के लोगों से हुए सायबर फ्रॉड में झारखंड, दिल्ली, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और हरियाणा के मोबाइल नंबर्स का इस्तेमाल किया गया है। कुछ समय पहले तक झारखंड, बिहार में जालसाजों के बड़े मॉड्यूल के काम करने के आंकड़े सामने आते थे। नए आंकड़ों से खुलासा हुआ कि मप्र में सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल से जालसाजी की जा रही है। यहां भी सबसे ज्यादा मुर्शिदाबाद जिले से फ्रॉड हो रहे हैं।
तीन साल में सायबर फ्रॉड से जुड़ी 5000 से ज्यादा शिकायतें
बीते तीन साल में राज्य सायबर पुलिस के पास सायबर फ्रॉड से जुड़ी पांच हजार से ज्यादा शिकायतें पहुंची हैं। राज्य सायबर पुलिस केवल एक लाख से ज्यादा के सायबर फ्रॉड की जांच करती है। इससे कम रकम ठगे जाने का मामला संबंधित जिला पुलिस को भेज दिया जाता है। तीन साल के विश्लेषण में सामने आया कि जालसाज अब तक करीब 97 करोड़ रुपए के सायबर फ्रॉड कर चुके हैं। ये वो आंकड़ा है, जिनकी शिकायतें पुलिस तक पहुंची हैं।