सात एकड़ बंजर जमीन पर बनाया ईको फ्रेंडली टूरिज्म सेंटर; आज हर महीने 15 लाख रुपए का टर्नओवर

पिछले कुछ सालों में टूरिज्म का ट्रेंड काफी बढ़ा है। लोग शहर की भीड़-भाड़ से दूर किसी गांव में सुकून भरा पल बिताना पसंद कर रहे हैं। नेचुरल एटमॉस्फियर में रहकर वहां के लोगों से मिलना, उनके कल्चर को समझना और उनके खान-पान को एन्जॉय करने का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है।

मुंबई की रहने वाली गंगा ने शहर से 63 किलोमीटर दूर कर्जत में इसी मॉडल पर आर्ट विलेज के नाम से एक एक्सपीरिएंशियल टूरिज्म सेंटर बनाया है। जहां लोग छुट्टियां बिताने के साथ अर्थ बिल्डिंग, आर्गेनिक फार्मिंग, योग, पेंटिंग और पेपर मेकिंग जैसी कला भी सीख सकते हैं। यहां विदेशों से भी टूरिस्ट आ रहे हैं। इससे होने वाली मासिक कमाई करीब 15 लाख रुपए है और 20 लोगों को रोजगार भी मिला है।

पेशे से कलाकार 42 साल की गंगा कडाकिया मुंबई की रहने वाली हैं। हैं। कर्जत में 7 एकड़ जमीन विरासत में उन्हें उनकी मां ने दी थी। गंगा इस जगह का इस्तेमाल बहुत ही इनोवेटिव तरीके से करना चाहती थीं। जहां एक ही छत के नीचे टूरिज्म, आर्ट और आर्किटेक्चर को बढ़ावा मिल सके। इस तरह 2016 में आर्ट विलेज की शुरुआत हुई।

हरे -भरे जंगल में बदली बंजर जमीन

आर्ट विलेज को एक गांव का रंग देते हुए यहां हजारों पेड़-पौधों के अलावा पशु-पक्षियों को भी पाला गया है।

गंगा स्वभाव से घुमक्कड़ हैं। उन्हें अलग-अलग जगह घूमने और प्रकृति की गोद में समय बिताना काफी पसंद है। देश-दुनिया की कई जगह घूमने के बाद उन्हें लगा कि भारत में बहुत कम ऐसी जगह हैं, जहां प्रकृति का आनंद लेने के साथ ही कुछ कलाओं में भी महारत हासिल की जा सके।

दैनिक भास्कर से बात करते हुआ गंगा कहती हैं, ‘इस जमीन पर कुछ भी बनाना आसान नहीं था। 2016 से पहले यहां बंजर जमीन पर चारों तरफ कचरे का ढेर था। बमुश्किल कुछ महुए के पेड़ ही लगे थे। सबसे पहले हमने एक बड़े एरिया को साफ किया और फिर बहुत सारे फलदार पौधे लगाए। उनकी देखभाल के साथ धीरे-धीरे ऑर्गेनिक फार्मिंग भी शुरू की।’

जिसकी बदौलत आज विलेज के चारों तरफ गूलर, बड़, शीशम और कोकम के हजारों पेड़ हैं। यहां किंगफिशर जैसे हजारों पक्षियों का हमेशा बसेरा है। साथ ही यहां आर्गेनिक सब्जियां, फल, जड़ी-बूटियां, औषधियां और कई तरीके के अनाज भी उगाए जा रहे हैं। यहां आने वाले गेस्ट को ऑर्गेनिक फूड ही सर्व किया जाता है

टूरिस्ट के ठहरने के लिए कच्ची मिट्टी का कैंप

विलेज की दीवारों को ईको फ्रेंडली मटेरियल से बनाया गया है।

गंगा बताती हैं, ‘मैंने आर्ट विलेज का एनवायरमेंट मौसम के हिसाब से तैयार किया है। यहां हर मौसम में एक जैसा टेम्परेचर रहता है। न ज्यादा गर्मी होती है न ही बहुत ज्यादा ठंडा रहती है। इसका आर्किटेक्चर ट्रेडिशनल है, जिसे भुज की हुनरशाला फाउंडेशन की टीम ने बनाया है। कमरों की दीवारें कच्ची ईंट, चूना और मिट्टी से बनी हैं। साथ ही इन दीवारों को घुमावदार बनाया गया है, जिसकी वजह से ये काफी मजबूत हैं। यहां कम से कम कार्बन फुटप्रिंट उत्पन्न हो इस बात का खास ध्यान रखा जाता है।’

गंगा के अनुसार यहां की खिड़कियां और दरवाजे शिपयार्ड में बेकार पड़ी लकड़ी से बनाए गए हैं। विलेज के कमरों, मेडिटेशन हॉल, किचन और कम्यूनिटी हॉल को लकड़ी, मिट्टी की टाइल्स, मैंगलोरियन टाइल्स से बनाया गया है। ये मटेरियल आसानी से रीसाइकल या रीयूज किए जा सकते हैं।

पानी को भी करते हैं रीसाइकल

रीसायकल वाटर का इस्तेमाल करते हुए पूरे विलेज को कुछ ऐसे ही हरा- भरा रखा जाता है।

विलेज में ग्रे वाटर रीसाइकल के लिए एक यूनिट लगाई गई है। जिसमें इस्तेमाल हुआ लगभग 70% पानी को फिर से इस्तेमाल करने के लायक बना दिया जाता है। इस रीसाइकल्ड वॉटर को सिंचाई या अन्य कामों के लिए यूज किया जाता है।

गंगा कहती हैं, ‘इस विलेज कि खास बात ये है कि फ्यूचर में अगर कभी इसे तोड़ा गया, तो यहां जंगल और फैल जाएगा, क्योंकि यहां बने कैंप में कॉन्क्रीट या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यही खासियत हमारे छोटे से विलेज को ईको-फ्रेंडली बनाती है। किसी भी फार्म हाउस में पानी का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है। पर हमारे विलेज में वाटर रीसाइकल कर हम काफी पानी बचा लेते हैं।’

क्या खासियत है आर्ट विलेज की?

अलग-अलग कलाओं का आनंद लेने विलेज में देश-विदेश से आते हैं कई टूरिस्ट।

चूंकि गंगा खुद एक आर्टिस्ट हैं तो उनका सपना था कि वो एक खास जगह बनाएं। जहां आर्टिस्ट का आपस में मिलना-जुलना हो सके। जो आर्ट विलेज के जरिए उन्होंने पूरा किया।

गंगा कहती हैं, ‘इस आर्ट विलेज में नॉर्मल टूरिस्ट के अलावा फोटोग्राफर्स, फिल्म मेकर्स, पेंटर्स, डांसर यहां तक की एक्टर-एक्ट्रेस भी आते हैं। जो लोगों को क्लासेज के जरिए अलग-अलग टॉपिक से रू-ब-रू कराते हैं। आर्टिस्ट भी आपस में अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। यहां ऑर्गेनिक फार्मिंग, अर्थ बिल्डिंग, पेपर मेकिंग, न्यूमेरोलॉजी और योग की मास्टर क्लास देने के लिए इंस्ट्रक्टर भी मौजूद रहते हैं। साथ ही स्कूल स्टूडेंट्स, कॉर्पोरेट और फैमिली के लिए अलग-अलग कोर्सेज भी तैयार किए गए हैं।’

फिलहाल विलेज में 6 कैंप हैं जिसमें एक साथ 24 लोग रह सकते हैं। कहने को विलेज गांव में है, लेकिन यहां हर सुविधा का ध्यान रखा गया है।

अंडे के शेप का मेडिटेशन हॉल है अट्रैक्शन पॉइंट

मेडिटेशन हॉल को इस तरह डिजाइन किया गया है ताकि लोग यहां लंबा वक्त बिता सकें।

गंगा कहती हैं, आर्ट विलेज में आने वाले ज्यादातर लोग योग और मेडिटेशन क्लास के लिए आते हैं। इस वजह से मेडिटेशन हॉल को ऐसे डिजाइन किया गया है कि बिना किसी परेशानी के यहां लंबा वक्त बिताया जा सके। इसका इंटीरियर अंडे के आकार का है। इसे ईको फ्रेंडली मटेरियल और ट्रेडिशनल टेक्नीक की मदद से बनाया गया है। हॉल के अंदर का टेम्प्रेचर बाहर की तुलना में 6-7 डिग्री कम रहता है। इन खूबियों के चलते विलेज में आने वाले टूरिस्ट मेडिटेशन हॉल में आना हमेशा पसंद करते हैं।

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