मुरैना में जेल से छूटे कैदी का चौकाने वाला खुलासा …. मारपीट से बचने 10 हजार रुपए देना होते हैं, फूली रोटी के 500 तो चाय के लगते हैं एक हजार रुपए महीने

मुरैना की अंबाह जेल में कैदियों से अवैध वसूली की जाती है, जो कैदी पैसे नहीं देते हैं, उन्हें बुरी तरह मारा पीटा जाता है। इसके अलावा जो कैदी पैसे देते हैं उन्हें हर बात की सुविधा रहती है। हर सुविधा के अलग-अलग रेट हैं। अच्छे खाने के अलग रेट, चाय के अलग रेट, मोबाइल पर बात करने की सुविधा के अलग रेट। यहां मारपीट से बचने के लिए दस हजार देना होते हैं। इसके अलावा फूली रोटी के 500, चाय और छौंका दाल के के 1000-1000 रुपए देना पड़ते हैं। रुपए नहीं देने पर उबली दाल और कच्ची रोटी मिलती है। जेल से छूटे कैदी लला तोमर, निवासी फूटपुरा रूअर, पोरसा ने इस बात का खुलासा किया है। उसने बताया कि वह अंबाह जेल में बंद था। जेल में पदस्थ अनिरुद्ध नरवरिया व प्रहरी रामशंकर कोरकु, प्रहरी रामप्रताप सिंह भदौरिया व मुख्य प्रहरी शिरोमणि ने उसे कई बार शारीरिक रुप से प्रताड़ित किया। उससे दस हजार रुपए इनर्वटर लगवाने के लिए मांगे गए, जब उसने असमर्थता जताई तो उसके साथ मारपीट की गई। अन्त में उसके परिजन बाजार से इनर्वटर खरीदकर जेल में देने पहुंचे। इस बात की पक्की रसीद उसने दिखाई। उसके बाद दस हजार रुपए उससे और मांगे गए। जब उसने देने से मना किया तो फिर उसके साथ मारपीट की गई। अन्त में मारपीट से घबराकर उसने 10 हजार रुपए जेलर के खाते में ट्रांसफर किए। इसकी रसीद भी उसके पास है।

जेल में इनर्वटर खरीदकर भेजने की रसीद
जेल में इनर्वटर खरीदकर भेजने की रसीद

हर सुविधा के अलग-अलग पैसे
उसने बताया कि जेल में पैसे देने पर कैदियों को हर सुविधा मुहैया कराई जाती है। यह सुविधा जेलर व उसके उपरोक्त साथी प्रहरियों द्वारा कराई जाती है। जेल में अच्छी सब्जी खाने के एक हजार रुपए, चाय के एक हजार रुपए तथा मोबाइल चलाने के लिए रुपए देने होते हैं। यहां पांच कैदियों के पास मोबाइल हैं जिनसे वह तथा अन्य कैदी अपने परिजनों व दोस्तों से बात करते हैं। जेल से ही यह लोग अपना अपराध की दुनियां का नेटवर्क चलाते हैं।

10 हजार रुपए ट्रांसफर करने की रसीद
10 हजार रुपए ट्रांसफर करने की रसीद

जिला प्रशासन से लेकर मानव अधिकार आयोग से की शिकायत
जेल प्रशासन की इस मनमानी के खिलाफ उसके द्वारा मानव अधिकार आयोग से लेकर जिला व पुलिस प्रशासन से शिकायत की जा चुकी है। सीएम हेल्पलाइन 181 पर भी शिकायत की जा चुकी है।धारा 307 के मामले में था जेल में

लला तोमर व उसके भाई गब्बर सिंह तोमर की पुलिस से मुठभेड़ हुई थी। लला तोमर के पास अपने दोस्त की बंदूक थी। पुलिस उसे अवैध हथियार समझकर छुड़ाने आई थी। इस पर लला तोमर ने फायरिंग की तो पुलिस ने भी फायरिंग की। दोनों तरफ से फायरिंग में लला तोमर के भाई गब्बर सिंह तोमर के दोनों पैर में पुलिस द्वारा चलाई गई चार गोलियां लगीं थीं। इस पर उसका एक पैर बाद में काटा गया था। पुलिस ने दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर पुलिस पर फायरिंग करने व जान से मारने की नियत से फायर करने पर धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया था।

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