बरेली … शिकायतों के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई:रहवासी इलाकों में लगे मोबाइल टावरों से हो रहीं बीमारियां

 तरह से रहवासी इलाकों में लगाए जा रहे मोबाइल टावर

नगर के गली मोहल्लों में घनी आबादी के बीच विभिन्न कम्पनियों द्वारा मोबाइल टावर लगाए गए हैं, जिससे रहवासियों को टावर से निकलने वाले रेडियेशन से होने वाली बीमारियों का डर अब बढ़ने लगा है। प्रशासनिक अफसर और नगर पालिका द्वारा भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं करने से रहवासियों में आक्रोश पनप रहा है। रहवासियों ने बताया कि जिम्मेदार अफसर रहवासियों की सहमति और मौके का निरीक्षण किए बिना ही टावर कंपनियों को अनुमति दे देते हैं। यदि अनुमति देते समय टावर कंपनी द्वारा जो कागज लगाए जाते हैं उनकी जांच करना चाहिए साथ ही जिस स्थान पर टावर लग रहा है वहां के आसपास के रहवासियों की सहमति भी होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है और बिना जांच पड़ताल किए बिना ही टावर कंपनियों को अनुमति दी जा रही है नतीजतन कंपनियां रहवासी इलाकों में बेफिक्री के साथ टावर लगा रहे हैं, जिसका खामियाजा नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। रहवासियों ने बताया कि टावरों से फैलने वाले रेडिएशन के कारण घर के बीमार सदस्यों का उपचार करवाने के बाद भी आराम नहीं लग रहा है यही नहीं अब सामान्य व्यक्ति भी रेडिएशन फैलने के कारण बीमार हो रहा है। नागरिकों ने मांग की है कि नगर में लगे टावरों की जांच कर तत्काल हटवाएं जाए ताकि शहर के नागरिक स्वस्थ्य जीवन जी सकें। इन्हीं टावरों के पास स्कूल अस्पताल अशोक पटैरिया ने बताया कि जिन स्थानों पर टावर लगे हुए हैं, उन स्थानों पर आसपास कई स्कूल, अस्पताल सहित रहवासी कॉलोनियां मौजूद हैं। जिससे रेडिएशन का असर बच्चों पर पड़ने का खतरा अब और भी बढ़ गया है साथ ही अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों की सेहत में भी असर पड़ रहा है, लेकिन कुछ कम्पनियों के द्वारा भूमि मालिकों को टावर लगाने से पूर्व निकलने वाले रेडिएशन के संबंध में गुमराह कर नियमों को ताक में रखकर टावर लगा दिए गए। भूमि मालिकों ने भी किराए के लालच में टावर लगाने की अनुमति दे दी, जबकि टावरों के आसपास रहने वाले लोग सहित छोटे-छोटे बच्चे और कई गर्भवती महिलाएं, वृद्ध रेडिएशन से प्रभावित हो रहे हैं।

बिना सहमति और जांच किए बिना दे दी अनुमति, नागरिकों की आपत्ति के बाद भी नहीं मिल रही है तवज्जो

यह हो सकती हैं बीमारियां
बीएमओ डॉक्टर हेमंत यादव की माने तो मोबाइल टावरों से निकलने वाले खतरनाक रेडिएशन के कारण दुष्प्रभाव से आसपास रहने वाले लोगों में कैंसर, चर्म रोग, बहरापन, अनिंद्रा, सिर में दर्द, थकान, अनिद्रा ,डिप्रेशन , ध्यान भंग, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, याददाश्त कमजोर होना, सिरदर्द, दिल की धड़कन बढ़ता, पाचन क्रिया पर असर, कैंसर का खतरा बढ़ जाना, ब्रेन ट्यूमर, बहरापन आदि की शिकायत सामने आने लगती है।

टावर लगाने के ये हैं नियम
छतों पर सिर्फ एक एंटीना वाला टावर ही लग सकता है, पांच मीटर से कम चौड़ी गलियों में टावर नहीं लगेगा। एक टावर पर लगे एंटीना के सामने 20 मीटर तक कोई घर नहीं होगा, टावर घनी आबादी से दूर होना चाहिए, जिस जगह पर टावर लगाया जाता है, वह प्लाट खाली होना चाहिए, उससे निकलने वाली रेडिएशन की रेंज कम होनी चाहिए, कम आबादी में जिस बिल्डिंग पर टावर लगाया जाता है, वह कम से कम पांच-छह मंजिला होनी चाहिए।

इन क्षेत्रों में नुकसान ज्यादा
जानकारों की मानें तो मोबाइल टावर के 300 मीटर एरिया में सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है। एंटीना के सामने वाले हिस्से में सबसे ज्यादा तरंगें निकलती हैं। जाहिर है कि सामने की ओर ही नुकसान भी ज्यादा होता है, मोबाइल टावर से होने वाले नुकसान में यह बात भी अहमियत रखती है कि घर टावर पर लगे एंटीना के सामने है या पीछे, टावर के एक मीटर के एरिया में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन होता है, टावर पर जितने ज्यादा एंटीना लगे होंगे।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणें ज्यादा खतरनाक हैं
मोबाइल टावर से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेब्स कैंसर का कारण बनती हैं। इस रेडिएशन से जानवरों पर भी असर पड़ता है। इस कारण जिस एरिया में मोबाइल टावरों की संख्या अधिक वहां पक्षियों की संख्या कम हो जाती है।

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