इंदौर .. Investigation:जल प्रबंधन पर सालाना 350 करोड़ खर्च, फिर भी इंदौर के मात्र 3% घरों को रोज मिल रहा पानी
जल प्रबंधन पर शहर में 350 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं, बावजूद इसके मात्र 3 फीसदी घरों में ही रोज जलप्रदाय हो रहा है। शहर में धड़ल्ले से हाे रहे बोरिंग की बड़ी वजह यह भी। हालत यह है कि हमें नर्मदा का पानी 29 रुपए प्रति हजार लीटर में पड़ रहा है, जो दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और कोलकाता जैसे महानगरों में जलप्रदाय पर हो रहे खर्च से भी कहीं ज्यादा है।
कार्यपालन यंत्री नर्मदा संजीव कुमार श्रीवास्तव मानते हैं कि इंदौर में प्रतिदिन 30 प्रतिशत पानी व्यर्थ बह रहा है। 480 एमएलडी पानी लाया जाता है और लाइन लीकेज, चोरी सहित अन्य कारणों से 144 एमएलडी पानी लोगों तक पहुंचता ही नहीं। इसके अलावा निगम ने निर्माण कार्य में पेयजल के उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है। सभी जोनल अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है कि कहीं नर्मदा या बोरिंग का पानी निर्माण में इस्तेमाल न हो।
भास्कर ने बायपास की काॅलोनियों, नेमावर रोड, एबी रोड की काॅलोनियों की पड़ताल की तो खुलासा हुआ सभी स्थानों पर बोरिंग का पानी कंस्ट्रक्शन में ही इस्तेमाल हो रहा है। शहर में निगम ने 50 से ज्यादा हाईड्रेंट बनवाए हैं, यहां से ट्रीटेड पानी लोगों को नि:शुल्क दिया जाता है। इसके बावजूद लोग यह पानी नहीं ले रहे हैं। संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा कहते हैं कि हम सुनिश्चित करवाएंगे कि घरेलू और खेती कार्य के लिए ही बोरिंग हो।
निगम के पास सिर्फ 500 का हिसाब, खपत 800 एमएलडी
हालत यह है कि निगम के पास शहर में सप्लाई किए जाने वाले सिर्फ 500 एमएलडी पानी का हिसाब है। नर्मदा के तृतीय चरण से 350, पहले व द्वितीय चरण से 100, यशवंत सागर से 30 एमएलडी और शासकीय 5500 बोरिंग से 20 एमएलडी पानी सप्लाई का ही रिकॉर्ड है। शहर में 3 लाख से ज्यादा बोरिंग हो चुके हैं। एक बोरिंग से 1 हजार लीटर पानी भी प्रतिदिन निकाला जाता है तो 30 करोड़ लीटर यानी 300 एमएलडी पानी इस्तेमाल हो रहा है।
24 घंटे का प्लान, सिर्फ पांच टंकियों से रोज सप्लाय
शहर में वाटर सप्लाई के लिए 105 टंकियां हैं। फिर भी 40% लोगों को डायरेक्ट सप्लाई से पानी दे रहे हैं। सिर्फ 5 टंकियां खातीवाला टैंक, सुखलिया, रेती मंडी और दो अन्य से 7500 लोगों तक रोज पानी पहुंचता है। यह कुल 2.63 लाख कनेक्शन का 3% ही है।