कॉलेजाें के निरीक्षण में नियमों का पेंच:कुलपति ने रजिस्ट्रार को दिए अधिकार डीसीडीसी ने लिखा- यह विधि मान्य नहीं
जीवाजी यूनिवर्सिटी में अंचल के 400 कॉलेजों के निरीक्षण से पहले नियमों का पेंच आ गया है। कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी ने निर्देश पर अधिसूचना जारी की गई थी कि कॉलेजों का निरीक्षण और परिनियम 28 (17) के तहत शिक्षकों तथा प्राचार्यों की नियुक्ति और संबद्धता संबधी कार्य रजिस्ट्रार के अधीन किए जाएंगे। अब डाॅयरेक्टर कॉलेज डेवलमेंट काउंसिल (डीसीडीसी) डॉ. केशव सिंह गुर्जर ने कुलपति को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है।
उन्होंने लिखा है कि डीसीडीसी के अलावा किसी अन्य अधिकारी से संबद्धता और निरीक्षण की प्रक्रिया पूरी कराना विधिसम्मत नहीं माना जाएगा। उल्लेखनीय है कि अब तक डीसीडीसी द्वारा ही कॉलेजों के निरीक्षण और संबद्धता की प्रक्रिया पूरी की जाती थी। अचानक बदलाव जेयू के गलियारों में चर्चा का विषय है। डीसीडीसी के पत्र के बाद कॉलेज संचालक भी संशय में हैं।
डीसीडीसी डॉ. गुर्जर की यह हैं आपत्तियां, जो वीसी को भेजे पत्र में लिखी हैं
- विश्वविद्यालय परिनियम 39 के तहत डायरेक्टर कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल का चयन महाविद्यालयीन विकास परिषद के कार्यों को संपादित करने के लिए किया गया है। जो अपरिवर्तनीय है।
- डायरेक्टर के कर्तव्य और शक्तियां परिनियम 39-10 (vii) में निहित हैं, इन्हें अनिवार्य बताया गया है। इसके अनुसार कुलपति की अनुमति से कॉलेजों का निरीक्षण, विकास योजनाओं के लिए प्राचार्यों की बैठक डीसीडीसी के द्वारा ही बुलाई जाएगी।
- डीसीडीसी ही एकमात्र अधिकृत अधिकारी है जो निरीक्षण सहित संबद्धता के कार्यों को निष्पादित करेगा। डीसीडीसी के अतिरिक्त अन्य कोई संबद्धता संबंधी कार्य विधिसम्मत नहीं है। इस अधिसूचना को निरस्त कर परिनियम 39 के अनुरूप कार्य कराए जाएं।
30 वर्ष से डीसीडीसी ही कर रहे कार्य
कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति, संबद्धता अकादमिक कार्य है। इसमें रजिस्ट्रार का हस्तक्षेप नहीं होता है। जेयू में 30 साल से डीसीडीसी ही इन कार्यों को कर रहे थे। -डॉ. केशव सिंह गुर्जर, डीसीडीसी, जेयू
किसी भी अफसर से ले सकते हैं कार्य
परिनियम 39 में उल्लेख है कि कुलपति अपने अधीन किसी भी अधिकारी से संबद्धता कार्य करवा सकता है। इसलिए यह कार्य रजिस्ट्रार के अधीन करवाए जा रहे हैं। -प्रो. अविनाश तिवारी, कुलपति, जेयू