ग्वालियर … निगम की दोहरी नीति …. 67 हजार रुपए पर भैंस कुर्क, सरकारी विभागों पर 29 करोड़ बकाया फिर भी कार्रवाई नहीं

  • आमजन पर सख्ती और सार्वजनिक संस्थाओं पर मेहरबानी

जल कर और सर्विस चार्ज के बड़े बकायादारों को लेकर नगर निगम के अफसर मनमाफिक तरीके से कार्रवाई कर रहे हैं। अफसर जहां दूध बेचकर रोजी-रोटी चलाने वालों की भैंस खूंटे से खुलवा रहे हैं और वाहनों को जब्त किया जा रहा है। वहीं सरकारी संस्थाओं के अफसर और कर्मचारी लाखों-करोड़ों रुपए का पानी पीकर भी बिल नहीं चुका रहे हैं।

ऐसी संस्थाओं पर निगम के अफसर हाथ तक नहीं डाल पा रहे हैं। यहीं कारण है कि अभी तक 22 सरकारी संपत्तियों पर 44446105 रुपए से ज्यादा जल कर बकाया हो चुका है। वहीं केंद्रीय और राज्य स्तरीय विभागों पर निगम का 243147996 रुपए सर्विस चार्ज बकाया है। सिर्फ कागजी कार्रवाई कर फाइलों को मोटा किया जा रहा है।

निगम का पीएचई अमला इस साल 60 हजार से ज्यादा के बकायादारों के घर पहुंचकर संपत्ति एवं जानवर कुर्क कर रहा है। हाल में शक्ति विहार के पशुपालक दीनानाथ पाल, अजमेर पाल, राजेंद्र पाल पर 67 से 83 हजार तक का जल कर बकाया होने पर अफसरों ने उनकी भैंस खोल ली थी।

चार-चार आईडी बनी: सरकारी विभागों ने बिल जमा नहीं किए और जल कर की एक नहीं चार-चार आईडी बना लीं। इन सभी पर बिल जारी किए गए हैं। इनमें जीआर मेडिकल कॉलेज, अधीक्षक सेंट्रल जेल, केआरजी कॉलेज के प्राचार्य के नाम से आईडी बनी है। बंद हो चुकी नैरोगेज ट्रेन के दो स्टेशन मोतीझील और घोसीपुरा पर भी बिल बकाया हैं। प्रशासक आशीष सक्सेना ने कहा कि बकाया राशि वाले सरकारी विभागों को पत्र लिखकर पैसा मांगा जाएगा। वे शासन से बजट का आवंटन कराकर राशि दें। इसके बाद भी राशि नहीं आती है, तो कार्रवाई करेंगे।

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