ग्वालियर … मामला वेंटिलेटर हटाने से मौत का…:JAH के न्यूरोसर्जरी विभाग में किसकी लापरवाही से हुई मरीज की मौत, सोमवार से शुरू होगी जांच

अंचल के सबसे बड़े अस्पताल में लापरवाही से वेंटिलेटर हटाकर मरीज की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है इसकी जांच सोमवार से शुरू होने जा रही है। संभागीय आयुक्त के निर्देश पर डीन ने जांच दल तो गठित कर दिया था, लेकिन शनिवार और रविवार को जांच शुरू नहीं हो सकी। सोमवार का जांच दल पूरे मामले की जांच करेगा और अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। इसके लिए घटना के समय मौजूद स्टाफ, वार्ड बॉय, इंचार्ज सभी के बयान लिए जाएंगे। साथ ही मृतक के परिवार से भी बात की जाएगी। इसके बाद लापरवाही किसकी थी जिम्मेदारी तय होगी।

जेएएच के न्यूरोज सर्जरी विभाग में जिन्दा मरीज को मृत बताकर वेंटिलेटर हटाने के मामले में जांच दल दो दिन बाद अपनी जांच शुरू करेगा। असल में जांच दल के पास शुक्रवार को डीन द्वारा गठित की गई कमेटी का पत्र पहुंचा था। शनिवार व रविवार को अवकाश के चलते जांच दल अपनी जांच शुरू नहीं कर सका। अब सोमवार को टीम मामले की जांच शुरू कर देगी। इसी घटना से पांच दिन पहले जेएएच के ट्रॉमा सेंटर में सड़क हादसे में घायल जामवती नाम की महिला को भी जिंदा होते हुए मृत घोषित कर पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया था। पर बाद में वह जिंदा निकली तो परिजन ने हंगामा किया। इस घटना के 18 घंटे बाद जामवती की मौत हुई थी। इस मामले की जांच रिपोर्ट शनिवार को डीन को साैंप दी गई है। क्योंकि जामवती को मृत घोषित करने के मामले में ड्यूटी डाक्टरों से लिखित बयान लिए गए हैं। सभी ड्यूटी डाक्टरों ने अपने अपने बयान लिखित में कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किए। जिसमें सभी ने अपने बचाव में तर्क दिए हैं। रिपोर्ट के आधार पर ही डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई तय होगी।

यह है पूरा मामला
मुरैना के नंदगांगुली गांव में रहने वाले शिव कुमार उपाध्याय (40) को बीते सप्ताह लकवा मारने के साथ ही ब्रेन हेमरेज हो गया था। शिव कुमार के साले योगेश शर्मा ने बताया कि जीजाजी को सर गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली में दिखाया तो डाक्टरों ने यह कहते हुए वापस भेज दिया कि इनका इलाज जेएएच के न्यूरोसर्जरी में भी हो सकता है। लिहाजा वे उन्हें लेकर दो दिन पूर्व जेएएच के न्यूरोसर्जरी में आए। जहां उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया। 1 मार्च की शाम करीब 6:30 बजे वार्ड बॉय ने शिव कुमार का वेंटीलेटर और ऑक्सीजन हटाकर उन्हें मृत बता दिया। इस पर परिजन ने हंगामा खड़ा कर दिया।

योगेश का कहना है कि आईसीयू में किसी दूसरे मरीज की मौत हुई थी और हमारे मरीज की ऑक्सीजन, वेंटीलेटर सब हटा दिया। इस पर परिजन ने जमकर हंगामा किया। सीनियर डॉक्टर वहां पहुंचे और शिवकुमार की नब्ज टटोली तो सांसे चल रही थीं। इसके बाद तत्काल उनको वेंटीलेटर सपोर्ट पर लिया गया। करीब 20 मिनट तक मरीज बिना ऑक्सीजन व वेंटीलेटर सपोर्ट के रहा। उसे सीनियर डॉक्टर ने जब सांस चलते देखी तो वापस वेंटीलेटर लगाया। घटना के 12 घंटे बाद मरीज की मौत हो गई थी।

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