यूपी में वोट घोटाला? …. अफसरों ने कर्मचारियों के वोटर कार्ड ले लिए, वोट कहां गया…पता नहीं, डाक मतपत्र गिनने में भी गड़बड़ी की आशंका

अफसर ने कहा- वोटर कार्ड दे दो…तो दे दिया। बाद में बूथ की डिटेल पूछी तो बता दिया। अब नहीं पता कि वोट किसको दिया? एक-दो नहीं, ऐसा कहने वाले पुलिस-प्रशासन के कर्मचारियों की संख्या हजारों में है। क्या अफसर ऐसा कर सकते हैं? चुनाव करवाने वाले अफसरों की मानें तो नहीं। वोटर कार्ड मांगना भी आचार संहिता का उल्लंघन है। कर्मचारी शिकायत करें तो कार्रवाई होगी।

अब बड़ा सवाल ये कि कोई कर्मचारी अपनी नौकरी देखे या वोट?

अब 7 चरणों के दौरान सामने आए कुछ लोगों से आपको मिलवाते हैं, जिससे डाक वोट पर अफसरों का रवैया और स्पष्ट हो जाता है। सबसे पहले मिलिए,अलीगढ़ निवासी सब इंस्पेक्टर से। नाम सरकारी कार्रवाई के डर से न छापने का आग्रह किया। बोले- एक माह से लखनऊ में चुनाव ड्यूटी कर रहे हैं। उनकी पूरी टीम ने अपना विधानसभा क्षेत्र, पोलिंग बूथ बताने के साथ ही वोटर आईडी अफसर के पास जमा कराई थी। इसका क्या हुआ, उन्हें कुछ नहीं बताया गया।गाजियाबाद में रहने वाले यूपी पुलिस के हेड कांस्टेबल की भी कमोवेश यही स्थिति है। इन दिनों लखनऊ में चुनाव ड्यूटी कर रहे हैं। कायदे से उन्हें भी पोस्टल बैलेट मिलना था। अफसरों ने वोटर आईडी भी ले लिया लेकिन बैलेट नहीं मिला।ऐसा ही सीतापुर के रहने वाले चार पीएसी जवानों ने भी बताया। बोले-वोटर कार्ड कई दिन पहले ही ले लिया गया, लेकिन उन्हें पोस्टल बैलेट मिला नहीं। हमें नहीं मालूम क्या हुआ?

गाजियाबाद की बुजुर्ग नसीम बानो का वोट पोस्टल बैलेट से दिया जा चुका था।
गाजियाबाद की बुजुर्ग नसीम बानो का वोट पोस्टल बैलेट से दिया जा चुका था।

इन सभी की बातें पढ़कर अगर आप समझ रहे हैं कि ऐसा सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के साथ हुआ, तो आप गलत हैं। मिलिए गाजियाबाद में रहने वाली बुजुर्ग नसीम बानो से। सेठ मुकुंद कॉलेज में जब ये वोट डालने पहुंची तो निर्वाचन कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि उनका वोट पहले ही पोस्टल बैलेट के जरिए पड़ चुका है। बूथ पर रखी गई फोटोयुक्त निर्वाचक नामावली में नसीम के नाम के आगे लाल रंग के पेन से PB (पोस्टल बैलेट) लिखा हुआ था।

ऐसे नहीं कि ये सिर्फ इनके साथ ही हुआ। बड़ी संख्या में ऐसे बुजुर्ग सामने आए। सात चरणों का मतदान होने के बाद अब विपक्षी दल डरे हुए हैं कि ऐसे वोट घोटाले से चुनाव की असल दिशा न बदल जाए। समाजवादी पार्टी ने तो चुनाव आयोग से डाक वोट डालने में हुई गड़बड़ी को लेकर शिकायत भी की है। साथ ही डाक वोट की काउंटिंग में गड़बड़ी की आशंका भी जाहिर की गई है।

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल कहते हैं कि प्रदेश के पुलिसकर्मियों से वोटर ID लेने की बड़ी संख्या में शिकायत उनके पास भी पहुंची है। अब उनको ज्यादा डर काउंटिंग के समय गड़बड़ी का है। अपर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ब्रह्मदेव राम तिवारी के मुताबिक पोस्टल बैलेट में गड़बड़ियों को लेकर कई शिकायतें मिली हैं। आयोग इन शिकायतों की गंभीरता से जांच करवा रहा है। अगर गड़बड़ी साबित होती है तो संबंधित क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी और वहां तैनात कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सवाल इसलिए भी… मतदान प्रतिशत में शामिल नहीं

हर चरण के बाद मतदान की जारी होने वाली संख्या में डाक वोट शामिल नहीं किया जाता।
हर चरण के बाद मतदान की जारी होने वाली संख्या में डाक वोट शामिल नहीं किया जाता।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त अजय कुमार शुक्ला के मुताबिक पोस्टल बैलेट आने का सिलसिला लगातार चलता रहता है। इसीलिए मतदान वाले दिन इसे मतदान प्रतिशत में शामिल नहीं किया जा सकता। पोस्टल बैलेट को मतगणना वाले दिन कुल वोटिंग प्रतिशत में ही शामिल किया जाएगा। अपर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ब्रह्मदेव राम तिवारी कहते हैं इस बार पोस्टल बैलेट की गणना EVM के साथ ही होगी।

हर टेबल पर 500 पोस्टल बैलेट गणना के लिए दिए जाएंगे। पोस्टल बैलेट की संख्या जैसे-जैसे बढ़ती जाएगी। वैसे-वैसे हर टेबल पर गणना के लिए उनका बंटवारा भी किया जाएगा। मतगणना वाले दिन यह भी पहली बार होगा, जब EVM की गणना का अंतिम चरण शुरू करने से पहले पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी कर ली जाएगी। ताकि EVM की गणना के तुरंत बाद अंतिम नतीजे एक साथ ही जारी किए जा सकें।

बड़ा सवाल ये कि डाक वोट की गणना सबसे पहले कराने का नियम है। फिर इसे ईवीएम के साथ-साथ कराने से अंत तक इसके उलझने और हार-जीत का इशारा मिलने पर गड़बड़ी होने की आशंका बढ़ जाती है।

जानिए पोस्टल बैलेट किस तरह बदल सकते हैं नतीजे

पुलिस वालों को पोस्टल बैलेट मिलना था। वोटर आईडी ली गई, लेकिन उन्हें बैलेट नहीं मिला। - फाइल फोटो
पुलिस वालों को पोस्टल बैलेट मिलना था। वोटर आईडी ली गई, लेकिन उन्हें बैलेट नहीं मिला। – फाइल फोटो

2019 के लोकसभा चुनाव में पोस्टल बैलेट ने मामूली अंतर वाली कई सीटों पर आखिरी वक्त में नतीजे ही बदल दिए थे। लिहाजा इस बार भी सबकी निगाह इन्हीं पर है। किसान नेता राकेश टिकैत शुरू से कहते रहे हैं कि डीएम-एसपी 10 हजार वोट जेब में लेकर चलते हैं।…ऐसे में बड़ा सवाल ये कि क्या ये वही डाक वोट हैं जिनके वोटर कार्ड अफसरों ने जमा करा लिए हैं। इस बार इन मतों की संख्या सबसे अधिक है। आयोग ने इसमें पहली बार 80 साल से ज्यादा के बुजुर्गों और 40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांगता वाले लोगों को भी पोस्टल बैलेट की श्रेणी में शामिल कर लिया है।

साथ ही पत्रकारों और अनिवार्य सेवाओं में तैनात कर्मचारियों को भी यह सुविधा दी जा रही है। यूपी चुनाव में इस बार सरकारी कर्मचारियों के साथ ही दिव्यांगों और बुजुर्गों के पोस्टल बैलेट को अहम फैक्टर माना जा रहा है। पहली बार चुनाव आयोग ने पोस्टल बैलट की श्रेणी में 80 साल से ज्यादा के बुजुर्गों और 40 प्रतिशत या उससे ज्यादा दिव्यांगता वाले मतदाताओं को भी घर बैठे वोट डालने की सुविधा दी है।

ऐसे दी जा रही है पोस्टल बैलट की सुविधा

निर्वाचन आयोग की इस व्यवस्था के तहत पोस्टल बैलेट से मतदान करने की इच्छा रखने वाले मतदाताओं के पास उनके इलाके के BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) खुद पहुंचते हैं। इस सुविधा का लाभ लेने के लिए मतदाता से 12-डी फॉर्म भरवाया जाता है। यह फार्म मतदाता के क्षेत्र में चुनाव का नोटिफिकेशन जारी होने के पांच दिन के भीतर जमा कराना होता है।

फिर उन्हें पोस्टल बैलेट दिया जाता है। इस पर अपनी पसंद के प्रत्याशी को वोट करने के बाद मतदान से एक दिन पहले चुनाव आयोग के कर्मचारियों के पास जमा कराना होता है। कर्मचारी यह पोस्टल बैलेट एकत्रित करने की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग करता है। फिर इसे मतगणना वाले दिन खोलने के लिए संबंधित मतगणना स्थल तक पहुंचाने की व्यवस्था कराता है।

ETPBS में पहली बार QR कोड

पोस्टल बैलेट की व्यवस्था ETPBS (इलेक्ट्रानिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम) होती है। संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर आवश्यक सेवाओं में कार्यरत व्यक्तियों की श्रेणी में अनुपस्थित मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट की सुविधा की तारीख और समय निर्धारित करते हुए सभी नोडल और संबंधित कार्यरत व्यक्तियों को सूचित करता है।

फिर संबंधित कर्मचारी के विभाग प्रमुख को ETPBS से बैलट भेजा जाता है। वह इसे डाउनलोड कर प्रिंट निकाल लेता है। फिर संबंधित कर्मचारी से मतदान कराने के बाद निर्वाचन आयोग को डाक से भेज देता है। इस व्यवस्था में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए आयोग ने पहली बार QR कोड सिस्टम लागू किया है। यानी सेवा मतदाताओं का जो बैलट मिलेगा, उसे QR कोड से स्कैन किया जाएगा। सब कुछ ठीक रहा, तो ही उसे मतगणना में शामिल किया जाएगा।

किस चरण में पोस्टल बैलेट की क्या स्थिति

पहला चरण 10 फरवरी
कुल सीटें 58
मतदाता 2.28 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलेट 58,924
कास्ट पोस्ट बैलेट 43420
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 79922
दूसरा चरण 14 फरवरी
कुल सीटें 55
मतदाता 2.02 करोड
टैग्ड पोस्टल बैलेट 56319
कास्ट पोस्टल बैलेट 47615
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 23,349
तीसरा चरण 20 फरवरी
कुल सीटें 59
मतदाता 2.16 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलेट 62,062
कास्ट पोस्टल बैलेट 52.043
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 53951
चौथा चरण 23 फरवरी
कुल सीटें 59
मतदाता 2.13 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलेट 60,585
कास्ट पोस्टल बैलेट 52,512
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 23,484
पांचवां चरण 27 फरवरी
कुल सीटें 61
मतदाता 2.25 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलेट 59,572
कास्ट पोस्लट बैलेट 52,757
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 27,331
छठवां चरण 3 मार्च
कुल सीटें 57
मतदाता 2.15 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलेट 91027
कास्ट पोस्टल बैलेट 64611
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 42124
सातवां चरण 7 मार्च
कुल सीटें 54
मतदाता 2.06 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलेट 74988
कास्ट पोस्टल बैलेट 62750
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 51028

नोट- पोस्टल बैलेट से संबंधित यह सभी आंकडे निर्वाचन आयोग के लिए द्वारा जारी किए गए हैं।

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