ग्वालियर .. निगम का सफाई प्लान कागजों पर, इस बार स्वच्छता रैंकिंग बरकरार रखना भी मुश्किल
स्वच्छ भारत अभियान में अव्वल आने के लिए संभागीय आयुक्त-कलेक्टर, निगमायुक्त लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद भी इंदौर सहित अन्य शहरों से आगे नहीं निकल…
ग्वालियर. स्वच्छ भारत अभियान में अव्वल आने के लिए संभागीय आयुक्त-कलेक्टर, निगमायुक्त लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद भी इंदौर सहित अन्य शहरों से आगे नहीं निकल पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण जिम्मेदारों द्वारा रिहायशी कॉलोनी, घनी बस्ती, गली मोहल्ले में कचरा-कूड़ा उठाव नहीं होना है।
वहीं वाहनों से कूड़ा कचरा बिना उठाव बिना ढके ही लैंडफिल साइट पर पहुंचना, जिम्मेदारों की कागजी योजनाओं, सर्वे के समय ही सक्रियता, शहर में साफ सफाई पर कम ध्यान और निगमायुक्त द्वारा लापरवाही मिलने पर अधिकारी-कर्मचारियों को नोटिस देकर इतिश्री कर लेना।
इससे स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में ग्वालियर नगर निगम का दावा काफी कमजोर नजर आ रहा है। जिससे आगामी रैकिंग में निगम के पीछे जाने के संकेत नजर आने लगे हैं। यदि यही हाल रहा तो ग्वालियर नगर निगम इस बार 15वीं से रैकिंग से और नीचे जा सकता है। निगम ने डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करने वाले 200 वाहनों में जीपीएस लगाने का दावा किया है और इन पर दो लाख रुपए भी खर्च किए गए हैं, लेकिन इन वाहनों की न तो जीपीएस काम कर रही है और ना ही कचरा वाहन समय पर गली-मोहल्ले में पहुंच रहे हैं और ना ही कचरे का 100 प्रतिशत सेग्रीगेशन हो पा रहा है। यही वजह है कि कलेक्टर-संभागीय आयुक्त, निगमायुक्त को खुद मैदान में उतरकर साफ सफाई करवाना पड़ रही है।
वहीं वाहनों से कूड़ा कचरा बिना उठाव बिना ढके ही लैंडफिल साइट पर पहुंचना, जिम्मेदारों की कागजी योजनाओं, सर्वे के समय ही सक्रियता, शहर में साफ सफाई पर कम ध्यान और निगमायुक्त द्वारा लापरवाही मिलने पर अधिकारी-कर्मचारियों को नोटिस देकर इतिश्री कर लेना।
इससे स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में ग्वालियर नगर निगम का दावा काफी कमजोर नजर आ रहा है। जिससे आगामी रैकिंग में निगम के पीछे जाने के संकेत नजर आने लगे हैं। यदि यही हाल रहा तो ग्वालियर नगर निगम इस बार 15वीं से रैकिंग से और नीचे जा सकता है। निगम ने डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करने वाले 200 वाहनों में जीपीएस लगाने का दावा किया है और इन पर दो लाख रुपए भी खर्च किए गए हैं, लेकिन इन वाहनों की न तो जीपीएस काम कर रही है और ना ही कचरा वाहन समय पर गली-मोहल्ले में पहुंच रहे हैं और ना ही कचरे का 100 प्रतिशत सेग्रीगेशन हो पा रहा है। यही वजह है कि कलेक्टर-संभागीय आयुक्त, निगमायुक्त को खुद मैदान में उतरकर साफ सफाई करवाना पड़ रही है।
निगम का सफाई प्लान कागजों पर, इस बार स्वच्छता रैंकिंग बरकरार रखना भी मुश्किल
90 फीसदी डस्टबिन हुए गायब
नगर निगम द्वारा लाखों रुपए की लागत से डस्टबिन खरीदी गई थीं। निगम का दावा था कि शहर के 500 से अधिक स्थानों पर हमने दो हजार डस्टबिन लगाइ गई है, लेकिन यह डस्टबिन कहीं दिखाई ही नहीं देती है। 90 फीसदी से ज्यादा डस्टबिन गायब हो चुके हैं। लोगों का कहना है कि यदि डस्टबिन होते तो वह कचरा कलेक्शन गाड़ी नहीं आने पर वहां कचरा डाल सकते थे, लेकिन डस्टबिन ही नहीं है ऐसे में उन्हें मजबूरी में इधर-उधर कचरा डालना पड़ रहा है। वहीं शहर की दुकानों पर ही गीले-सूखे कचरे के डस्टबिन नजर ही नहीं आते हैं।
नगर निगम द्वारा लाखों रुपए की लागत से डस्टबिन खरीदी गई थीं। निगम का दावा था कि शहर के 500 से अधिक स्थानों पर हमने दो हजार डस्टबिन लगाइ गई है, लेकिन यह डस्टबिन कहीं दिखाई ही नहीं देती है। 90 फीसदी से ज्यादा डस्टबिन गायब हो चुके हैं। लोगों का कहना है कि यदि डस्टबिन होते तो वह कचरा कलेक्शन गाड़ी नहीं आने पर वहां कचरा डाल सकते थे, लेकिन डस्टबिन ही नहीं है ऐसे में उन्हें मजबूरी में इधर-उधर कचरा डालना पड़ रहा है। वहीं शहर की दुकानों पर ही गीले-सूखे कचरे के डस्टबिन नजर ही नहीं आते हैं।
शहर की तीनों विधानसभा में दूध की डेयरियों की भरमार है और डेयरी संचालकों द्वारा खुलेआम नालियों में गोबर बहाया जा रहा है।
– रिहायशी कॉलोनी, घनी बस्ती और कई जगहों से अभी भी कचरा नहीं उठाया जा रहा है।
– वाहनों से कूड़ा उठाव बिना ढके ही लैंडफिल साइट भेजा जा रहा है जो कचरा वाहन के पीछे आवागमन करने वाले राहगीर व वाहन चालकों के लिए परेशानी बन रहा है।
– शहर की विभिन्न वार्डों के नालियों, सार्वजिनक स्थानों व सड़क किनारे बनी नाले-नालियां गंदगी से भरी पड़ी हुई है।
– ंकर्मचारियों दरा दिखावे के लिए साफ-सफाई के फोटो निगमायुक्त के पास भेज रहे हैं, जबकि उनके वार्ड में कई स्थानों पर गंदगी पसरी हुई है।
– निगम के विभिन्न शौचालय गंदगी से अटे पड़े हैं। यहां नलों में टोंटी भी नहीं है और ना ही पानी की इंतजाम है।
– निगम में शिकायत करने के बाद भी सीवर की साफ सफाई नहीं हो रही
– स्वर्ण रेखा, मुरार नदी, जनक ताल व सागर ताल सहित अन्य तालाब गंदगी से अटे पड़े हुए हैं।
– रिहायशी कॉलोनी, घनी बस्ती और कई जगहों से अभी भी कचरा नहीं उठाया जा रहा है।
– वाहनों से कूड़ा उठाव बिना ढके ही लैंडफिल साइट भेजा जा रहा है जो कचरा वाहन के पीछे आवागमन करने वाले राहगीर व वाहन चालकों के लिए परेशानी बन रहा है।
– शहर की विभिन्न वार्डों के नालियों, सार्वजिनक स्थानों व सड़क किनारे बनी नाले-नालियां गंदगी से भरी पड़ी हुई है।
– ंकर्मचारियों दरा दिखावे के लिए साफ-सफाई के फोटो निगमायुक्त के पास भेज रहे हैं, जबकि उनके वार्ड में कई स्थानों पर गंदगी पसरी हुई है।
– निगम के विभिन्न शौचालय गंदगी से अटे पड़े हैं। यहां नलों में टोंटी भी नहीं है और ना ही पानी की इंतजाम है।
– निगम में शिकायत करने के बाद भी सीवर की साफ सफाई नहीं हो रही
– स्वर्ण रेखा, मुरार नदी, जनक ताल व सागर ताल सहित अन्य तालाब गंदगी से अटे पड़े हुए हैं।
2022 में इन पर दें ध्यान तब मिलेगी सफलता
– घरों से रोजाना कूड़ा उठता है कि नहीं की प्रतिदिन जांच हो।
– गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग लेने के साथ ही आमजन को भी जागरुक किया जाए।
– अधिकतर लोगों को स्वच्छता ऐप, सिटी बेस्ड कोई एप अपने मोबाइल में डाउनलोड करवाया जाए।
– सीनियर सिटीजन, युवाओं को फीडबैक को लेकर जागरुक किया जाए।
– केदारपुर लैंडफिल साइड के प्लांट को लगातार चालू रखा जाए।
– सभी सातों कचरा कलेक्शन सेंटर को चालू रखा जाए।
– निगम आयुक्त, अपर आयुक्त, नोडल अधिकारी व जिम्मेदारों द्वारा सही मॉनिटरिंग की जाए।
– घरों से रोजाना कूड़ा उठता है कि नहीं की प्रतिदिन जांच हो।
– गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग लेने के साथ ही आमजन को भी जागरुक किया जाए।
– अधिकतर लोगों को स्वच्छता ऐप, सिटी बेस्ड कोई एप अपने मोबाइल में डाउनलोड करवाया जाए।
– सीनियर सिटीजन, युवाओं को फीडबैक को लेकर जागरुक किया जाए।
– केदारपुर लैंडफिल साइड के प्लांट को लगातार चालू रखा जाए।
– सभी सातों कचरा कलेक्शन सेंटर को चालू रखा जाए।
– निगम आयुक्त, अपर आयुक्त, नोडल अधिकारी व जिम्मेदारों द्वारा सही मॉनिटरिंग की जाए।
निगम द्वारा साफ सफाई पर खर्च
– 14 करोड़ निगम के वाहनों में डीजल पर खर्च।
– 45 करोड़ साफ सफाई व्यवस्था में जुड़े-अधिकारी कर्मचारी के वेतन पर।
– 05 करोड़ साफ सफाई के कार्य में लगे 500 की मरम्मत पर।
– 50 लाख ठेले, डस्टबिन, डस्टबिन सुधार सहित आदि पर।
– 75 लाख पेंटिंग, होर्डिंग कार्य व डॉक्यूमेंटेशन सहित अन्य कार्य पर।
– 14 करोड़ निगम के वाहनों में डीजल पर खर्च।
– 45 करोड़ साफ सफाई व्यवस्था में जुड़े-अधिकारी कर्मचारी के वेतन पर।
– 05 करोड़ साफ सफाई के कार्य में लगे 500 की मरम्मत पर।
– 50 लाख ठेले, डस्टबिन, डस्टबिन सुधार सहित आदि पर।
– 75 लाख पेंटिंग, होर्डिंग कार्य व डॉक्यूमेंटेशन सहित अन्य कार्य पर।
सख्त कार्रवाई की जाएगी
स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारी को लेकर हर दिन बैठक कर निर्देश दे रहे हैं और सख्त मॉनिटरिंग के लिए भी कह रहे हैं। जो भी अधिकारी-कर्मचारी लापरवाही बरतेगा उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। मैं इस इसको लेकर कलेक्टर-निगमायुक्त से चर्चा करूंगा और सफाई को लेकर सख्त मॉनिटरिंग के लिए कहूंगा। जिन गली-मोहल्लो में वाहन नहीं पहुंच रहे हैं, वहां वाहन पहुंचाए जाएंगे। आमजन भी साफ सफाई में निगम का सहयोग करें।
आशीष सक्सेना, संभागीय आयुक्त
स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारी को लेकर हर दिन बैठक कर निर्देश दे रहे हैं और सख्त मॉनिटरिंग के लिए भी कह रहे हैं। जो भी अधिकारी-कर्मचारी लापरवाही बरतेगा उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। मैं इस इसको लेकर कलेक्टर-निगमायुक्त से चर्चा करूंगा और सफाई को लेकर सख्त मॉनिटरिंग के लिए कहूंगा। जिन गली-मोहल्लो में वाहन नहीं पहुंच रहे हैं, वहां वाहन पहुंचाए जाएंगे। आमजन भी साफ सफाई में निगम का सहयोग करें।
आशीष सक्सेना, संभागीय आयुक्त