50 हजार कश्मीरी मंदिरों में पूजा-पाठ की तैयारी … काशी में संतों ने राष्ट्रपति और PM मोदी को लिखा पत्र, कहा- खुद जाकर खोलेंगे मंदिरों के कपाट

‘द कश्मीर फाइल’ देखने के बाद काशी का संत-समाज कश्मीर के बंद पड़े 50 हजार मंदिरों को लेकर एक्टिव हो गया है। तीन दशक से ये सभी बंद मंदिर खुले इसके लिए संतों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी है। उन्होंने कहा है कि वे खुद जाएंगे और हर मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल देंगे। श्रीकाशी विद्वत कर्मकांड परिषद के अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कश्मीर के बंद मंदिरों में फिर से पूजा-पाठ का आह्वान किया है। एक बैठक में बताया गया है कि 1990 के बाद से कश्मीर में हिंदू धर्म के आस्था के खिलवाड़ किया जा रहा है। यह बंद होना चाहिए। मंदिरों के जीर्णोद्धार की खासी जरूरत है। हालांकि, उजड़े मंदिरों के आसपास अब सन्नाटा है। वहीं ज्यादातर मंदिर मुस्लिम बहुल इलाकों में हैं, जिसे खुलवाकर पूजा कराना टेढ़ी खीर हो सकती है।

31 साल बाद खुला 2 हजार साल प्राचीन मंदिर
बता दें कि साल 2019 में जब जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था, तब भारत सरकार ने 50 हजार मंदिरों का पुनर्निर्माण कराने का फैसला लिया था। इन मंदिरों को तोड़कर नष्ट कर दिया गया था। इसे लेकर सरकार ने मंदिरों का सर्वे कराने के लिए एक टीम भी गठित की थी। इसके बाद पिछले साल फरवरी में कश्मीर में स्थित दो हजार साल प्राचीन शीतल नाथ मंदिर 31 साल बाद खोला गया। वहीं कश्मीर के शंकराचार्य, तुलमुला की क्षीर भवानी समेत कई मंदिरों में पूजा-पाठ हो रहा है।

कश्मीर में वैदिक रीति से कराएंगे कर्मकांड
वाराणसी में रविंद्रपुरी स्थित वेद पारायण केंद्रम में काशी विद्वत परिषद की पहली बैठक में बताया गया कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद से मंदिरों के घंटा-घड़ियाल और भोग-राग सब कुछ ठप से हैं। पंडित द्विवेदी ने कहा कि कर्मकांड को अब इवेंट का रूप दिया जा रहा है। कर्मकांड परिषद कश्मीर में सही तरीकों से प्राचीन वैदिक परंपरा और यज्ञ अनुष्ठानों को स्थापित करेगी।

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