कांग्रेस का विकल्प बनेंगे केजरीवाल …

4 राज्यों में जीत के लिए दिग्गज नेताओं की 24 घंटे की ड्यूटी लगाई, IIT के प्रोफेसर को दी BJP का गढ़ भेदने की जिम्मेदारी….

आम आदमी पार्टी की पंजाब में ऐतिहासिक जीत को 2 हफ्ते भी पूरे नहीं हुए और पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मास्टर प्लान भी तैयार कर लिया है। AAP ने 6 राज्यों में चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। ये प्रभारी पार्टी के प्रसार मिशन में जुट गए हैं। आप का एक ही लक्ष्य है कि जिन राज्यों में BJP के मुकाबले सीधे कांग्रेस हैं, वहां कांग्रेस की जगह लेना।

दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन हिमाचल में डेरा डाले हुए हैं, वहीं मंत्री गोपाल राय छत्तीसगढ़ में विजय यात्रा निकाल रहे हैं। पंजाब चुनाव में कुशल रणनीतिकार बनकर उभरे IIT प्रोफेसर संदीप पाठक को अब BJP का गढ़ गुजरात भेदने का जिम्मा दिया गया है। वहीं हरियाणा में सौरभ भारद्वाज पार्टी को नए सिरे से खड़ा कर रहे हैं।

फोकस लोकसभा 2024 नहीं, बल्कि राज्य के विधानसभा चुनाव

आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी पंजाब की जीत को आगे होने विधानसभा चुनाव में भुनाना चाहती है। AAP का टारगेट वो राज्य रहने वाले हैं जहां कांग्रेस और BJP के बीच सीधा मुकाबला है। पार्टी गुजरात और छत्तीसगढ़ में इसी रणनीति के तहत जोर लगा रही है। वहीं पंजाब के पड़ोसी राज्य हिमाचल और हरियाणा में भी पार्टी पंजाब की जीत के दम पर प्रसार की कोशिश कर रही है। सूत्रों का कहना है कि अभी टारगेट पर लोकसभा चुनाव 2024 नहीं है, बल्कि पार्टी अभी विधानसभा चुनावों के जरिए राज्यों में अपने कैडर तैयार करने पर फोकस कर रही है।

आगे पढ़ने से पहले आप इस सवाल का जवाब देकर पोल में पार्टिसिपेट भी कर सकते हैं।

‘कांग्रेस नेताओं को शामिल कराने पर संकोच नहीं करेगी पार्टी’

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया, ‘गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनावों के लिए संगठन में नए स्तर से तैयारियां शुरू हो गई हैं। हमारा फोकस ऐसे राज्यों पर रहेगा, जहां हम कांग्रेस का विकल्प बन सकते हैं। कांग्रेस पार्टी खत्म होने की कगार पर है और कई सारे कांग्रेस के नेता, कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं। ऐसे में हमें उन राज्यों में ज्यादा माइलेज मिलेगा, जहां बीजेपी और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है। पार्टी ने जिन नेताओं को प्रभार दिया है, उनकी जिम्मेदारी होगी कि पार्टी के लिए सदस्यता अभियान चलाएं और पार्टी का बेस बढ़ाने पर काम करें। पंजाब के पड़ोसी राज्यों में आम आदमी पार्टी के लिए अच्छा माहौल बनता दिख रहा है।’

 

गुजरात में मौजूदा BJP सरकार का कार्यकाल 18 फरवरी 2023 को खत्म हो रहा है। ऐसे में संभावना है कि गुजरात में विधानसभा चुनाव इसी साल नवंबर या दिसंबर में कराए जा सकते हैं। गुजरात में आम आदमी पार्टी एक विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है और पार्टी का संगठन जमीनी स्तर पर एक्टिव है। अक्टूबर 2021 को गुजरात में हुए नगर निगम चुनाव में भी आम आदमी पार्टी, कांग्रेस को रिप्लेस कर अपना सिक्का जमा चुकी है। AAP को गांधीनगर में 28%, वहीं सूरत में भी 28% वोट मिले थे। सूरत नगर निगम में AAP के 27 काउंसलर्स जीतकर भी आए थे।

साफ है कि आम आदमी पार्टी गुजरात के शहरों में कांग्रेस की जगह लेती हुई दिख रही है, लेकिन पार्टी की असल चुनौती गांव-गांव तक पहुंचने की होगी। गुजरात की राजनीति को समझने वाले एक्सपर्ट कहते हैं कि AAP को गुजरात में संगठन बनाने पर काम करना होगा और साथ ही पार्टी को गुजरात के स्थानीय चेहरे भी तैयार करने पड़ेंगे।

हिमाचल प्रदेश पहाड़ी राज्य है और AAP के लिए हिमाचल इसलिए खास ये है, क्योंकि ये पंजाब से सटा हुआ है। हिमाचल में फिलहाल BJP की सरकार है जिसका कार्यकाल 8 जनवरी 2023 को पूरा होने वाला है। अनुमान है कि यहां पर भी नवंबर-दिसंबर 2022 में चुनाव हो सकते हैं, इसका मतलब है कि पार्टियों के पास अब करीब 6 महीने का ही वक्त बचा है।

आम आदमी पार्टी ऐलान कर चुकी है कि वो हिमाचल में सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन को हिमाचल प्रदेश में पार्टी को जिताने का जिम्मा दिया गया है। आम आदमी पार्टी हिमाचल के ऊना और कांगड़ा वाले इलाकों पर फोकस कर रही है, इसकी वजह ये है कि ये इलाके पंजाब से लगते हैं। कांगड़ा इलाके में ही राज्य की सबसे ज्यादा 15 विधानसभा सीटें आती हैं। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि पार्टी कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं को पार्टी में शामिल कराने की कोशिश कर रही है। इसी के तहत 21 मार्च को हिमाचल में पार्टी ने यूथ कांग्रेस अध्यक्ष समेत 23 नेताओं को AAP की सदस्यता दिलाई।

हरियाणा आम आदमी पार्टी के लिए दो वजहों से खास है- पहला तो ये कि अरविंद केजरीवाल खुद ही हरियाणा से आते हैं और दूसरा, हरियाणा आम आदमी पार्टी द्वारा शासित दो राज्यों दिल्ली और पंजाब के बीच आता है। पंजाब चुनाव के बाद से आम आदमी पार्टी हरियाणा में एक्टिव हो चुकी है। हरियाणा का प्रभारी सांसद सुशील गुप्ता को बनाया गया है और चुनाव प्रभारी राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज को बनाया गया है।

सौरभ भारद्वाज ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया, ‘पार्टी हरियाणा में एकदम नए सिरे से संगठन को तैयार कर रही है। हमने आम आदमी पार्टी की राज्य कार्यकारिणी को भंग कर दिया है। पार्टी पूरे हरियाणा में सदस्यता अभियान चला रही है और दूसरी पार्टी के नेताओं को AAP में शामिल करने की रणनीति पर काम कर रही है। हम कांग्रेस की खोई हुई साख के जरिए अपनी पार्टी के संदेश को लोगों तक ले जा रहे हैं। लोग भी ये समझ रहे हैं कि कांग्रेस अब भाजपा से मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए लोग नए विकल्प को मौका देंगे।’

पंजाब में जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने बदलाव का नारा दिया, इसी तरह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 21 मार्च को निकाली गई विजय यात्रा में पार्टी ने ‘बदलबो छत्तीसगढ़’ का नारा दिया है। छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय को दी गई है। आम आदमी पार्टी 2017 में छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन तब पार्टी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था।

छत्तीसगढ़ के साथ ही मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी चुनाव होने हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी का फोकस MP और राजस्थान की बजाय छत्तीसगढ़ ही रहने वाला है। इसकी वजह ये है कि आम आदमी पार्टी की इलेक्शन मशीनरी बड़े राज्य को कवर करने में कमजोर साबित हो सकती है। इसलिए पार्टी की रणनीति ये है कि छोटे राज्यों में पूरे दमखम के साथ उतरा जाए।

असम और केरल के भी प्रभारियों का ऐलान, लेकिन अभी फोकस इन पर नहीं

आम आदमी पार्टी ने गुजरात, हिमाचल, हरियाणा और छत्तीसगढ़ के अलावा असम और केरल के प्रभारी भी नियुक्त किए हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों ने बताया कि पार्टी का फोकस फिलहाल विधानसभा वाले चुनावी राज्यों पर रहेगा, लेकिन पार्टी बाकी राज्यों में संगठन तैयार करने में जुट रही है, ताकि पार्टी को राज्य में फलने-फूलने के लिए वक्त मिले।

APP के प्रसार में तीन फैक्टर अहम: संजय कुमार

चुनावी विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं, ‘पंजाब चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी के कैडर का मनोबल बढ़ा हुआ है। ऐसे में आप अब उन राज्यों की तरफ कदम बढ़ा रही है, जहां ये तीन फैक्टर काम करते हों- पहला, जहां BJP और कांग्रेस सीधी लड़ाई में हों और कांग्रेस की कमजोरी का फायदा उठाया जाए। दूसरा, राज्य और विधानसभा क्षेत्र छोटे हों, छोटे क्षेत्रों में प्रचार करना और प्रभाव जमाना आसान होता है। तीसरा, हिंदी भाषी राज्य हों ताकि पार्टी के मौजूदा कैडर का राज्य में अच्छा कनेक्ट बन सके।

इन तीनों पैमानों पर हिमाचल, गुजरात, छत्तीसगढ़ और हरियाणा फिट बैठते हैं। गुजरात और हिमाचल में सबसे पहले चुनाव हैं, इसलिए पार्टी एकजुट होकर इन राज्यों में चुनाव लड़ेगी और फिर अगले राज्यों पर फोकस करेगी। आम आदमी पार्टी के पंजाब में प्रदर्शन को देखते हुए लगता है कि वो कांग्रेस की नाराजगी को भुना सकती है।’

AAP और दूसरी पार्टियों में है एक बड़ा फर्क: अभय दुबे

CSDS में प्रोफेसर अभय कुमार दुबे का मानना है, ‘इस साल हिमाचल और गुजरात में चुनाव होगा, इसलिए आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस सिर्फ इन राज्यों पर रहेगा, लेकिन पार्टी चाहेगी कि दूसरे राज्यों में भी संगठन मजबूत करने का अभियान चलाया जाए। आम आदमी पार्टी छोटे राज्यों को टारगेट कर रही है। आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में भी पूरी कोशिश की, पूरे चुनाव में राज्यसभा सांसद संजय सिंह वहां एक्टिव रहे। संजय सिंह ने मुझे बताया था कि उन्होंने UP चुनाव इसलिए लड़ा ताकि राज्य में आप का संगठन खड़ा हो सके।’

अभय कुमार कहते हैं कि ‘आम आदमी पार्टी के प्रसार को एक सिलसिलेवार ढंग से समझा जाना चाहिए। पहले पार्टी छोटे राज्यों जैसे दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड में जाना चाहती है और आने वाले दिनों में बड़े राज्यों की तरफ बढ़ेगी। आम आदमी पार्टी एक ऐसी पार्टी है जो किसी जाति, समुदाय, धर्म, क्षेत्र की पार्टी नहीं है। जैसी आजादी के बाद वाली कांग्रेस थी, आम आदमी पार्टी भी उसी का एक छोटा संस्करण दिखती है। आम आदमी पार्टी के पास जो सक्षम चुनाव मशीनरी है, ये उसके लिए प्लस पॉइंट है।’

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