चूक गए बलवान … कई दिग्गज योगी कैबिनेट से आउट, जो लगाए थे आस उन्हें नहीं मिली एंट्री, जाति से लेकर ‘पॉलिटिक्स’ तक पड़ी भारी

योगी कैबिनेट 2.0 ने सियासी पंडितों को चौंका दिया। मंत्रिमंडल के 52 चेहरों में 31 नए हैं। कई कद्दावर चेहरे अपनी बारी का इंतजार ही करते रह गए। इस कतार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजेश्वर सिंह जैसे कई नाम शामिल हैं। एक वक्त पर मंत्रिमंडल में मजबूत दावेदारी करके, फिर मंत्रिमंडल में जगह न पाकर ये विधायक सुर्खियों में हैं। आइए आपको बड़े चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने की वजह समझाते हैं…

1.राजेश्वर सिंह
राजनीति में धमाकेदार एंट्री, फिर भी चूके

पहली बार में लखनऊ के सरोजनी नगर सीट से चुनाव जीते।
पहली बार में लखनऊ के सरोजनी नगर सीट से चुनाव जीते।

IPS की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाले राजेश्वर सिंह की एंट्री धमाकेदार रही थी। वो ऐसी शख्सियत हैं, जिनके राजनीति में आने के 24 घंटे के अंदर ही भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया था। लखनऊ की हॉट सीट सरोजनी नगर पर उन्होंने पहले ही चुनाव में जीत दर्ज की। इसके बाद भी उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।

वजह : एक्सपर्ट कहते हैं कि वो ठाकुर जाति से आते हैं। यही उनके मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने की असल वजह रही। ठाकुर जाति के विधायकों की संख्या अधिक है। जाति के साथ क्षेत्रीय समीकरण को साधने वालों को ही मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।
2. पंकज सिंह
रक्षा मंत्री के बेटे हैं, इसलिए नहीं चुने गए

पंकज सिंह ने लगातार दो बार नोएडा विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है।
पंकज सिंह ने लगातार दो बार नोएडा विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है।

इस लिस्ट में दूसरा नाम केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह का है। यूपी के विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी जीत पंकज ने ही दर्ज की। सपा के सुनील चौधरी को 1.81 लाख वोट से हराया, लेकिन कैबिनेट में शामिल नहीं किए गए।

वजह : पंकज के मंत्री नहीं बनने के पीछे की वजह उनके पिता राजनाथ सिंह बताए जाते हैं। दरअसल, भाजपा एक परिवार और एक पद के फॉर्मूले पर काम करती है। पिता के केंद्रीय मंत्री होने की वजह से बेटे को यूपी मंत्रिमंडल में पद नहीं दिया गया। वैसे, सहयोगी दलों पर शायद भाजपा ने ये नियम लागू नहीं किया है। अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल केंद्रीय मंत्री हैं, जबकि उनके पति आशीष पटेल को यूपी कैबिनेट में जगह मिली है।
3. महेंद्र सिंह
सीएम से नजदीकी भी काम नहीं आई

महेंद्र सिंह लंबे समय तक संगठन में रहे।
महेंद्र सिंह लंबे समय तक संगठन में रहे।

योगी 1.0 में महेंद्र को सबसे बड़ा मंत्रालय दिया गया था। ये था जलशक्ति। गठन के साथ ही महेंद्र को जिम्मेदारी दी गई थी। संगठन में भी उनकी सेवाएं लंबे समय रही। इसलिए MLC बनाकर मंत्रिमंडल में जगह मिली थी, लेकिन इस बार वो चूक गए।

वजह : यह कहानी उनकी कार्यशैली से शुरू होती है। महेंद्र जरूर सीएम के नजदीक बताए जाते हैं, लेकिन मंत्रालय की परफॉर्मेंस से उन्होंने निराश किया। यही वजह रही कि उन्हें जगह नहीं मिल सकी।
4. अदिति सिंह
रायबरेली की राजनीति का शिकार हुईं

अदिति सिंह को भाजपा ने रायबरेली से टिकट दिया।
अदिति सिंह को भाजपा ने रायबरेली से टिकट दिया।

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से बगावत करके भाजपा में शामिल हुईं कांग्रेस विधायक अदिति सिंह को भाजपा ने रायबरेली से टिकट दिया। अदिति चुनाव जीतकर दूसरी बार विधायक बनीं। युवा और महिला का मजबूत चेहरा होने के बावजूद उन्हें मौका नहीं मिला।

वजह : रायबरेली की सियासत इसकी वजह बताई जा रही है। रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। अदिति पहले कांग्रेस के टिकट पर ही जीत कर विधानसभा पहुंची थीं। इन्हें राहुल और प्रियंका का करीबी माना जाता था। अब अदिति को लेकर हाईकमान में ही तस्वीर स्पष्ट नहीं है।

5. आशुतोष टंडन
बेहद खराब परफॉर्मेंस बनी वजह

आशुतोष टंडन योगी की पिछली सरकार में नगर विकास मंत्री थे।
आशुतोष टंडन योगी की पिछली सरकार में नगर विकास मंत्री थे।

आशुतोष टंडन योगी की पिछली सरकार में नगर विकास मंत्री थे। वो वरिष्ठ नेता लालजी टंडन के बेटे हैं। पंजाबी समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं। मध्य लखनऊ में जातीय समीकरण साधने से लेकर पार्टी के थिंक टैंक की भूमिका अदा करते हैं। प्रदेश भर की कारोबारी लॉबी में उनकी अच्छी पैठ है।

वजह : योगी सरकार 1.0 को उनके मंत्रालय से बहुत उम्मीद थी, लेकिन उनके मंत्रालय की खराब परफॉर्मेंस इसकी वजह बनी है।

6. श्रीकांत शर्मा
अब संगठन में मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी

ऊर्जा मंत्रालय संभालते हुए श्रीकांत शर्मा को सभी ने सराहा।
ऊर्जा मंत्रालय संभालते हुए श्रीकांत शर्मा को सभी ने सराहा।

श्रीकांत शर्मा योगी की पहली कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री थे। श्रीकांत यूपी राजनीति का बड़ा नाम हैं। बिजली आपूर्ति को लेकर उनके काम की भी काफी तारीफ हुई। अब धार्मिक नगरी मथुरा से उन्होंने चुनाव जीता। बावजूद इसके उनको जगह नहीं मिली।

वजह : कहा जा रहा है कि श्रीकांत दिल्ली की राजनीति करना चाहते है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वो मथुरा से टिकट चाह रहे थे। खबर है कि पार्टी 2024 में उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़वाएगी। एक धड़ा ये भी संकेत दे रहा है कि भाजपा उनको संगठन में बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में है।

7.सतीश महाना
मंत्री नहीं, अब विधानसभा अध्यक्ष बनेंगे

महाना की विवादित और कट्टर नेता की छवि रही है।
महाना की विवादित और कट्टर नेता की छवि रही है।

सतीश महाना योगी कैबिनेट 1.0 में शामिल थे। 8 बार चुनाव जीता। कल्याण सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं। परिवार संघ से जुड़ा रहा है। महाना की विवादित और कट्टर नेता की छवि रही है, लेकिन इस बार महाना को जगह नहीं मिली।

वजह : सतीश महाना को इस बार सीनियर होने की वजह से विधानसभा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
8. अपर्णा यादव
घर और परिवार से बगावत काम न आई

अपर्णा के नाम पर संगठन ने सहमति नहीं दी।
अपर्णा के नाम पर संगठन ने सहमति नहीं दी।

मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा ने परिवार और पार्टी से बगावत की। वो भाजपा में आईं थीं। चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा का खूब प्रचार भी किया था। पीएम मोदी के रोड शो के दौरान वाराणसी भी गईं थीं। सिर्फ यही नहीं, शपथ ग्रहण कार्यक्रम में अपर्णा के पोस्टर अटे पड़े थे।

वजह : अपर्णा के नाम पर संगठन ने सहमति नहीं दी। कहा जा रहा है कि अपर्णा को पहले संगठन में जिम्मेदारी दी जाएगी। 2024 में मौका मिल सकता है।

9. दिनेश शर्मा
पहली बार डिप्टी सीएम, दूसरी बार हाथ खाली

योगी सरकार में डिप्टी सीएम रहे दिनेश शर्मा को इस बार मौका नही मिला है।
योगी सरकार में डिप्टी सीएम रहे दिनेश शर्मा को इस बार मौका नही मिला है।

संगठन के पुराने कार्यकर्ता हैं। लखनऊ के मेयर और योगी सरकार में डिप्टी सीएम रहें दिनेश शर्मा को इस बार मौका नहीं मिला है। स्वच्छ और ईमानदार छवि वाले दिनेश शर्मा विधानसभा चुनाव लड़ने से बचते रहे थे।

वजह : ब्राह्मण चेहरे पार्टी में अधिक हैं। यही वजह रही कि इस बार पार्टी दिनेश को केंद्रीय संगठन में मौका दे सकती है।

10 सिद्धार्थ नाथ सिंह
संगठन ने दिए संकेत, अब 2024 की करो तैयारी

सिद्धार्थ नाथ योगी कैबिनेट में हमेशा ही अहम मंत्रालयों को संभालते रहे।
सिद्धार्थ नाथ योगी कैबिनेट में हमेशा ही अहम मंत्रालयों को संभालते रहे।

2017 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली से सीधे यूपी आए सिद्धार्थ नाथ सिंह को पहली सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय दिया गया था। बाद में, मंत्रालय बदल दिया गया। अब मंत्रालय से बाहर कर दिया गया है। माना जा रहा था कि केंद्रीय नेताओं के बेहद करीबी सिद्धार्थ नाथ को मौका जरुर मिलेगा, लेकिन ऐसा हो नही सका।

वजह : इसके पीछे की वजह उनका क्षेत्र है। माना जा रहा है कि पार्टी सिद्धार्थ नाथ सिंह को 2024 में प्रयागराज से मैदान में उतार सकती है।

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