स्कूलों का नया सत्र 1 अप्रैल से शुरू होगा …. दो साल बाद 5वीं तक के स्कूलों में 100% क्षमतासे पहुंचेंगे बच्चे …..

 विशेषज्ञ बोले-खेल-खेल में पढ़ाई कराएं, सख्त अनुशासन से हो सकता है तनाव…..
शहर के स्कूलों में 1 अप्रैल से नया शिक्षा सत्र शुरू होगा। दो साल के कोरोना संक्रमण के बाद स्कूलों का सत्र व्यवस्थित रूप ये पहली बार शुरू हो रहा है। नए सत्र में कुछ छोटे बच्चे तो ऐसे होंगे जिन्होंने एलकेजी और यूकेजी की पढ़ाई घर पर कर ली, अब पहली कक्षा में पहली बार स्कूल पहुंच रहे हैं।

कक्षा 5 तक के विद्यार्थी भी दो साल की ऑनलाइन पढ़ाई के बाद स्कूल की शक्ल देखेंगे। ऐसे बच्चों को शुरुआती तौर पर विशेष रूप से खेल-खेल में पढ़ाना होगा तभी वह स्कूल के माहौल से समायोजित हो पाएंगे, अभिभावकों को भी इस दौरान बच्चों पर विशेष ध्यान देना होगा। 3 से 6 माह तक धीरे-धीरे बच्चे स्कूल के माहौल से समायोजित हो जाएंगे।

…….  ने इस मुद्दे पर वरिष्ठ मनोचिकित्सक, शिक्षण विशेषज्ञ और स्कूल संचालकों से बात की तो शुरुआती तौर पर स्कूल जाने वाले प्राइमरी बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने, सख्त अनुशासन में न रखने तथा खेल-खेल में पढ़ाए जाने के सुझाव ही निकलकर आए।

बच्चों को रुचिकर खेल के जरिए पढ़ाई से जोड़ें: डॉ. उदैनिया

जयारोग्य अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. कमलेश उदैनिया का कहना है कि जो बच्चे पहली बार स्कूल जाएंगे, कोविड हो या न हो, एलकेजी यूकेजी या प्ले ग्रुप में जाते हैं उन्हें परेशानी होती है। वॉल्वी थ्योरी ऑफ अटैचमेंट अनुसार बच्चों में सेपरेशन एंजाइटी ज्यादा होती है। डर रहता है।

उन्हें ऐसा लगता है कि उन्हें अपनों से दूर भेजा जा रहा है। इससे मानसिक परेशानी होती है। ऐसे में शिक्षक को बच्चों को फिजिकल एक्सरसाइज के साथ रिलेक्सेशन एक्सरसाइज करवाएंगे जिससे वह रिलेक्स हों, स्कूल में माहौल ऐसा देना होगा जिससे उन्हें अभिभावकों की याद कम आए या आए ही न।

एज्युकेशन के साथ फिजीकल एक्टिविटी भी जरूरी, इसके बाद बच्चों का मन स्कूल में लगने लगेगा

बड़े बच्चे जो प्राइमरी तक की कक्षाओं में पढ़ते हैं, दो साल से घर में बैठे रहे हैं, उनका मन घर के माहौल में रम गया है। ऐसे स्कूल में शिक्षकों को उनका उत्साहवर्धन करना होगा ताकि उनका मन स्कूल में लगने लगे। शिक्षकों को विजुअल तरीके से पढ़ाना होगी ताकि ऑनलाइन स्टडी से वह एकदम खुद को दूर न समझें और उनकी समझ में जल्द आए। अभिभावकों को बच्चों का उत्साहवर्धन करना होगा, उनसे स्कूल के बारे में भी लगातार बातचीत करना होगी।

बच्चों का प्रिव्यू करें, पढ़ाई का गैप दूर करने के लिए विशेष कक्षाएं लें

शिक्षा महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. एसबी ओझा कहते हैं दो साल घर पर रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों को विशेष रूप से व्यवस्थित करना होगा। ऐसे बच्चों का प्रिव्यू करना हो, बच्चे पिछली कक्षाओं की पढ़ाई में कितना सीखे और कितना गेप रहा। इसके बाद इस गेप की भरपाई के लिए विशेष कक्षाएं भी आयोजित करना चाहिए।

शिक्षकों को अनुशासन रखने के साथ ही कुछ रियासत भी देना होगी, यानि अनुशासन एकदम सख्त न हो। सख्त अनुशासन में बच्चे तनाव में आएंगे। इसके साथ ही पहले खेल-खेल में पढ़ाई करवाई जाए, एकदम सिलेबस न थोपा जाए। बच्चे जब स्कूल में एडजस्ट हो जाएं तब उन्हें विषय वस्तु पढ़ाई जाए।

प्राइवेट सीबीएसई स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल श्रीवास्तव का कहना है कि स्कूलों में शुरुआत में बच्चों की एक्टिविटी क्लास पर जोर दिया जाएगा। पिछले साल की पढ़ाई को भी कवर करेंगे। सिलेबस की पढ़ाई शुरू की जाएगी। ताकि बच्चे स्कूल के माहौल से अभ्यस्त हो सकें।…..

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