सत्ता और शिक्षा के महत्व को समझाती है अभिषेक बच्चन की ‘दसवीं’, जूनियर बच्चन और यामी की एक्टिंग बचाती है फिल्म को

कहानी: हरित प्रदेश के मुख्यमंत्री गंगाराम चौधरी यानी अभिषेक बच्चन को शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में कोर्ट न्यायिक हिरासत में भेज देता है। जेल जाते हुए वो अपनी कुर्सी अपनी पत्नी बिमला देवी यानी निम्रत कौर के नाम करते जाते हैं। बिमला ने अभी तक अपना पूरा समय गाय, भैंस और घर के कामों में बिताया था। लेकिन हमेशा चुप रहने वाली बिमला देवी इस पद और पावर से एक पल के लिए घबरा जाती है।

इधर जेल में गंगा राम का जीवन बेहद आराम से बीत रहा था। लेकिन तभी लगाम लगाने आती हैं, नई जेल अधिक्षक ज्योति देसवाल यानी यामी गौतम। वह चौधरी की चौधराहट के सामने झुकने से इंकार करती है और उससे जेल के सारे काम करवाती है। यहां दोनों के बीच लगातार अनबन और तू-तू मैं-मैं भी होती है।

इसी बीच ज्योति उसे ‘अनपढ़ गंवार’ कह देती है, जो बात आठवीं पास चौधरी के दिल पर लगती है। तब तक इधर बिमला देवी को सत्ता का नशा सर चढ़ने लगता है, वह मुख्यमंत्री की कुर्सी से लगाव हो जाता है। कुर्सी पर बने रहने के लिए वह राजनीति सीखती है। इसी बीच गंगाराम चौधरी दसवीं की परीक्षा देने का फैसला लेते हैं। जेल में चौधरी जैसे-जैसे परीक्षा की तैयारी करता है, उसे शिक्षा का महत्व समझ आता है। हालांकि, उसे पढ़ाई में कठिनाई भी बहुत होती है। तो गंगा राम राजनीति और दसवीं दोनों परीक्षा में पास हो पाते हैं या नहीं.. पूरी फिल्म इसी के आसपास रहती है। ‘आंखें सबके पास हैं, लेकिन नजर किसी किसी के पास ही होती है.. दिमाग हर किसी के पास होता है, लेकिन समझ किसी किसी के पास ही होती है…’ फिल्म का यह डायलॉग घर कर जाता है।

एक्टिंग: गंगाराम चौधरी के रूप में अभिषेक बच्चन ठीक लगे हैं। उनमें एक स्वैग है, जो इस कैरेक्टर पर ठीक बैठता है। किसी के सामने और अपने उसूलों पर चलने वाली पुलिस अधिकारी के कैरेक्टर में यामी गौतम ने बेहतरीन काम किया है। ज्योति के कैरेक्टर करने के बाद यामी ने साबित किया है, वह हर नए किरदार के सतह तक जाती हैं। वहीं बिमलादेवी के कैरेक्टर में निम्रत कौर ने भी अपनी उपस्थिति अच्छे तरीके से दिखाई है।

डायरेक्शन: तुषार जलोटा की यह पहली फिल्म है। फिल्म का विषय और इसके पीछे का उद्धेश्य अच्छा है। फिल्म समाज में व्यंग्य के साथ-साथ आपको एंटरटेन करने की भी कोशिश करती है। लेकिन फिल्म कई जगह कमजोर लगती है। फिल्म का फर्स्ट हॉफ काफी स्लो है। बाकी फिल्म शिक्षा और राजनीति जैसे विषय को दिखाती है। वह शिक्षा के महत्व पर फोकस करते हैं। फिल्म में गंगाराम के जरिए बताते हैं कि कैसे शिक्षा किसी की भी सोच और समझ को बदल सकती है।

कनक्लूजन: ‘दसवीं’ एक सोशल कॉमेडी फिल्म है। फिल्म में कुछ तो कमियां हैं, लेकिन इसका विषय अच्छा है। अभिषेक बच्चन, निम्रत कौर और यामी गौतम.. तीनों ही इस बार कुछ अलग अंदाज में सामने आए हैं, जो देखना दिलचस्प होगा। दैनिक भास्कर की ओर ‘दसवीं’ को 2.5 स्टार।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *