नेशनल सिविल सर्विस डे आज … मध्यप्रदेश में 1018 आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों की जरूरत, लेकिन हैं 842 इनमें से 190 मुख्यालयों में बैठे हैं

प्रदेश में अभी भी 176 अफसरों की कमी, आईपीएस सर्विस में 70 एडीजी स्तर के अफसर, इनमें से 10 केंद्र सरकार में पदस्थ…..

समस्या यह है कि मप्र में जो 842 अफसर हैं, इनमें से करीब 190 अधिकारी मुख्यालय में हैं। यह सेंक्शन पोस्ट से भी अधिक हो गए हैं, जबकि फील्ड में महज 20 फीसदी ही हैं। जैसे आईपीएस सर्विस में कुल 70 एडीजी स्तर के अफसर हैं। इनमें से करीब 10 डेपुटेशन पर केंद्र सरकार में पदस्थ हैं। यानी करीब 60 अफसर भोपाल या फिर जोन में कार्यरत हैं। वहीं डीआईजी स्तर के अफसर सिर्फ 32 ही बचे हैं।

यह है आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के पदों की स्थिति

आईएएस- मप्र में आईएएस अफसरों की कुल संख्या 417 है। इनमें से 360 अफसर ही मप्र के पास हैं। इनमें से भी 8 फीसदी यानी 29 अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इनमें एसीएस स्तर के 23 और पीएस स्तर के 36 अफसर हैं। इन 23 एसीएस में से 18 अफसर केंद्र में हैं।

आईपीएस- 12 साल पहले मुख्यालय में 8 एडीजी स्तर के अफसर थे, अब 70 हैं। इनमें से 10 डेपुटेशन वालों को कम कर दें तो 60 अभी काम कर रहे हैं। अब एडीजी की जोन में आईजी की जगह पोस्टिंग शुरू कर दी है। एमपी में 305 पद सेंक्शन हैं, इनके विरुद्ध 253 पदों पर ही अफसरों की पोस्टिंग हैं।

आईएफएस- फॉरेस्ट सर्विस में 296 पद सेंक्शन हैं, इनमें से 180 स्टेट गर्वमेंट काे मिले हुए हैं। इनके विरुद्ध 192 अफसर हैं, लेकिन फील्ड पर तैनात एसडीओ 8 और कंसरवेटर फॉरेस्ट 11 ही हैं। वहीं, पीसीसीएफ स्तर के 15 और एपीसीसीएफ स्तर के 45 अफसर भोपाल मुख्यालय में पदस्थ हैं।

वन विभाग का हाल डमरु जैसा

फील्ड पर काम करने वाले मध्य स्तर के अफसर कम हो गए हैं। विभाग का हाल डमरु जैसा हो गया, जहां ऊपर और नीचे तो भरपूर अफसर हैं, लेकिन मध्य में कमी है। -सुदेश वाघमारे, पूर्व डिप्टी कंजरवेटर, फॉरेस्ट

त्रिकोण उलटा हो गया

यह स्थिति एक-दो साल में सुधरेगी, क्योंकि 2000 से 2008 के बीच आईपीएस कम मिले थे। अब एडीजी स्तर के अफसर रिटायर्ड होंगे। फिर भी सरकार को रिक्त पदों को भरना चाहिए। – विजय वाते, पूर्व एडीजीपी एडमिन

जल्दी सुधार नहीं होने वाला

इस स्थिति मं सुधार जल्द नहीं होने वाला है। इसके भविष्य में भारी नुकसान है। असल में यह प्रमोशन की चाह का मामला है। ऊपर बैठे अफसर समय पर प्रमोशन लेते हैं और इस चक्कर में पद क्रिएट किए जाते हैं।
केएस शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव, मप्र शासन

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