तेजी से खत्म हो रहे जंगल:2021 में दुनिया से हर मिनट 10 फुटबॉल मैदान के बराबर जंगल साफ हुए, CO2 उत्सर्जन 7% बढ़ा

दुनिया में जंगल तेजी से साफ हो रहे हैं। साल 2021 में दुनिया से हर मिनट 10 फुटबॉल मैदान के बराबर जंगल खत्म हो गए। इनका एरिया 2,53,000 वर्ग किलोमीटर है। यानी, उत्तर प्रदेश के कुल 240,928 वर्ग किलोमीटर एरिया से भी ज्यादा।

हालत ये है कि ट्रॉपिकल जंगलों की कटाई से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में 7% की बढ़ोतरी हुई। ये बढ़ोतरी भारत की कुल आबादी द्वारा किए गए CO2 उत्सर्जन के बराबर है। जंगलों पर किए गए नए शोध में यह बातें सामने आई हैं।

2021 में 38 लाख हेक्टेयर ट्रॉपिकल जंगल खत्म हुए

साल 38 लाख हेक्टेयर ट्रॉपिकल जंगल दुनिया भर से खत्म हो गए। हालांकि, ये साल 2020 के मुकाबले 11% कम हैं।
साल 38 लाख हेक्टेयर ट्रॉपिकल जंगल दुनिया भर से खत्म हो गए। हालांकि, ये साल 2020 के मुकाबले 11% कम हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड का जंगलों को लेकर वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, बीतेे साल 38 लाख हेक्टेयर ट्रॉपिकल जंगल दुनिया भर से खत्म हो गए। हालांकि, ये साल 2020 के मुकाबले 11% कम हैं।

जंगलों के खात्मे में ब्राजील और कांगो टॉप पर

कुल 15 लाख हेक्टेयर जंगल केवल ब्राजील में खत्म हुए।
कुल 15 लाख हेक्टेयर जंगल केवल ब्राजील में खत्म हुए।

दुनिया में सबसे ज्यादा रेन फॉरेस्ट ब्राजील में हैं। वहां जंगलों के खत्म होने का दर भी सबसे ज्यादा है। कुल 15 लाख हेक्टेयर जंगल वहीं खत्म हुए। ये अकेले दुनिया के जंगलों के खत्म होने के कुल एरिया का 40% है। दूसरे नंबर पर अफ्रीकी देश कांगो में खत्म हुए जंगलों से यह तीन गुना है।

ब्राजील में आग नहीं लगने वाले पेड़ों की संख्या में भी 9% की कमी आई है। अमेजन के जंगलों में कमी की यह दर 2006 के बाद से सबसे ज्यादा है। राहत की बात यह है कि ट्रॉपिकल जंगलों के उलट उत्तरी वन वापस उग आते हैं। इस वजह से इन ट्रॉपिकल वनों के विनाश की दर 4 फीसदी से भी कम है।

खतरनाक स्थिति में अमेजन, बदल सकता है ईको सिस्टम

ब्राजील में आग नहीं लगने वाले पेड़ों की संख्या में भी 9% की कमी आई है।
ब्राजील में आग नहीं लगने वाले पेड़ों की संख्या में भी 9% की कमी आई है।

अमेजन के जंगलों को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह अपने अस्तित्व को लेकर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि बदलते पर्यावरण की वजह से यह एरिया सवाना जैसे ईको सिस्टम में बदल जाएगा। इसे उपाय कर रोकना होगा।

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