क्लीनिक में डॉक्टर की कमी … जिले में खुलेंगे 12 नए संजीवनी क्लीनिक, लेकिन जो पहले से स्वीकृत उनमें स्थायी डाॅक्टर्स ही नहीं

गरीब और वंचित वर्ग को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार जिले में 12 नए संजीवनी क्लीनिक खोलने जा रही है, इनमें चार क्लीनिक अकेले भिंड शहर में खोले जाएंगे। जबकि हकीकत यह है कि एक साल पहले शहर में दो संजीवनी क्लीनिक स्वीकृत हुए थे। लेकिन इनमें एक आज तक नहीं खुल पाया है। वहीं जो क्लीनिक खुला भी है, उसमें डाक्टर की स्थाई तैनाती अब तक नहीं हो सकी है।

बता दें कि प्रदेश सरकार दिल्ली सरकार की तर्ज पर नगरीय क्षेत्रों में मोहल्ला क्लीनिक तो खोलने जा रही है। लेकिन पहले से खुले अस्पतालों में डाक्टरों की पूर्ति नहीं कर पा रही है। ऐसे में सरकार की यह योजना शुरुआती दौर से ही फेल होती नजर आ रही है। अभी हाल में भिंड जिलें 12 संजीवनी क्लीनिक स्वीकृत हुए हैं।

यह क्लीनिक गरीब और वंचित वर्ग की आबादी के बीच खोले जाने हें। हालांकि वह बात अलग है प्रस्तावित नए 12 क्लीनिक में से तीन पिछले वर्ष ही स्वीकृत हो गए हैं, जिसमें दो भिंड शहर में ही खोले जाने थे। इनमें से एक क्लीनिक अटेर रोड पर खोल दिया गया है। जबकि दूसरा जगह के अभाव में अभी तक खुल ही नहीं सका है। वहीं जो क्लीनिक अटेर रोड पर खुला है, उसमें भी डॉक्टर की अब तक स्थायी तैनाती नहीं हो सकी है। बल्कि अल्टरनेटिव व्यवस्था के तहत काम चलाया जा रहा है।

भिंड शहर में चार संजीवनी क्लीनिक खोले जाने हैं। इसके अलावा मेहगांव, गाहेद, लहार, रौन, मौ और गोरमी क्षेत्र में भी एक- एक संजीवनी क्लीनिक खोला जाना प्रस्तावित है। यह क्लीनिक गरीब और वंचित वर्ग की 20 से 25 हजार की आबादी के बीच में खोले जाएंगे।

नगरीय निकाय जमीन देने के साथ कराएंगे निर्माण
संजीवनी क्लीनिक की खोलने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार ने नगरीय आवास एवं विकास विभाग को दी है। यानि सभी नगरीय क्षेत्रों में नगरीय निकाय ही संजीवनी क्लीनिक के लिए जमीन चिंहित करेंगे। साथ ही उसका निर्माण कराएंगे। 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत एक क्लीनिक के लिए 25 लाख रुपए का बजट नगरीय निकाय को दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि एक क्लीनिक 1600 वर्गफीट में बनाकर तैयार किया जाएगा।

सिविल डिस्पेंसरी, दो शहरी केंद्र, इन पर नहीं मिलते डॉक्टर

भिंड जिला मुख्यालय पर जिला अस्पताल के अलावा एक सिविल डिस्पेंसरी और दो शहरी स्वास्थ्य केंद्र है। लेकिन मरीजों को डॉक्टर इन पर भी बहुत कम ही मिलते हैं। यही वजह है कि शहर के मरीजों का पूरा दबाव जिला अस्पताल में रहता है।

सिविल डिस्पेंसरी गर्ल्स स्कूल वाली गली में है। इसके अलावा शहरी स्वास्थ्य केंद्र भवानी पुरा और विक्रमपुरा पर संचालित है। इन सभी एक- एक डॉक्टर की पोस्टिंग है। लेकिन इनका संचालन एएनएम और स्वास्थ्य कर्मचारियों के भरोसे चल रही है। ऐसे में अब शहर में चार नए ओर संजीवनी क्लीनिक खुलने जा रहे हैं।

मेडीकल ऑफिसरों के भरोसे चल रहा जिला अस्पताल
जिले में स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स 69 पद हैं। इनमें से 60 पद लंबे समय से खाली पड़े हुए हैं। ऐसे में जिले के ज्यादातर सरकारी अस्पताल मेडिकल ऑफिसरों और बंधपत्र वाले डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं। आलम यह है कि सर्वाधिक मरीजों का दबाव झेलने वाले जिला अस्पताल में स्पेशलिस्ट डॉक्टर के 39 पद है, जिसमें 32 लंबे समय खाली पड़े हुए हैं। डाक्टर की कमी दूर करने के लिए सिविल सर्जन, सीएमएचओ कई बार कलेक्टर के माध्यम से शासन को पत्र भी लिखवा चुके हैं। लेकिन अब तक कमी दूर नहीं हो पाई है।

डॉक्टर की कमी दूर करने लगातार पत्राचार किया जा रहा है
जिले में 12 संजीवनी खोले जा रहे हैं। इन क्लीनिकों का निर्माण नगरीय निकायों द्वारा किया जाएगा। शासनस्तर से इन्हें स्वीकृत किया गया है। अत: डॉक्टर की पूर्ति भी शासन स्तर से की जाएगी। जिला अस्पताल सहित जिले में स्पेशलिस्ट डॉक्टर की कमी दूर करने के लिए शासन को लगातार पत्राचार किया जा रहा है।
-डॉ. एसके व्यास, सीएमएचओ, जिला भिंड

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