बदल रही है सोच:66% पुरुष बोले- पत्नी थकी है तो वह संबंध बनाने से इनकार कर सकती है, इसमें बुराई नहीं
मैरिटल रेप क्राइम है या नहीं, इस पर बहस जारी है। इस बीच राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) में खुलासा हुआ है कि पुरुषों का एक बड़ा वर्ग इस बात से इत्तेफाक रखता है कि यदि महिला थकी हुई है तो पति से शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर सकती है। महिलाओं के इस फैसले को सही मानने वाले पुरुषों का आंकड़ा 66% है।
इसी सर्वे में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया और 80% ने माना कि सिर्फ एक यही नहीं बल्कि 2 और कारण भी हैं, जिनके चलते वे पति से संबंध बनाने से इनकार कर सकती हैं।
8 साल में महज 3% पुरुषों की सोच बदली
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 में 15-49 साल की उम्र के पुरुष और महिलाओं को शामिल किया गया था। इसके पहले हुए NFHS-4 (2015-16) के सर्वे के आधार पर पुरुषों की संख्या में 8 साल में महज 3% का ही इजाफा हुआ है, जो इस बात से सहमत हैं कि महिलाओं को इन तीनों कारणों के चलते संबंध बनाने से इनकार करने का अधिकार है। हालांकि इस मामले में महिलाओं की संख्या 12% बढ़ी है।
दो फेज में हुआ था NFHS-5 का सर्वे
NFHS-5 का यह सर्वे दो फेज में हुआ। पहला फेज 17 जून 2019 से 30 जनवरी 2020 तक चला। जिसमें 17 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों से जानकारी इकट्ठा की गई।
फेज 2 का सर्वे 2 जनवरी 2020 से 30 अप्रैल 2021 तक 11 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में हुआ।
पुरुषों से पूछा गया- क्या उन्हें ऐसे व्यवहार का अधिकार है
- गुस्सा होना और पत्नी को फटकारना।
- पत्नी को पैसे देने से मना करना।
- पत्नी से मारपीट करना।
- उसके न चाहते हुए भी उससे यौन संबंध बनाना।
- कहीं और जाकर दूसरी स्त्री से संबंध बनाना।
पति की मारपीट से महिलाओं को ऐतराज नहीं
मौजूदा दौर में जब लोग सेहत और कल्चर को लेकर ज्यादा अवेयर हो गए हैं, तब इस सर्वे से एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। 44% पुरुषों का मानना है कि पत्नी को पीटना सही है। हैरानी की बात ये है कि 45% महिलाएं भी इसे सही मानती हैं। मारपीट को सही ठहराने वाली महिलाओं की संख्या पिछले सर्वे की तुलना में जहां 7% घटी है। वहीं पुरुषों के मामले में यह संख्या 2% बढ़ी है। इसके लिए उन्होंने 7 मुख्य कारण भी बताए हैं।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने दिया था ऐतिहासिक फैसला
सेक्स और मैरिटल रेप से जुड़े एक मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने मार्च 2022 में एक ऐतिहासिक फैसला दिया था, जिसमें कहा था कि शादी, पुरुष को विशेषाधिकार देने का लाइसेंस या क्रूर और जानवर बनने का लाइसेंस नहीं देती है। कोर्ट ने एक पत्नी के सेक्शुअल असॉल्ट के लिए उसके पति के खिलाफ रेप के आरोप को बरकरार रखते हुए कहा था- एक आदमी केवल आदमी है, अधिनियम सिर्फ अधिनियम है और रेप केवल रेप है, चाहे वह किसी पति ने अपनी पत्नी से किया हो। यदि यह एक पुरुष के लिए दंडनीय है, तो यह पति के लिए भी दंडनीय होना चाहिए।
क्या कहता है मौजूदा IPC का कानून?
भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद के तहत, एक पुरुष का अपनी पत्नी जिसकी उम्र 18 साल से ज्यादा है, उसके साथ संबंध बनाना, बलात्कार नहीं है। इसे ही चुनौती देते हुए, NGO आरआईटी फाउंडेशन और ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन सहित कई याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट में दायर किया गया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था, लेकिन सरकार ने इसके लिए समय मांगा है।