प्रदेश की पहली साइकोलॉजी लैब … एक्सीलेंस कॉलेज में बनेगी प्रदेश की पहली साइकोलॉजी लैब, यहां छात्र फेस एक्सप्रेशन, आंखों के भाव और बोलने के तरीके से जानेंगे मन की बात
- आईईएचई में अभी बीए साइकोलॉजी कोर्स होता है… अब नए सत्र से शुरू हो जाएगा एमए साइकोलॉजी कोर्स
- संस्थान का दावा है कि इस तरह की साइंटिफिक लैब प्रदेश के किसी भी कॉलेज में नहीं
राजधानी के इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सीलेंस इन हायर एजुकेशन (आईईएचई) में प्रदेश की पहली साइकोलॉजी लैब तैयार हो रही है। इसमें स्टूडेंट्स काउंसलिंग के साथ ही सायकोलॉजी के कई पहलुओं से संबंधित प्रैक्टिकल भी कर सकेंगे। संस्थान का दावा है कि इस तरह की साइंटिफिक लैब प्रदेश के किसी भी कॉलेज में नहीं है।
यह पहली लैब होगी, जहां इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर फोकस किया जा रहा है। यहां छात्रों को फेशियल एक्सप्रेशन, आंखों, बोलने के तरीके से मन के भाव जानना सिखाया जाएगा। अब तक आईईएचई में बीए साइकोलॉजी कोर्स संचालित होता था। जुलाई से शुरू होने जा रहे नए शैक्षणिक सत्र से एमए साइकोलॉजी भी शुरू किया जा रहा है। इसी के मद्देनजर यहां सायकोलॉजी लैब बनाई जा रही है।
टेस्ट के एनालिसिस के आधार पर शुरू होगी काउंसलिंग
लैब में छात्रों को मनोवैज्ञानिक समस्या दूर करने के लिए संबंधित व्यक्ति के ऑब्जेक्टिव, सब्जेक्टिव या प्रोजेक्टिव टेस्ट लेना सिखाया जाएगा। इन टेस्ट के एनालिसिस के आधार पर उसकी काउंसलिंग शुरू होगी। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान यह ध्यान में रखा जाएगा कि सामने वाला बात करने में, अपने विचार रखने में किसी तरह का संकोच न करे, तभी उसकी सही तरीके से काउंसलिंग संभव हो सकेगी। छात्रों को इस दौरान आंख, व्यक्ति के बाेलने के तरीके, हिचक, चेहरे के हावभाव, बॉडी लैंग्वेज आदि से जुड़ी बारीकियां भी बताई जाएंगी। इसमें क्वश्चेनायर आदि भी शामिल रहेंगे।
हॉल में 10 केबिन होंगे
लैब के लिए हॉल में 10 केबिन बनाए जाएंगे। इनकी खासियत यह होगी कि काउंसलर व संबधित व्यक्ति की आवाज बाहर सुनाई नहीं देगी। अन्य लैब में खड़े होकर काम होता है, लेकिन इसमें बैठकर होगा।
वर्बल-नॉन वर्बल कम्युनिकेशन
साइकोलॉजी डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. अनुपम शुक्ला ने बताया कि लैब में छात्रों को वर्बल और नॉन वर्बल कम्युनिकेशन के माध्यम से भी स्टडी करवाई जाएगी।
जुलाई-अगस्त तक हो जाएगी तैयार
मप्र के किसी कॉलेज में साइकोलॉजी की यह पहली लैब होगी, जहां विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं को ध्यान में रखा जा रहा है। काउंसलिंग के तरीके, छोटे केबिन में आमने-सामने की सिटिंग, कंफर्ट, इसके टूल्स, इक्यूपमेंट आदि लैब में होंगे। जुलाई-अगस्त तक यह तैयार हा़े जाएगी।
-डॉ. प्रज्ञेश अग्रवाल, डायरेक्टर, आईईएचई