वॉटर नेटवर्क का ब्लू प्रिंट ही नहीं … इंदौर में ‘स्काडा’ से होती है पानी सप्लाई की ऑनलाइन मॉनिटरिंग और भोपाल में ‘अंदाज’ से; नतीजा- 12 करोड़ लीटर पानी रोज बर्बाद
राजधानी में बड़ा तालाब, कोलार डैम, नर्मदा नदी, केरवा डैम जैसे चार बड़े स्रोत और ट्यूबवेल सब मिलाकर 110 ओवरहेड टैंक से 540 एमएलडी (54 करोड़ लीटर रोजाना) पानी सप्लाई हो रहा है। लेकिन नगर निगम को यही नहीं पता कि कहां, किस डायमीटर की, कितनी लंबी लाइन बिछी है। वॉल्व के ऑपरेशन का भी मैन्युअल निगम के पास नहीं है। यानी पूरे सप्लाई नेटवर्क का कोई ब्लू प्रिंट ही नहीं है।
इसके उलट इंदौर सहित देश के कई शहरों में पानी सप्लाई की मॉनिटरिंग ऑनलाइन स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजीशन) के जरिए हो रही है। इससे इंदौर रोज करीब 2 करोड़ लीटर पानी लीकेज में बर्बाद होने से बचा रहा है। भोपाल में आलम ये है कि 60 फीसदी आबादी को पानी सप्लाई करने वाले कोलार नेटवर्क में नई लाइन से सप्लाई शुरू होने के बाद भी शहर में 12 करोड़ लीटर पानी लीकेज में बर्बाद हो रहा है। यहां असली समस्या पानी की कमी नहीं, बल्कि उसके मैनेजमेंट की है।
जानिए ये हैं… भोपाल के पानी सप्लाई नेटवर्क की बड़ी खामियां
- कोलार नेटवर्क से 15 करोड़ 30 लाख लीटर पानी शहर की 60% आबादी को सप्लाई होता है और बाकी नेटवर्क से सप्लाई होने वाला 38.70 करोड़ लीटर पानी शेष 40% आबादी को सप्लाई हो रहा है।
- {24 लाख आबादी व 150 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से जरूरत सिर्फ 360 एमएलडी (36 करोड़ लीटर रोज) की है। रोजाना 120 एमएलडी (12 करोड़ लीटर रोज) पानी बर्बाद होता है। यह पानी 8 लाख लोगों के काम आ सकता है।
- चार इमली और 74 बंगला जैसे इलाकों में 2-3 घंटे पानी सप्लाई होता है, जबकि कोहेफिजा और अन्य क्षेत्रों में एक दिन छोड़कर हो रहा है।
- जहांगीराबाद और एेशबाग के कुछ क्षेत्रों में एक दिन में दो बार पानी सप्लाई हो रहा है।
- ब्लू प्रिंट न होने से कटारा हिल्स, प्रोफेसर्स कॉलोनी, शिवाजी नगर, नेहरू नगर, भरत नगर, अशोका गार्डन, ऐशबाग समेत कई जगह डबल लाइन बिछा दी। इन लाइन से पानी बर्बाद हो रहा है।
- भदभदा रोड, मिसरोद, 11 मील, रायसेन रोड, करोंद आदि क्षेत्रों में बसी नई कॉलोनियों के साथ पुराने शहर की भी कई भीतरी गलियों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है।
- नई कोलार लाइन बिछाते समय मैनिट के रिजरवायर से नेहरू नगर और कोटरा सुल्तानाबाद की टंकियां जोड़ना भूल गए। अब इसके लिए कोलार तिराहे से 4 किमी लंबी 750 एमएम की नई लाइन बिछाई जाएगी।
- पुराने शहर के शाहजहांनाबाद क्षेत्र में रात 3 बजे पानी सप्लाई होता है।
- चूनाभट्टी, बावड़ियाकला, अवधपुरी की 20 कॉलोनियों में 150 किमी तक लाइन बिछाई, लेकिन उपयोग नहीं हो रहा है।
ब्लू प्रिंट हो तो यह फायदा
- हर क्षेत्र में किस ओवरहेड टैंक से कितनी आबादी को कितना पानी सप्लाई होता है इसका हिसाब रखा जा सकेगा।
- आबादी के हिसाब से समान सप्लाई कर सकेंगे।
- वॉल्व के ऑपरेशन का मैन्युअल होने से उस पर कंट्रोल आसान होगा।
पानी सप्लाई के यह हैं जिम्मेदार
दो साल पहले रिटायर हुए चीफ इंजीनियर के पद पर कॉन्ट्रेक्ट पर कार्यरत एआर पवार लंबे समय से पानी सप्लाई व्यवस्था के प्रभारी हैं। उनका तर्क है कि नई कोलार लाइन शुरू होने से अब हालात सुधरेंगे। उन्होंने स्वीकार किया है कि शहर की कई कॉलोनियों में ज्यादा सप्लाई होती है।
अब तो स्काडा की जरूरत
नई तकनीक और आटोमेशन के हिसाब से अब तो ब्लू प्रिंट के बजाय स्काडा की जरूरत है। स्मार्ट सिटी के शुरुआती प्रोजेक्ट में स्काडा सिस्टम की प्लानिंग हुई थी, लेकिन अब इसे केवल बड़े तालाब तक सीमित कर दिया गया है। अभी इसका काम भी शुरुआती स्टेज पर है।
अब तो स्काडा की जरूरत
नई तकनीक और आटोमेशन के हिसाब से अब तो ब्लू प्रिंट के बजाय स्काडा की जरूरत है। स्मार्ट सिटी के शुरुआती प्रोजेक्ट में स्काडा सिस्टम की प्लानिंग हुई थी, लेकिन अब इसे केवल बड़े तालाब तक सीमित कर दिया गया है। अभी इसका काम भी शुरुआती स्टेज पर है।
क्या है स्काडा- हर अपडेट स्क्रीन पर
स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन) एक ऑटोमेशन सिस्टम है। इसमें पूरे पानी के नेटवर्क की ऑनलाइन मॉनिटरिंग होती है। इससे कहीं भी लीकेज या अन्य कोई दिक्कत होने पर यदि पानी नहीं पहुंचता है या दबाव कम होता है तो उसकी तुरंत जानकारी मिल जाती है।
हम ब्लू प्रिंट बना रहे
हम जोन स्तर पर पानी सप्लाई के ड्राइंग्स को इकट्ठा कर ब्लू प्रिंट बना रहे हैं। इससे सिस्टम में कसावट आएगी। पहले चरण में बड़े तालाब के नेटवर्क पर स्काडा लगा रहे हैं।
-वीएस चौधरी कोलसानी, कमिश्नर, नगर निगम