ग्वालियर … सड़क पर अमृत … 54 दिन में 25 स्थानाें पर फूटीं पाइप लाइनें, बर्बाद हाे गया लाखों लीटर पानी

अमृत प्रोजेक्ट में बिछाईं गईं पानी की सप्लाई लाइनों के फूटने से गर्मी में पीने का पानी बर्बाद हो रहा है। पिछले करीब 54 दिन में 25 स्थानों पर 1000 एमएम व्यास से लेकर 6 इंच मोटी पानी की लाइनें फूट गईं। इस कारण लाखों लीटर पानी सड़क पर बहकर बर्बाद हो गया। यह सिलसिला 1 अप्रैल से शुरू हुआ और लगातार जारी है। लाइनें फूटने की वजह इनका सही मिलान न हाेना, तेज प्रेशर से सफाई नहीं करने से कचरा जमा होना और तकनीकी गड़बड़ी को माना जा रहा है।

दरअसल, केंद्र सरकार की सहायता से अमृत प्रोजेक्ट-1 में पेयजल सप्लाई के लिए अधोसंरचना निर्माण पर 330 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। यह काम टाइम लिमिट (ढाई साल) के बाद भी पूरा नहीं हो सका है, लेकिन जो लाइनें बिछाईं गईं उनमें सप्लाई शुरू करने के बाद एक के बाद एक उनके फूटने का सिलसिला शुरू हो गया है।

इससे अमृत प्रोजेक्ट में हुए काम एवं बिछाईं गईं लाइनों की हकीकत सामने आ गई है। निगम के जानकारों का कहना है कि पानी की लाइनों को तेज प्रेशर के साथ परीक्षण किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यही कारण है कि हर दूसरे दिन पानी की लाइनें फूट रही हैं।

ये हैं पानी के प्रोजेक्ट

  • कांक्रीट उद्योग लि.झांसी ने तिघरा बांध से जलालपुर से अनुबंध कर 21.5 किमी तक की 1600 एमएम व्यास की लाइन डाली गई है। इस पर 42.30 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।
  • विष्णु प्रकाश आर पुंगलिया ने 160 एमएलडी काजल शोधन संयत्र जलालपुर पर 53.65 करोड़ रुपए में बनाया है।
  • 43 टंकियों का निर्माण 41 करोड़ रुपए में करना था। इसमें से 42 टंकियां ही बनेंगी।
  • 59.5 किलोमीटर क्षेत्र में फीडर लाइन डाली गई है। इस पर18 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
  • जल वितरण नलिकाएं बिछाने का कार्य पर 777 किमी में 122 करोड़ रुपए खर्च किए गए है।
  • मोतीझील प्लांट और तिघरा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर किए गए कार्यों के लिए 43.7 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

पानी का लाइनें फूटने से सड़कें हो रहीं खराब

शहर में बार-बार फूट रहीं पानी की लाइनों से डामर और आरसीसी की सड़कें खराब हो रही हैं। अभी वैसे भी पुरानी खुदी सड़कों को अमृत प्रोजेक्ट में पूरी तरह ठीक नहीं कराया गया है। अब पानी की लाइनों के फूटने से निगम की सड़कें खराब हो रही हैं। इनको ठीक कराने की समस्या सामने आ रही हैं, क्योंकि अधिकारी एक-दूसरे पर डाल रहे हैं।

जिम्मेदार अफसर का तर्क

सिर्फ अमृत योजना में डाली गईं पानी की लाइन ही नहीं फूट रही हैं। फूट तो पानी की दूसरी लाइनें भी रही हैं। बस सिर्फ नजरिया देखने का अलग हो सकता है। हां हम फिर भी फूटी लाइनों को ठीक करा रहे हैं। -आरएलएस मौर्य, अधीक्षण यंत्री, पीएचई, नगर निगम

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