MP में नेता ही लड़ेंगे चुनाव, बेटे नहीं …. ?

CM शिवराज, सिंधिया सहित 8 भाजपा नेता खुद लड़ेंगे, मलैया-शेजवार बेटों को लड़ाएंगे, 4 बोले- वेट एंड वॉच…

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा के बयान ने मध्यप्रदेश के 60+ उम्र के नेताओं के प्लान पर पानी फेर दिया है। नड्‌डा के फॉर्मूले के मुताबिक बेटे को टिकट देना है, तो खुद को हटना पड़ेगा। प्रदेश के कई नेता अपने बेटों को लॉन्च करने की तैयारी में हैं। लेकिन अधिकतर का कहना है कि वह खुद ही चुनाव लड़ेंगे, बेटे को बाद में मौका मिलेगा।

मप्र भाजपा में 15 प्रमुख पॉलिटिशियन हैं, जिनकी उम्र ज्यादा है, साथ ही उनका बेटा या बेटी अगले विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने का मौका देख रहे हैं। दैनिक भास्कर ने इन सभी 15 नेताओं से पूछा- नड्‌डा का फॉर्मूला आने के बाद आप खुद चुनाव लड़ेंगे या बेटे को उतारेंगे? कुछ ने डायरेक्ट, कुछ ने इनडायरेक्ट जवाब दिया। कुछ ‘खामोश’ रहे। लब्बोलुआब निकला कि 15 में से 8 नेता फिलहाल बेटे की बजाय खुद चुनाव लड़ेंगे। इनमें प्रमुख नाम हैं- शिवराजसिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, दीपक जोशी और अर्चना चिटनीस।

जयंत मलैया और गौरीशंकर शेजवार ही ऐसे नेता हैं, जो खुद चुनाव लड़ने की बजाय अपने बेटों के टिकट के लिए लड़ेंगे।

भाजपा ने पिछले उपचुनाव में खंडवा लोकसभा और रैगांव विधानसभा सीटों पर दिवंगत सांसद, विधायक के पुत्रों को टिकट न देकर भी यह संदेश दे दिया था कि पार्टी में अब परिवारवाद नहीं चलेगा। नेताओं में घबराहट है कि कहीं खुद भी न लड़े और बेटे को भी टिकट न मिले तो दोहरा नुकसान हो जाएगा। शायद इसीलिए अधिकतर नेता अब कह रहे हैं कि ‘हम ही चुनाव लड़ेंगे।’

पहले बात उन नेताओं की जिनके बेटा-बेटी पॉलिटिकल क्यू में हैं…
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्रसिंह तोमर, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव, गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन, जयंत मलैया, दीपक जोशी, अर्चना चिटनीस के अलावा प्रभात झा। ये प्रमुख नाम हैं।

…………ने प्रमुख नेताओं के मन की बात जानने की कोशिश, देखिए क्या सामने आया-

 

भाजयुमो में एक भी नेता पुत्र को जगह नहीं
कहा जाता है कि बीजेपी में युवा मोर्चा नेता पुत्रों का लॉन्चिंग पैड है लेकिन दिसंबर 2021 में भाजयुमो की नई कार्यकारिणी में एक भी नेता पुत्र को जगह नहीं दी गई है। यानी प्रदेश संगठन ने नेता पुत्रों की ‘सियासी तरक्की’ पर रोक लगा दी है।

कैलाश विजयवर्गीय पहले ही यह कर चुके हैं
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी के इस फॉर्मूले को पहले ही भांप चुके थे। वे खुद संगठन में शिफ्ट हो गए और अपनी जगह बेटे को विधायक का टिकट दिला दिया। पुत्र आकाश विजयवर्गीय वर्तमान में इंदौर से विधायक हैं।

परिवारवाद पर शिवराज-गोपाल भार्गव के बेटों के बयान

मुझे पार्टी से टिकट नहीं चाहिए

परिवारवाद की बात करें तो दो प्रकार के लोग होते हैं। एक-चांदी का चम्मच मुंह में लेकर आते हैं। तुरंत कोई पद लेकर कुछ न कुछ बन जाते हैं। दूसरे- मेरी तरह होते हैं। मैं न कोई पद की उम्मीद कर रहा हूं और ना मुझे पार्टी से टिकट चाहिए।
– कार्तिकेय, शिवराज सिंह चौहान के पुत्र (यह बयान पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान दिया था)

परिवारवाद का कलंक लेकर राजनीति नहीं

इतने बड़े संकल्प को लेकर पार्टी राष्ट्रहित में एक युद्ध लड़ रही है। परिवारवाद का कलंक लेकर राजनीति नहीं करना चाहता। मोदीजी के वंशवाद के खिलाफ आए बयान के बाद से मैं खुद से गिल्टी महसूस कर रहा हूं।
 अभिषेक भार्गव, गोपाल भार्गव के पुत्र (यह बयान 23 मार्च 2019 को दिया था।)

एक किस्सा ऐसा भी.. शिवराज के मंत्री का बदल गया बयान

शिवराज सरकार में MSME मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा बैकफुट पर आ गए हैं। उन्होंने कहा- फिलहाल निकाय चुनाव पर फोकस है। परिवारवाद के बारे में बोलने का समय नहीं है, जबकि इसी साल 22 अप्रैल को उनका बयान आया था। इसमें उन्होंने कहा था- परिवारवाद पर पीएम मोदी का अर्थ सिंपल है। जिसके परिवार से राजनीति में पिछले 5-7 साल से एक्टिव ना हो, जमीन पर कोई काम नहीं किया है। सीधे उसको अवसर नहीं दिया जाए। उन्होंने कहा कि कई नेताओं के बच्चे पार्टी में फुलटाइम काम कर रहे हैं, तो क्या आप इसीलिए नाम काटना चाहते हैं।

विजय शाह बोले- मंत्री का बेटा होना गलती नहीं

वन मंत्री विजय शाह के बेटे दिव्यादित्य ने खंडवा जिला पंचायत के वार्ड नं 14 से जिला पंचायत सदस्य के लिए नामांकन दाखिल किया है। बुधवार को शिवपुरी में विजयशाह ने कहा कि ये चुनाव निर्दलीय होता है। इसमें पार्टी सिंबल नहीं दिया जाता। जहां तक बेटे का सवाल है, तो दिव्यादित्य पिछले 15 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। मंत्री का बेटा होने में उसकी तो कोई गलती नहीं है।

नेता पुत्रों पर बीजेपी का स्टैंड
पार्टी सूत्रों का कहना है कि ऐसा करने के पीछे नए चेहरों को सामने लाने के अलावा राज्य में परिवारवाद पर अंकुश लगाना भी बड़ा मकसद है। पार्टी लगभग यह भी मन बना चुकी है कि एक परिवार से एक व्यक्ति ही उम्मीदवार बनाया जाएगा। अगर उस परिवार का सदस्य संगठन में पदाधिकारी है तो भी उसे टिकट नहीं दिया जाएगा। हां उसके पास यह विकल्प चुनने का अवसर जरूर रहेगा कि वह संगठन का पद छोड़ दे और अपने लिए अथवा परिवार के सदस्य के लिए टिकट मांगे।

 

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