मध्यप्रदेश में मानसून पर लगा ब्रेक, इतने दिन बाद फिर होगा सक्रिय

 राजधानी भोपाल सहित पूरे मध्यप्रदेश में बरसात का दौर लगभग थम गया है। साथ ही फिलहाल एक सप्ताह तक मानसून की बरसात के कम ही आसार जताए जा रहे हैं। मौसम विज्ञानी इसे मानसून ब्रेक बता रहे हैं। देश में पूरी तरह से छाने के पहले ही मप्र में मानसून ब्रेक होने से मौसम विज्ञानी भी हतप्रभ हैं। विज्ञानियों का कहना है कि अक्सर ऐसी स्थित अगस्त के मध्य में बनती है,लेकिन जुलाई में संभवतः पहली बार बरसात का दौर अचानक थमा है। इसकी एक वजह मानसून के पहले सिस्टम(कम दबाव का क्षेत्र) के ग्वालियर तक पहुंचने के बाद राजस्थान की बजाए उत्तरप्रदेश की तरफ जाना भी है। दूसरी वजह जलवायु परिवर्तन भी बताई जा रही है।

मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी एसके डे ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में कोई भी मानसूनी सिस्टम नहीं है। इस वजह से बरसात का दौर फिलहाल थम गया है। अभी 3-4 दिन तक अच्छी बरसात होने की संभावना भी नहीं दिख रही। दरअसल मानसून द्रोणिका वर्तमान में हिमालय की तराई में पहुंच गई है। ऐसी स्थिति को मानसून ब्रेक माना जाता है। मानसून ब्रेक की स्थिति अमूमन अगस्त माह में बनती है,लेकिन इस बार जुलाई के पहले सप्ताह में ही मानसून ब्रेक हुआ है। डे के मुताबिक अभी राजस्थान का कुछ हिस्सा मानसून से अछूता है। उधर मौसम विज्ञान के पूर्व निदेशक डॉ.डीपी दुबे ने बताया कि जुलाई में मानसून ब्रेक की स्थिति हैरान करने वाली है। जुलाई में संभवतः पहली बार मानसून ब्रेक

दुबे के मुताबिक इस बार बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़ा कम दबाव का क्षेत्र मानसून की आमद का कारण बना था। इस सिस्टम से पूरे प्रदेश में अच्छी बरसात हुई। लेकिन ग्वालियर के बाद यह सिस्टम राजस्थान की तरफ जाने के बजाए उत्तरप्रदेश की तरफ बढ़ गया। इससे राजस्थान में अभी तक मानसून पूरी तरह नहीं छा पाया है। साथ ही मप्र में भी बरसात का दौर थम गया। इसके अरब सागर में बना एक सिस्टम ओमान की तरफ बढ़ गया। साथ ही अपने साथ मानसून की काफी ऊर्जा ले गया। उधर मानसून द्रोणिका भी हिमालय की तराई में पहुंच गई है। इससे राजधानी सहित पूरे प्रदेश में बरसात की गतिविधियां थम गई हैं।

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