ग्वालियर.. अपराधों का खुलासा, अपराधी भी दबोचे लेकिन रिकवरी में मिली मात

रिकवरी में मात खाती पुलिस, पुलिस से ज्यादा लुटेरे शातिर
हुंडी के नाम पर 70 करोड़ का चूना

ग्वालियर. यह पुलिस की खामी है या क्रिमिनल्स की होशियारी, लेकिन पिछले कुछ समय से पुलिस के लिए बड़ी चुनौती जरूर है कि उसने सनसनीखेज वारदातों की गुत्थियां तो सुलझाई हैं। इन्हें अंजाम देने वालों की गर्दन भी नापी है. लेकिन इन अपराधों में लोगों ने जो जमा पूंजी गंवाई है, उसे अपराधियों की हलक से निकालने में उसके हाथ लगातार मात ही आई है। सवाल उठता है आखिर रिकवरी में अपराधी पुलिस को गच्चा कैसे दे रहे हैं। इसका खामियाजा कहीं न कहीं अपराधों का शिकार होने वालों को उठाना पड़ रहा है।

मैनावली गली में रहने वाले हुंडी दलाल आशीष गुप्ता पर शहर के करीब 80 से ज्यादा कारोबारियों ने हुंडी के नाम पर 70 करोड़ रुपए हड़पने का आरोप लगाया। घटना से शहर में खलबली मच गई। दालबाजार, नया बाजार सहित शहर के तमाम मुख्य बाजारों के कारोबारी लामबंद हो गए। इंवेस्टीगेशन के लिए एसटीएफ बनाई गई। पुलिस की जांच में बताया गया आशीष ने कारोबारियों का पैसा डबरा के सट्टेबाज मोनू गुप्ता, भोपाल के सटोरिए दिलीप सिंधी और सागर के आशीष जैन के जरिए आइपीएल सट्टे में फूंका है। आशीष जैन, दिलीप सिंधी, आशीष को भी पुलिस खाली हाथ उठा लाई। अब केस सीआइडी को चला गया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामला ठगी का है इसमें रिकवरी पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है।

अभी कुछ अपराधी पकड़ से बाहर हैं

संपति संबंधी अपराधों के कुछ आरोपी अभी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। उनकी गिरफ्तारी पर भी वारदात में लूटा गया पैसा और गहना बरामद होगा। इसके अलावा संपति संबंधी अपराधों में रिकवरी का ग्राफ 77 प्रतिशत के करीब रहा है। जिन मामलों में अपराधी पकड़ से बाहर हैं उनमें रिकवरी होना बाकी है। इन वारदातों के आरोपियों को लगातार तलाशा जा रहा है। अमित सांघी, एसएसपी

अपराधियों की बजाय पीड़ित पर सवाल

पीड़ितों की परेशानी है उनसे ठग, लुटेरे कितना पैसा और गहना ले गए हैं उसकी सही तादात और कीमत तो वह खुद ही बता सकते हैं। लेकिन अपराधियों के सामने आने के बाद पुलिस उनकी बात पर भरोसा करने से बचती है।

अपराधी जो दलील देता है, उस पर यकीन किया जाता है, ऐसा क्यों। अपराधी गिरफ्त में आने से पुलिस के खाते में आया संगीन अपराध तो ट्रेस होता है, लेकिन उसकी झूठी दलीलों से उनका जो पैसा और सोना गया उसकी भरपाई नहीं होती।

तीन एटीएम काटकर 43.67 लाख की लूट

हरियाणा के अपराधियों की टीम ने शहर में घुसकर 49 मिनट में तीन एटीएम काटकर 43.67 लाख लूटकर खुली चुनौती दी। करीब 36 घंटे में पुलिस ने पता लगा लिया कि एटीएम कटर गैंग मेवात, हरियाणा से आई थी। मुरेना पुलिस के साथ ज्वॉइंट ऑपरेशन मेें हरियाणा जाकर लुटेरों के गांव में दविश देकर एक आरोपी को उठा भी लिया। करीब सवा महीने बाद पुलिस ने ताल ठोकर खुलासा किया शहर के तीनो एटीएम पलवल के लुटेरे शैफुद्दीन, मुबारक ने महू मेवाती के गैंग मेंबर राशिद और आमिर के साथ मिलकर काटे थे। गिरोह का सरगना खालिद था। पुलिस ने यह भी खुलासा किया लूटी रकम में सबसे बड़ा हिस्सा खालिद को 30 लाख रुपए, शैफुद्दीन को 5 लाख, मुबारक को 3.5 लाख, राशिद को 1 लाख और आमिर को 50 हजार रुपए मिला था। गिरोह से एटीएम काटने में इस्तेमाल गैस कटर, औजार, ब्लैक स्प्रे भी बरामद होना बताए, लेकिन एटीएम से लूटे 43.67 लाख रुपए नहीं वसूल पाई। क्योंकि यह लुटेरे भी खाली हाथ उसकी गिरफ्त में आए।

एक्सपर्ट व्यू

शिवप्रताप सिंह सिकरवार, रिटायर्ड सीएसपी

संगीन अपराधों को अंजाम देने वाले बदमाश कानून और पुलिस की कार्रवाई से वाफिक होते हैं। उन्हें पुलिस की खामियों की भी जानकारी होती है। उसका फायदा अपराधी संपति संबंधी अपराधों में उठाते हैं। इसके अलावा कई बार इंवेस्टीगेशन के दौरान पुलिस पर तमाम तरह के दवाब भी आते हैं। उनकी वजह से भी विवेचना प्रभावित होती है। इसका फायदा भी कहीं न कहीं अपराधियों को मिलता है।

प्रोफेसर के घर दिनदहाड़े डकैती : पंचशील नगर में एमआइटीएस के प्रोफेसर शिशिर दीक्षित के घर से 6 बदमाशों ने दिनदहाड़े डाका डालकर करीब 45 लाख का गहना और 60 हजार रुपए नकद लूटा। 24 घंटे में 71 पुलिसकर्मियों की 11 टीम ने लुटेरों को ढूंढ भी लिया। उनसे लूट की कहानी और 137 ग्राम सोना भी बरामद किया। लेकिन लूटे गए गहने की तादात को लेकर पुलिस और प्रोफेसर का परिवार उलझ गए, क्योंकि दीक्षित दंपती का कहना है उनकी अलमारी में तीन पीढ़ियों के करीब एक किलो वजन के गहने थे। लुटेरे सब समेट कर ले गए, जो रिकवरी हुई है वह तो लूटे गए गहनों का आधी भी नहीं है।

 

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