सबसे स्वच्छ इंदौर का सबसे गंदा बाजार …? नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं

सबसे स्वच्छ इंदौर का सबसे गंदा बाजार:क्लॉथ मार्केट की ड्रैनेज 200 साल पुरानी; व्यापारी बोले- नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं…

निगम चुनाव का शोर आज थम जाएगा। आर्थिक राजधानी होने से सभी राजनीतिक पार्टियां व्यापारियों और आमजन को रिझाने में लगी हुई हैं। चुनावी शोर के बीच agritpatrika.com एक ऐसे बाजार में घूमा, जहां से देश ही नहीं विदेशों तक तक कपड़ा जाया करता था। आज भी यह प्रदेश का सबसे बड़ा कपड़ा मार्केट है। हालांकि यह बाजार भी अन्य बाजारों की तरह समस्याओं से जूझ रहा है।

200 साल पहले स्थापित इस बाजार के विकास का ब्लू प्रिंट तो महाराजा तुकोजीराव होलकर ने तैयार किया ही था, इस बाजार को काफी सुंदर भी बनाया था। आज भी तुकोजीराव द्वारा बनवाई गई बैक ड्रैनेज लाइन से ही यहां की गंदगी बाजार से बाहर निकल रही है। हालांकि इसके टूटने से अब बाजार में बदबू भी फैलती है। ड्रैनेज और संकरी गलियां यहां की सबसे बड़ी समस्या है।

4 एकड़ में फैला है बाजार क्लॉथ मार्केट
क्लॉट मार्केट के सचिव कैलाश मूंगढ़ ने बताया कि 200 साल पुराने बाजार में रोजाना 10 से 15 हजार ग्राहक आते हैं। यहां पर 2 हजार से ज्यादा दुकानें हैं। इन दुकानों से हर दिन 30 से 35 करोड़ का कारोबार होता है। इसे मिला दें तो हर महीने यहां हजार करोड़ का व्यापार होता है। चार पहिया वाहन तो इन संकरी गलियों में देखने को नहीं मिलते, लेकिन 4 से 5 हजार दो पहिया वाहन यहां हर समय खड़े मिल जाएंगे। व्यापारी एसोसिएशन हर शॉप से 3100 रुपए साल का मेंटेनेस लेता है। गाड़ियों के अलावा रोजाना यहां लोडिंग ऑटो और ठेलेवालों के कारण विवाद की स्थति बनी रहती है।

बाजार में बना यह मुख्य बाजार स्थित दरवाजे को तोड़ दिया गया है।
बाजार में बना यह मुख्य बाजार स्थित दरवाजे को तोड़ दिया गया है।

महाराज तुकोजीराव ने बनाया था मार्केट का ब्लू प्रिंट
व्यापारियों का कहना था कि बाजार बनाने के साथ ही महाराजा तुकोजीराव ने 200 साल पहले पानी की निकासी के लिए बैक ड्रैनेज लाइन बनवाई थी। यह लाइन आज भी काम आ रही है। खूबसूरती के लिहाज से बाजार की सभी दुकानें भी एक जैसी ही बनाई गई थी। पूरे बाजार में दुकानों की साइज 15 बाय 40 की थी। पहले नीचे दुकान और ऊपर रहने की व्यवस्था थी, लेकिन पार्किंग समेत कुछ अन्य परेशानियों के कारण सिर्फ 5 प्रतिशत व्यापारी ही परिवार समेत यहां रह रहे हैं।

बाजार में शौचालय तो है लेकिन हालत अच्छी नहीं है।
बाजार में शौचालय तो है लेकिन हालत अच्छी नहीं है।

बाजार की सुरक्षा के लिए थे 8 दरवाजे
क्लॉट मार्केट में सुरक्षा की दृष्टि से 8 दरवाजे बनाए गए थे। गेट सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक खुले रहते थे। यदि किसी को इसके बाद अंदर-बाहर होना होता था तो पहले गेट पास इश्यू करवाना होता था। हालांकि अब गेट तो टूट चुके हैं, लेकिन वर्तमान में मार्केट की सुरक्षा 70 सीसीटीवी के जिम्मे है। हालांकि स्मार्ट सिटी में आने वाले इस बाजार की गलियां इतनी संकरी हैं कि बड़ी गाड़ियां भीतर घुस ही नहीं सकती हैं।

बाजार में पार्किंग की बड़ी समस्या है। 4 से 5 हजार दो पहिया वाहन यहां हर समय खड़े मिल जाएंगे।
बाजार में पार्किंग की बड़ी समस्या है। 4 से 5 हजार दो पहिया वाहन यहां हर समय खड़े मिल जाएंगे।

पहले कपड़ा बनता था, अब सिर्फ ट्रेडिंग
इंदौर को पहचान को यहां की मिलों ने दिलवाई, यहां कभी 7 मिलें हुआ करती थीं। इन सभी की एक-एक दुकान क्लॉथ मार्केट में हुआ करती थीं। हालांकि समय के साथ बंद होती गईं और दुकानें क्लॉथ मार्केट से गायब होती गईं। उस दौर में यहां से कपड़ा बनकर विदेशों तक जाया करता था। हालांकि अब इंदौर के व्यापारी सूरत, अहमदाबाद, मुंबई और भीलवाड़ा से कपड़े लाकर इंदौर के बाजारों में सप्लाई करते हैं।

हर समय ट्रैफिक की समस्या बनी रहती है।
हर समय ट्रैफिक की समस्या बनी रहती है।

पार्टी का उम्मीदवार चुनाव के पहले नहीं बाद में आए तो माने
व्यापारियों का कहना था कि क्लॉट मार्केट में एसोसिएशन द्वारा ही कई मूलभुत सुविधा जैसे शौचालय, प्याऊ बनवा लिए गए हैं। सरकार उनका रखरखाव ही कर ले तो बहुत है। उनका कहना है कि चुनावी माहौल में तो सभी पार्टी- प्रत्याशी आते हैं। चुनाव खत्म होने के बाद आएं तो मानूं। ऐसा हो जाए तो फिर प्रत्याशी को वोट मांगने किसी बाजार में जाने की जरूरत ही नहीं पड़े।

बाजार में लगे प्याऊ की हालत खराब है।
बाजार में लगे प्याऊ की हालत खराब है।

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