सदन में सवाल पूछकर गायब हुए विधायकों को दोबारा मौका नहीं
भोपाल. सदन में सवाल पूछकर गायब रहने वाले विधायकों के मामले में अब सख्त कदम उठाया जा रहा है। उन्हें प्रश्नकाल में दोबारा प्रश्न पूछने का मौका नहीं मिलेगा। विधानसभा के मानसून सत्र से यह व्यवस्था लागू होने जा रही है। पिछले सत्र के प्रश्नकाल के दौरान सवाल पूछने के बाद गैरहाजिर रहे विधायकों की भी स्पीकर ने रिपोर्ट मांगी है। देखा जा रहा है कि वे किस कारण से अनुपस्थित रहे।
कुल एक घंटे के प्रश्नकाल में स्पीकर अधिकतम 25 लिखित सवालों को लेते हैं। इनका चयन लॉटरी से सदन की कार्यवाही के करीब एक हफ्ते पहले किया जाता है। इन्हें तारांकित प्रश्नों की श्रेणी में शामिल किया जाता है। कई मौके ऐसे भी आए जब पूर्व सूचना दिए जाने के बावजूद भी संबंधित विधायक सदन में उपस्थित नहीं रहे। ऐसे विधायकों पर सख्ती की जा रही है।
पिछले सत्र में 6 से अधिक विधायक रहे नदारद
वि धानसभा के पिछले सत्र में स्पीकर गिरीश गौतम ने नवाचार करते हुए पहली बार के विधायकों के लिए एक दिन निर्धारित किया था। प्रश्नकाल में इन्हें सवाल पूछने का मौका दिया। सवाल पूछने के लिए जब इनका नाम पुकारा गया तो छह से अधिक विधायक गैर हाजिर रहे। अब इन विधायकों की जानकारी जुटाई जा रही है कि ये किस कारण से सदन से गैरहाजिर रहे। इन्होंने उस दिन उपस्थिति पत्रक में हस्ताक्षर किए थे या नहीं।
बड़ा फैसला
यह भी सुविधा
विधानसभा में विधायकों को यह सुविधा है कि यदि वे प्रश्नकाल में किसी कारण से अनुपिस्थत रहते हैं तो सदन में सूचना देकर अन्य विधायक अपना सवाल पूछने के लिए अधिकृत कर सकते हैं।
लोकसभा में सख्ती
सदन में सवाल पूछकर अनुपस्थित रहने वाले सांसदों के मामले में सख्ती की जाती है। पिछले सत्र में ऐसे सांसदों को पूरे सत्र के दौरान सवाल पूछने पर रोक लगा दी गई थी। मध्यप्रदेश विधानसभा भी लोकसभा अध्यक्ष के निर्णय के तहत कदम बढ़ा रही है।
प्रश्नकाल विधायकों के लिए महत्वपूर्ण होता है। जिन्हें सवाल पूछने का मौका मिलता है, उन्हें उपस्थित रहना चाहिए। यदि इन्हें वास्तव में उपस्थित नहीं रहना हो तो अन्य को मौका मिलना चाहिए। लोकसभा के निर्णय का विधानसभा में भी पालन किया जाएगा। – गिरीश गौतम, अध्यक्ष मप्र विधानसभा