2024 में ‘अकेले’ होंगे अखिलेश!:शिवपाल के बाद राजभर ने भी दिया गठबंधन तोड़ने का संकेत; क्या टारगेट 80 के लिए ये BJP की चाल?

सपा और सुभासपा के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। सीएम योगी से बात और अमित शाह से मुलाकात के बाद ओमप्रकाश राजभर ने अपने सहयोगी दल सपा को झटका दिया है। शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेन्स करके उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की घोषणा की।

इससे पहले चाचा शिवपाल यादव भी अखिलेश से नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। वो अपनी पार्टी को मजबूत करके नगर निकाय चुनाव में सपा के खिलाफ प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर रहे हैं। सपा का सहयोगी रहा महान दल भी अब गठबंधन से अलग है।

ऐसे में अखिलेश का पॉलिटिकल कुनबा बिखर रहा है। चर्चा है कि लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश को अकेला करने की ये भाजपा की चाल है।

ये तस्वीर विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान की है। सपा दफ्तर में अखिलेश अपने सहयोगी ओपी राजभर, शिवपाल यादव और कृष्णा पटेल के साथ हैं।
ये तस्वीर विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान की है। सपा दफ्तर में अखिलेश अपने सहयोगी ओपी राजभर, शिवपाल यादव और कृष्णा पटेल के साथ हैं।

एक-एक कर खुल रही है गठबंधन की गांठ
विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश ने RLD, SBSP, महान दल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, एनसीपी, जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), अपना दल (कमेरावादी) जैसे दलों के साथ गठबंधन किया। चुनाव के बाद अब एक-एक कर गठबंधन के ये साथी साथ छोड़ रहे हैं।

विधान सभा चुनाव 2022 के चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश और जयंत चौधरी की यह लाल पोटली वाली तस्वीर चर्चाओं में रही थी।
विधान सभा चुनाव 2022 के चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश और जयंत चौधरी की यह लाल पोटली वाली तस्वीर चर्चाओं में रही थी।

क्या टारगेट 80 के लिए यह भाजपा की चाल है?
राजभर ने शुक्रवार को बताया,”योगी और अमित शाह के कहने पर ही NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं।” शिवपाल यादव भी मुर्मू के सम्मान में सीएम आवास पर हुए डिनर में शामिल हुए थे। वरिष्ठ पत्रकार सैयद कासिम कहते हैं, “ऐसा ही चलता रहा तो 2024 तक अखिलेश यादव अकेले रह जाएंगे। जयंत चौधरी अखिलेश के साथ सिर्फ अपने मतलब से है।

जयंत को पता था कि विधानसभा चुनाव में मुस्लिम सपा के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन जिस दिन जयंत को लगेगा कि मुस्लिम साथ छोड़ रहा है। तब जयंत अपना नुकसान नहीं करना चाहेंगे।

 

2024 तक बदल सकते हैं समीकरण
आजमगढ़ और रामपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव के नतीजे बदलते समीकरण को बताते हैं। सैयद कासिम कहते हैं,”आजमगढ़ और रामपुर के नतीजे ये बताने के लिए काफी है कि मुस्लिम भी अखिलेश का साथ छोड़ रहा है। 4 चुनाव हार चुके अखिलेश के साथ अब मुस्लिम नहीं रहने वाला। लोकसभा में मुस्लिमों की पसंद पहले से भी कांग्रेस रही है।

भाजपा को मिलेगा बिखरे विपक्ष का फायदा
दोनों उप-चुनाव के नतीजों से उत्साहित भाजपा ने 2024 के लिए टारगेट सेट किया है। भाजपा नेताओं का कहना है,”यूपी में जातीय समीकरण टूट रहे हैं। भाजपा को हर जाति और मजहब का वोट मिल रहा है। आजमगढ़ और रामपुर के नतीजों ने साबित किया है कि अब जाति-धर्म या वंशवाद के नाम पर कोई दुर्ग नहीं बना सकेगा। 2024 में भाजपा 80 में से पूरे 80 सीटें जीतना चाहती है। 

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