अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रशासन को और कितने सबूतों की जरूरत
भिण्ड. जिले में अवैध रेत खनन प्रशासन के संरक्षण में चल रहा है। इसका ज्वलंत प्रमाण 20 जुलाई को तब देखने को मिला जब अचानक सिंध नदी में जलस्तर बढ़ जाने से रेत परिवहन के लिए सिंध नदी में उतरे 76 ट्रक, डंपर व ट्रॉला फंस गए। हैरानी की बात ये है कि प्रशासनिक स्तर पर रेत के अवैध परिवहनकर्ता वाहनों के मालिकों एवं रेत की रॉयल्टी जारी कर अवैध खनन व परिवहन करवा रही कंपनी के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के बजाए सिर्फ वाहनों को जब्त किए जाने की औपचारिकता की गई है।
उल्लेखनीय है कि जिले में रेत खदानों से खनन के लिए मैसर्स राघवेंद्र सिंह के नाम ठेका स्वीकृत है। बरसात के दिनों तक खदानों से रेत निकालना पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। बावजूद इसके कंपनी डंप स्थल से रेत भरवाने के नाम पर नदी से रेत खनन कर परिवहन कराने के लिए रॉयल्टी जारी करती आ रही है। चिंतनीय विषय ये है कि खुले तौर पर सिंध नदी में एनजीटी के नियम और निर्देशों की अवहेलना किए जा रहे खनन पर प्रशासन पूरी तरह से अपनी आखें मूंदे हुए है। यही वजह है कि रेत खनन पर एनजीटी की रोक लगे हुए करीब एक माह बीत चला है।
डंप रेत भरवाने के नाम पर नदी से भरे जा रहे थे वाहन
ट्रक तथा डंपर चालकों को जो रॉयल्टी दी जा रही थी वह सिंध नदी से लाकर अलग किए गए भण्डारण स्थल की है। बता दें कि एनजीटी की रोक हटने तक रेत का परिवहन पूर्व से किए गए रेत के भण्डारण स्थल से ही किया जाना है, लेकिन कंपनी के कर्ताधार्ताओं द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण के नियम, निर्देश और कलेक्टर के आदेश को दरकिनार कर डंप स्थल की रॉयल्टी थमाकर वाहनों को सीधे सिंध नदी में खनन कर रेत भरवाया जा रहा था।
अवैध खनन और परिवहन से अनजान थे प्रशासनिक अधिकारी
जिले के लहार, रौन, अमायन, भारौली आदि रेत खदानों से दिन-रात मशीनों से खनन कर सिंध नदी से रेत निकाला जा रहा था। इतना ही नहीं इसे अफीम या गांजे की भांति किसी डिब्बे या बोरे में बंद कर नहीं, बल्कि खुले तौर पर ट्रक डंपरों में भरवाकर परिवहन भी कराया जा रहा था। ऐसे में उपरोक्त रेत से भरे वाहन आधा दर्जन से ज्यादा थानों के सामने से गुजर रहे थे। बावजूद इसके उनकी रोक-टोक नहीं की जा रही थी। सूत्रों की मानें तो जिला खनिज अधिकारी एक बार भी बरसात के लिए किए गए रेत के भण्डारण स्थलों का निरीक्षण करने नहीं पहुंचे हैं।
लिहाजा रेत के डंप जस के तस रखे हुए हैं। क्योंकि रेत डंप स्थलों से भरवा ही नहीं जा रहा था।
सिंध में हो रहे खनन की लगातार शिकायतों के बाद भी खनिज विभाग के अमले ने मौके पर पहुंचकर स्थिति जानने की जहमत नहीं उठाई। इसे क्या कहा जाए कि प्रशासन रेत के अवैध खनन और परिवहन से अनजान था।
डंप स्थल से रेत भरने के नाम पर काटी जा रही थी रॉयल्टी और सीधे सिंध नदी से भरवाए जा रहे वाहन