भोपाल : बदनाम निगम वर्कशॉप के कमाल…

खटारा मैजिक से स्काय लिफ्ट हाइड्रोलिक और 407 को मोडिफाई कर बनाया ट्रेलर; कबाड़ की इन जुगाड़ों से बचा लिए 46 लाख
एई मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट चंचलेश ने न सिर्फ वर्कशॉप की प्रणाली को बदला, बल्कि कबाड़ वाहनों को भी काम का बनाया। - Dainik Bhaskar
एई मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट चंचलेश ने न सिर्फ वर्कशॉप की प्रणाली को बदला, बल्कि कबाड़ वाहनों को भी काम का बनाया।

फर्जी फाइलें बनाने और वाहनों को बगैर किसी कारण के बार-बार रिपेयर करने के लिए बदनाम नगर निगम वर्कशॉप के नए-नए जुगाड़ अब निगम के भी काम आने लगे हैं। कबाड़ से जुगाड़ कर पुराने हो चुके गारबेज व्हीकल को इस अंदाज में काटा गया कि उसे अब स्काय लिफ्ट हाइड्रोलिक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।

407 व्हीकल को भी मोडिफाई कर एक हाइड्रोलिक ट्रेलर तैयार कर दिया गया है। एई मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट चंचलेश गिरहारे ने वर्कशॉप की प्रणाली को तो बदला ही है, साथ ही बतौर मैकेनिकल इंजीनियर पुराने हो रहे वाहनों में भी बदलाव शुरू कर दिए हैं।

मिनी ट्रक से हाइड्रोलिक ट्रेलर तक

वर्कशॉप में ही कबाड़ हो चुके मिनी ट्रक (407) को भी मोडिफाई किया गया है। इसमें भी हाइड्रोलिक के लिए जरूरी तकनीक का इस्तेमाल किया। यानी नया हाइड्रोलिक पंप, मोटर, पीटीओ गियर बॉक्स, कंट्रोलिंग वाल्व और बूम बकेट फिट किए।

  • फायदा: इससे छोटी पोकलेन की शिफ्टिंग की जाती है, ताकि नालों-नालियों की सफाई की जा सके। निगम के पास 12 छोटी पोकलेन हैं।
  • बचत: करीब 4 लाख खर्च किए। एक पोकलेन की एक बार शिफ्टिंग का किराया 8 हजार रुपए लगता है, यानी 12 पोकलेन की शिफ्टिंग में हर महीने 30 लाख रुपए तक खर्च होते थे

गारबेज व्हीकल से हाइड्रोलिक तक

वर्कशॉप में खटारा हो रही गारबेज व्हीकल यानी मैजिक वाहन के इंजन में काम किया। इसके पिछले हिस्से को काटा और नया हाइड्रोलिक पंप, मोटर, पीटीओ गियर बॉक्स, कंट्रोलिंग वॉल्व और बूम बकेट फिट किए। ऐसी दो मैजिक व्हीकल को तैयार किया है। अब ये हाइड्रोलिक 2-3 लोगों को एक साथ 25 फीट ऊंचाई तक एक बार में उठा सकती है।

  • फायदा: दोनों हाइड्रोलिक निगम की इलेक्ट्रिक शाखा को दी गई हैं, जिनसे गली-कूचों में बिजली के खंभों पर काम किया जाता है।
  • बचत: दोनों को तैयार करने में 7.60 लाख खर्च हुए। इसी क्षमता की एक स्काय लिफ्ट हाइड्रोलिक खरीदने में 12-13 लाख खर्च होते।

पहले भी कई मशीनों को सुधारा…

चंचलेश आदमपुर छावनी और लेंडिया तालाब में पड़ी दो मशीनों को सिर्फ 3-3 लाख रुपए खर्च कर सुधार चुके हैं। आदमपुर छावनी में ही कचरे में दबी एक पोकलेन को निकालकर रिपेयर कर दिया। निगम हर साल दो करोड़ के टायर खरीदता था, लेकिन महज 25 लाख रुपए खर्च कर वर्कशॉप में रिमोल्डिंग मशीन लगा दी गई है।

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