महंगाई की मार …? फिर जलने लगे लकड़ी से चूल्हे, बढ़ती कीमतों ने निकाला उज्ज्वला योजना का दम
गौरतलब है कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दी जा रही उज्ज्वला योजना में 250 रुपए की सब्सिडी के बावजूद ग्रामीण उपभोक्ता सिलेंडर लेना उचित नहीं समझ रहे हैं। उन्होंने पुराने चूल्हों का उपयोग शुरू कर दिया है, वहीं शहरी उपभोक्ता मजबूरी में गैस इस्तेमाल कर रहे हैं।
शुरुआत में कुछ दिनों तक किया उपयोग, उसके बाद से कई घरों में कबाड़ में पड़े हैं सिलेंडर, तो कई ने बेच दिए
केंद्र सरकार ने मई 2016 को उज्ज्वला योजना शुरू की थी। इसके तहत ग्रामीण उपभोक्ताओं को नि:शुल्क गैस सिलेंडर दिए गए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र को महिलाएं भी रसोई गैस का इस्तेमाल कर सकें। इसके बाद गैस सिलेंडरों के बढ़ते दामों का असर यह रहा कि महिलाएं फिर से परंपरागत संसाधन चूल्हे पर आ गईं और उज्ज्वला के चूल्हे ठंडे हो गए।
ग्रामीण इलाकों में स्थिति यह है कि रसोई गैस के आए दिन बढ़ते दामों को देखते हुए कई लोगों ने रसोई गैस सिलेंडर बेच दिए, कई लोगों ने सिलेंडरों को कबाड़ में डाल रखा है तो कई लोगों ने रसोई गैस सिलेंडरों को अपने रिश्तेदारों को दे दिया और स्वयं लकड़ी और कोयले का चूल्हा जलाना शुरू कर दिया है।
बागेरी निवासी सुशीलाबाई का कहना है मुझे तीन साल पहले उज्ज्वला योजना का चूल्हा मिला था, किंतु लगातार गैस के दाम बढ़ने की वजह से यह कबाड़ में पड़ा हुआ है, क्योंकि घर चलाने के लिए मजदूरी कर घर सात सदस्यों का पेट भरना मुश्किल है।
ऐसे में गैस सिलेंडर भरवाने के लिए कहां पैसों का जुगाड़ करें। ग्राम मणिखेड़ा निवासी देवाबाई ने बताया उज्ज्वला योजना का सिलेंडर मिला था, उसी दौरान शुरुआत में सिलेंडर का उपयोग किया था। उसके बाद टंकी भरवाने तक के पैसे नहीं थे तो हमने गैस टंकी मिलने वाले को दे दी।