यूपी में 19 हजार ईट भट्टा मालिक बारिश बाद भी नहीं शुरू करेंगे काम

38 लाख लोगों पर रोजगार का संकट …?

यूपी में 38 लाख लोगों पर रोजगार का संकट आने वाला है। दरअसल, 19 हजार ईंट-भट्‌टा मालिक ने अपना काम बंद करने का ऐलान किया है। दलील ये है कि उनको कोयला नहीं मिल रहा है। मजबूरी में उनको महंगा कोयला खरीदना पड़ रहा है। इससे लागत 3 गुना तक बढ़ गई है। लखनऊ ब्रिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल का कहना है कि अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 तक अपने ईंट भट्टों का काम भट्ठा मालिक पूरी तरह से बंद रखेंगे।

12% की GST भी लागत बढ़ा रही
ईट भट्‌टा एसोसिएशन का कहना है कि उनके कारोबार पर भी GST 12% कर दी गई है। इससे भी नुकसान और लागत बढ़ गई है। पूरे देश में बंदी का फैसला लागू होने वाला है। जून से अक्टूबर के बीच पहले ही काम बंद रहता है। भट्टा मालिकों का कहना है कि वो सब दूसरा कम शुरू करने के बारे में विचार कर रहे हैं।

2 हजार वाला कोयला 20 हजार में मिल रहा है
कारोबारियों का कहना है कि 2 हजार मैट्रिक टन में मिलने वाला कोयला अब 20 हजार रुपए में मिल रहा है। दरअसल, पहले देसी कोयला सभी लोगों को 1700 से 2000 रुपए मैट्रिक टन में मिल जाता था। मगर अब उसके लिए 20 हजार रुपए खर्च करने पड़ते है। सरकार विदेशी कोयला खरीदने को कहती है। विदेशी कोयला देश के ही एक बड़े कॉर्पोरेट घराने के हैं।

12 लाख टन कोयला मिलना चाहिए
भट्‌टा मालिकों का कहना है कि एमएसएमई की गाइड लाइन के अनुसार 12 लाख टन कोयला मिलना चाहिए लेकिन कारोबारियों को महज 74 हजार टन देशी कोयला दिया जाता है। उसकी क्वालिटी भी बहुत खराब होती है। बाकी करीब 11 लाख टन विदेशी कोयला खरीदना पड़ता है।
कारोबारियों ने कहा कि बस पुराना माल बेचा जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने गाइड लाइन दे दी है, जिसमें 20 हजार स्क्वायर मीटर से बड़े प्रोजेक्ट में लाल ईट का प्रयोग भी बैन है। ऐसे में वहां भी हमारा नुकसान कर दिया गया है।

200 मजदूर एक भट्‌टा पर काम करता है
अमूमन 200 मजदूर एक भट्टा पर काम करता है। ऐसे में 19 हजार के हिसाब से करीब 38 लाख मजदूर होते हैं। यूपी में इससे बड़ा टैक्स भी जाता है। लखनऊ में अकेले करीब 80 हजार लोग बेरोजगार होंगे। यहां छोटे-बड़े 200 भट्‌टे हैं।

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