जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए, क्योंकि हर दिन एक जैसा नहीं होता – मिताली राज

‘दस साल की उम्र तक मेरे जीवन में क्रिकेट नहीं था। मां चाहती थीं मैं डांसर बनूं। पिता चाहते थे, क्रिकेटर बनूं। वो एयरफोर्स में थे। घर में अनुशासन था। मैं छोटी हूं, मेरा बड़ा भाई है, तो मुझे देर तक सोने की छूट मिलती थी। मैं दिन चढ़ने के बाद बिस्तर छोड़ती थी। मैं जल्दी उठ सकूं इसलिए डैड चाहते थे कि मैं स्पोर्ट्स अपना लूं। डैड ने मुझे क्रिकेट से मिलवाया। मैंने समर कैंप जॉइन किया, वहां भाई अपनी क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए जाता था। कैंप में मैं अकेली लड़की थी। मैंने कभी सड़क या घर पर भी क्रिकेट नहीं खेला था, सीधे प्रोफेशनल ट्रेनिंग शुरू की। इसका फायदा भी मिला। मेरे क्रिकेट चुनने से दादा-दादी को झटका लगा। उनकी सोच अलग थी। उन्हें लगता था लड़की दिनभर धूप में खेलती है। एक बार तो मेरे चेहरे पर बॉल लगी और टांके भी आए। घर में हंगामा हुआ। लेकिन पैरेंट्स मेरे साथ रहे। मैं 12वीं में थी, बोर्ड के एग्जाम थे। उसी वक्त एक टूर्नामेंट था, जिससे अगले वर्ल्डकप के लिए टीम चुनी जानी थी। मेरे पैरेंट्स ने पूछा कि तुम क्या करना चाहती हो? मैंने एक आम टीनएजर की तरह जवाब दिया कि मैं बोर्ड की परीक्षा दूंगी। उन्हें पूरा एक हफ्ता लगा मुझे यह समझाने में कि जाओ, और यह टूर्नामेंट खेलो। मेरे पैरेंट्स चाहते थे कि मैं बोर्ड छोड़ दूं और उस टूर्नामेंट को खेलूं, जहां कोई गारंटी नहीं थी कि मेरा सिलेक्शन हो जाएगा। वो चाहते थे मैं चांस लूं। मेरे लिए यह मुश्किल था क्योंकि मैं छोटी थी। लेकिन सब बढ़िया हुआ। मेरा सिलेक्शन हुआ और मैं न्यूजीलैंड खेलने गई। मेरा मानना है आप क्या चुनते हैं, उस पर आपका भविष्य निर्भर है। हर चुनाव आपको एक अलग दरवाजे की ओर ले जाता है।

नौजवानों को फोकस करना सीखना है
नई पीढ़ी के लिए चीजें मुश्किल हुई हैं। नौजवानों को फोकस करना सीखना होगा। आज आपका ध्यान भटकाने के लिए कई चीजें हैं। जब मैं 16 साल की थी तब ऐसा नहीं था। मेरे पास इंस्टाग्राम, ट्विटर, फेसबुक नहीं था। अभी यंग्स्टर्स जैसे ही ट्रेनिंग खत्म करते हैं, मोबाइल में अटक जाते हैं। उनसे उम्मीदें भी बहुत हैं और उन पर प्रेशर भी खूब है।

मैं आराम से रहने वालों में हूं, मेरी महत्वाकांक्षाएं कभी नहीं रहीं। मैंने कुछ प्लान नहीं किया। मैं केवल वह स्वीकारती गई, जो जिंदगी ने मेरी ओर फेंका। काम बनते थे तो खुश होती थी, नहीं बनते थे तो सीखती थी और आगे बढ़ जाती थी। जरूरी है कि आप आगे बढ़ते रहें। खुद को समझने का वक्त लें।
खेलों ने मुझे सिखाया कि आगे बढ़ते रहो। हर दिन एक जैसा नहीं होता। आज भले ही मैंने सेंचुरी मार ली है, कल फिर मुझे शुरू करना होगा।’ (विभिन्न इंटरव्यूज में पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मिताली राज)

हर दिन एक अवसर है बेहतर बनने का
– आप जीतते रहते हैं, तभी तक लोगों की रुचि आपमें बनी रहती है।
– हर मैच एक सीख देता है, यह आप मैच खेलकर ही जान सकते हैं।
– हर दिन एक मौका है, बेहतर बनने का।

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