राजस्थान: चिकित्सक की लापरवाही से काटनी पड़ी मरीज की टांग, अस्पताल पर लगा 30 लाख का जुर्माना
राज्य उपभोक्ता आयोग ने ऑपरेशन में लापरवाही के चलते मरीज का पैर काटने और उसके 14 ऑपरेशन करने को गंभीर मानते हुए नारायण हृदयालय अस्पताल पर तीस लाख रुपए और डॉ. अंकित माथुर और अंशु काबरा पर दस-दस लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग ने यह आदेश रघुवीर सिंह की ओर से दायर परिवाद पर दिए. आयोग ने अपने आदेश में कहा कि परिवादी रिटायर्ड अफसर था और उसकी बाईपास सर्जरी होनी चाहिए थी.
इसके बावजूद उसकी सहमति के बिना स्टंट हाथ के जरिए डालने की बजाय पैर के जरिए डाले, जबकि परिवादी के दोनों पैरों में बीमारी थी. इस दौरान परिवादी का हार्ट रैप्चर हो गया और उसके फेफड़ों में खून जम गया. इसका ऑपरेशन किया तो पैर में गैंगरीन हो गया और उसका पैर काटना पड़ा. इससे किडनी में भी इफेक्ट आ गया और इस कारण उसके 14 ऑपरेशन करने पड़े और 42 बोतल खून चढ़ाना पडा
परिवादी स्टंट लगवाने 3 अप्रैल 2017 को अस्पताल में भर्ती हुआ. जहां उसका ऑपरेशन किया गया. होश में आने पर उसने सीने में दर्द की शिकायत की. इस पर डॉक्टर्स उसे पुन: ऑपरेशन थिएटर में ले गए और सीने में छेद कर जमा खून को बाहर निकाला. वहीं शाम को उसके पैर सुन्न होकर काले पड़ने लगे और उसे गैंगरीन हो गया. चिकित्सकों ने परिवादी के हार्ट और पैर का दुबारा ऑपरेशन किया. पहले पैर को घुटने तक काटा और बाद में दांए पैर को हिप ज्वाइंट से निकाल दिया. इस तरह इलाज में लापरवाही के चलते परिवादी के 14 ऑपरेशन कर उसे अपंग बना दिया.