अब बेरोकटोक टिकट की कीमतें तय कर सकेंगी एयरलाइंस …?
जानिए आम लोगों पर क्या होगा असर?
घरेलू विमान यात्रा के किराये पर लगाई सीमा 31 अगस्त से खत्म हो जाएगी। ऐसे में इसके बाद टिकट के दाम में बदलाव संभव है। कोरोना की वजह से करीब 27 महीने पहले अधिकतम व न्यूनतम किराये की सीमा तय की गई थी ….
‘यात्रियों के किराए में आएगी कमी’
सरीन एंड कंपनी के संचालन प्रमुख विनम्र लोंगानी ने कहा, “मैं इसे यात्रियों के लिए सकारात्मक पहल मानता हूं क्योंकि इससे किराए में कमी आएगी।” वहीं विमानन विशेषज्ञ परवेज दमानिया ने कहा, “मुझे लगता है कि यह उपभोक्ताओं के साथ-साथ एयरलाइंस के लिए भी एक उत्कृष्ठ कदम है।”
ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या बोले?
वहीं उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर कहा, हवाई किराए की सीमा को हटाने का निर्णय दैनिक मांग और एयर टर्बाइन ईंधन की कीमतों के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के बाद लिया गया है। स्थिरीकरण शुरू हो गया है और हम इस बात को लेकर निश्चित हैं कि यह क्षेत्र निकट भविष्य में घरेलू यातायात में वृद्धि के लिए तैयार है।
हवाई यात्रा पर प्रतिबंधों में ढील से उत्पन्न होने वाली मांग के कारण टिकट प्राइस में वृद्धि को रोकने के लिए उड़ान की अवधि के आधार पर न्यूनतम और अधिकतम बैंड लगाकर किराए को विनियमित किया गया था।
महामारी के दौरान विमानन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ था। कोरोना महामारी के कम होने के बाद से ही एयरलाइंस डोमेस्टिक एयर फेयर के लिए प्राइस बैंड को हटाने की मांग कर रही थी।
वर्तमान में 15 दिनों के लागू है एयर फेयर कैप
एयर फेयर कैप अभी पंद्रह दिनों के साइकिल में रोलिंग बेसिस पर लागू है। यानी एयरलाइंस, बुकिंग की तारीख से पंद्रह दिनों की अवधि के बाद की टिकटों के प्राइस को निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
इस 15 दिन के कैप को एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। अगर किसी व्यक्ति को 15 अगस्त से अहमदाबाद से मुंबई जाना है तो उसे अकासा एयर की फ्लाइट के लिए करीब 4200 रुपये का भुगतान करना होगा। टिकट का प्राइस 15 अगस्त की तारीख से आने वाले 14 दिनों तक लगभग इतना ही रहेगा। लेकिन जैसे ही आप 15वें दिन का किराया देखेंगे तो ये लगभग आधा होगा। यानि ये टिकट आपको 2100 रुपये में मिल जाएगा।
यानी अगर एयरलाइंस आपको टिकट पंद्रह दिन बाद ही सस्ता करता है। लेकिन अब सरकार की ओर से ये प्राइस बैंड हटने के बाद एयरलाइंस कभी भी सस्ता टिकट ऑफर कर सकती हैं।
नहीं मिला लाभ
विशेषज्ञों के अनुसार, वित्तीय रूप से कमजोर एयरलाइंस को संरक्षण देने के लिए यह सीमा लगी। यात्रियों को भी अधिकतम कीमत से बचाने की बात कही गई। हालांकि, न्यूनतम किराये पर सीमा लगाने से प्रतियोगी दरों का फायदा उन्हें नहीं मिला। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ी एटीएफ की कीमतें अब गिर रही हैं। 1 अगस्त को यह दिल्ली में 1.21 लाख रुपये प्रति किलोलीटर था, जो पिछले महीने के अधिकतम से 14 प्रतिशत कम है।