बंद कार के पहाड़ चढ़ने का सच …?

बंद कार के पहाड़ चढ़ने का सच:लोग बोले- पानी भी ऊपर की ओर बहता है; चमत्कार, न चुंबकीय शक्ति, जानें- असली वजह

राजस्थान में एक ऐसी जगह है, जहां बंद कारें बिना ड्राइवर के अपने आप पहाड़ी पर चढ़ने लगती हैं।…इस एक लाइन की अजीबो-गरीब सूचना के साथ इस खबर की शुरुआत हुई। सुनते ही मन में दो सवाल आए- क्या ऐसा संभव है? और है तो कैसे?

पहाड़ी का सच सामने लाने के लिए दैनिक भास्कर की टीम 200 किलोमीटर का सफर तय कर माइंस के रिसर्च डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट केपीएस यादव के साथ झुंझुनूं के खेतड़ी पहुंची। खेतड़ी में दुनिया की सबसे बड़ी अंडर ग्राउंड कॉपर माइंस है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से खेतड़ी की रहस्यमयी पहाड़ी चर्चा में है।

इसके बारे में दावा किया जा रहा है कि यहां बंद कार अपने आप पहाड़ी पर चढ़ जाती है। कुछ लोग तो इसे मैजिक हिल कह रहे हैं तो कुछ मैग्नेटिक हिल। कुछ इसे चमत्कार भी बता रहे हैं। हमारी इन्वेस्टिगेशन में खुलासा हुआ कि पहाड़ी में न कोई जादू है और न ही चुम्बकीय शक्ति, बल्कि इसकी वजह कुछ और है।

सबसे पहले जानिए, कार के अपने आप पहाड़ी पर चढ़ने की शुरुआत कैसे हुई…

सेल्फी लेते समय कार अपने आप चलने लगी
खेतड़ी में पहाड़ी पर भोपालगढ़ फोर्ट है। 3 अगस्त को कस्बे के रहने वाले विजय कुमार अपने दोस्तों के साथ कार में भोपालगढ़ फोर्ट जा रहे थे। रास्ते में टी पॉइंट पर कार रोक कर दोस्तों के साथ सेल्फी लेने लगे। तभी अचानक उनकी कार अपने आप चढ़ाई की तरफ चलने लगी।

विजय घबरा गए और तुरंत हैंड ब्रेक लगाकर कार रोकी। उनको आंखों देखी पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने फिर से कार उसी जगह खड़ी की और हैंड ब्रेक हटाए। ब्रेक हटाते ही कार फिर से चलने लगी। विजय कुमार के इस दावे के बाद यहां भीड़ बढ़ने लगी।

कुछ लोगों का कहना है कि खेतड़ी में भी लद्दाख जैसी मैग्नेटिक हिल है।
कुछ लोगों का कहना है कि खेतड़ी में भी लद्दाख जैसी मैग्नेटिक हिल है।

भास्कर के रिपोर्टर ने खुद यहां प्रयोग करने का फैसला किया
भास्कर की टीम पहाड़ी पर पहुंची तो वहां बहुत से लोग थे, जो एक्सपेरिमेंट करने के लिए अपनी गाड़ियां लेकर आए थे। एडवोकेट अजित पंवार ने बताया कि उन्होंने कार बंद कर निश्चित जगह पार्क की तो कार अपने आप चलने लगी। रवि ने बताया कि उसने सड़क पर पानी गिराया तो वह भी ऊंचाई की तरफ बहने लगा। लोगों से बात करने के बाद भास्कर की टीम ने भी कार से एक्सपेरिमेंट ​​किया। दूसरे लोगों की तरह टीम की कार भी अपने आप चलने लगी।

घटना हैरान करने वाली थी, लेकिन हमें ये भी विश्वास था कि ये कोई चमत्कार या जादू नहीं है। ऐसे में इसका साइंटिफिक कारण जानने के लिए हमने एक्सपर्ट से पहाड़ी का एनालिसिस कराया।

मैग्नेटिक और ग्रेविटी इफेक्ट नहीं
कॉपर माइंस के रिसर्च विंग के सीनियर मैनेजर सर्वेयर केपीएस यादव ने टी पॉइंट पर पहले रोड के नीचे मैग्नेटिक और ग्रेविटी की रीडिंग ली। इसमें मैग्नेटिक और ग्रेविटी इफेक्ट नजर नहीं आया। आम भाषा में कहें तो ऐसी कोई बात सामने नहीं आई, जिससे दावा किया जा सके कि पहाड़ी में कारों को अपनी तरफ खींचने की चुम्बकीय शक्ति है।

…तो क्यों लगता है कार चढ़ाई पर जा रही है
केपीएस यादव बताते हैं कि सड़क का विस्तार और नजदीकी पहाड़ियों का ले-आउट इसे एक ऑप्टिकल भ्रम देता है। यहां डेढ़ मीटर की ढलान है, लेकिन रोड की बनावट ऐसी है कि वो चढ़ाई की तरह लगती है। बंद कार ढलान के कारण लुढ़कती है, लेकिन हमें लगता है कि वो ऊपर जा रही है।

सबसे जरूरी बात: ऐसा करना खतरनाक
फोर्ट जाने वाला रास्ता पहाड़ियों से होकर जाता है। ऑटोमैटिक कारों से यह प्रयोग करना खतरनाक है, क्योंकि बंद करने के बाद कार तेज रफ्तार में ढलान की ओर चलने लगती है। बंद कार में ब्रेक नहीं लगते हैं और सिर्फ हैंड ब्रेक से ही रोका जा सकता है।

हैंड ब्रेक से भी अगर समय रहते गाड़ी नहीं रुकी तो वह दूसरी कार से टकरा जाएगी या सीधे खाई में गिर सकती है। प्रयोग करने वाले कई लोगों की कारें इस तरह अनियंत्रित हो गई थीं। समय रहते हैंड ब्रेक लगाने से हादसा होते-होते बच गया।

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