टैक्स चोरी; दिल्ली से हर दिन बिना बिल के मप्र आ रही 30-40 करोड़ की सामग्री
मध्यप्रदेश में दिल्ली से आने वाले परचूनी सामान में सबसे अधिक टैक्स चोरी की जा रही है।
ग्वालियर. जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) को लेकर कहा जा रहा था कि इसमें टैक्स चोरी की गुंजाइश नहीं रहेगी। कुछ समय पहले एक से दूसरी जगह माल भेजने के लिए ई-वे बिल जरूरी किया गया, लेकिन फिर भी टैक्स चोरी पर लगाम नहीं लगी है। मध्यप्रदेश में दिल्ली से आने वाले परचूनी सामान में सबसे अधिक टैक्स चोरी की जा रही है।
पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि दिल्ली से प्रदेश में रोजाना 350 से 400 ट्रक परचूनी सामान लेकर आते हैं और इनसे 30 से 40 करोड़ की टैक्स चोरी की जा रही है। इसे रोकने में जीएसटी राज्य कर का एंटी इवेजन ब्यूरो फेल साबित हो रहा है। गोरखधंधे में ट्रांसपोर्टर्स की भूमिका है, जो बिना बिल और ई-वे बिल वाले माल का कारोबारियों से तीन गुना भाड़ा वसूल रहे हैं।
पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि दिल्ली से प्रदेश में रोजाना 350 से 400 ट्रक परचूनी सामान लेकर आते हैं और इनसे 30 से 40 करोड़ की टैक्स चोरी की जा रही है। इसे रोकने में जीएसटी राज्य कर का एंटी इवेजन ब्यूरो फेल साबित हो रहा है। गोरखधंधे में ट्रांसपोर्टर्स की भूमिका है, जो बिना बिल और ई-वे बिल वाले माल का कारोबारियों से तीन गुना भाड़ा वसूल रहे हैं।
ये माल आता है दिल्ली से
दिल्ली से मध्यप्रदेश में हर दिन रेडिमेड, कॉपर वॉयर, ऑटो पाट्र्स, किराना, कॉस्मेटिक, पान मसाला, सिगरेट, हार्डवेयर आदि सामान आता है। इसमें केवल 10 फीसदी माल ई-वे बिल के जरिए आता है और 90 फीसदी बिना बिल के माल खपाया जा रहा है।
दिल्ली से मध्यप्रदेश में हर दिन रेडिमेड, कॉपर वॉयर, ऑटो पाट्र्स, किराना, कॉस्मेटिक, पान मसाला, सिगरेट, हार्डवेयर आदि सामान आता है। इसमें केवल 10 फीसदी माल ई-वे बिल के जरिए आता है और 90 फीसदी बिना बिल के माल खपाया जा रहा है।
कोडवर्ड से पास होता है पूरा माल
वैसेे तो दिल्ली से मध्यप्रदेश तक में ट्रांसपोर्टर्स की गाडिय़ों को लेकर जीएसटी के एंटी इवेजन ब्यूरो को जांच करनी होती है, लेकिन मिलीभगत के चलते इन गाडिय़ों की जांच नहीं होती। पूरा काम कोडवर्ड के जरिए होता है। यानी ट्रांसपोर्ट का नाम शॉर्ट में बताकर गाडिय़ों को रवाना कर दिया जाता है। ट्रांसपोर्टर बिना बिल का ये माल गारंटी के साथ लेकर आते हैं।
वैसेे तो दिल्ली से मध्यप्रदेश तक में ट्रांसपोर्टर्स की गाडिय़ों को लेकर जीएसटी के एंटी इवेजन ब्यूरो को जांच करनी होती है, लेकिन मिलीभगत के चलते इन गाडिय़ों की जांच नहीं होती। पूरा काम कोडवर्ड के जरिए होता है। यानी ट्रांसपोर्ट का नाम शॉर्ट में बताकर गाडिय़ों को रवाना कर दिया जाता है। ट्रांसपोर्टर बिना बिल का ये माल गारंटी के साथ लेकर आते हैं।
मुरैना और ग्वालियर से पास होती हैं गाडिय़ां
दिल्ली की ओर से आने वाली परचूनी की गाडिय़ों को सबसे अधिक मुरैना और ग्वालियर से पास करके पूरे प्रदेश में पहुंचाया जाता है। यही कारण है कि शाायद जीएसटी विभाग के एंटी इवेजन ब्यूरो पर पिछले कुछ समय से सवाल खड़े हो रहे हैं और मुख्यालय ने इसे देखते हुए अब वाहनों की चेकिंग का जिम्मा सर्किल के अधिकारियों को देना शुरू कर दिया है, हालांकि ये जिम्मेदारी 5 से 15 दिन के लिए ही दी जा रही है।
दिल्ली की ओर से आने वाली परचूनी की गाडिय़ों को सबसे अधिक मुरैना और ग्वालियर से पास करके पूरे प्रदेश में पहुंचाया जाता है। यही कारण है कि शाायद जीएसटी विभाग के एंटी इवेजन ब्यूरो पर पिछले कुछ समय से सवाल खड़े हो रहे हैं और मुख्यालय ने इसे देखते हुए अब वाहनों की चेकिंग का जिम्मा सर्किल के अधिकारियों को देना शुरू कर दिया है, हालांकि ये जिम्मेदारी 5 से 15 दिन के लिए ही दी जा रही है।