2014 के बाद विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी के मामलों में 4 गुना उछाल, 95 फीसदी हुआ आंकड़ा
ईडी (ED) की केसबुक में विपक्षी राजनेताओं और उनके करीबी रिश्तेदारों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. विपक्षी नेता भी लगातार इसे लेकर आवाज उठाते रहे हैं.
ईडी के मामलों में भी वैसा ही पैटर्न निकलकर सामने आया है, जो सीबीआई की केसबुक को लेकर रहा. दरअसल, मंगलवार को द इंडियन एक्सप्रेस की ऐसी ही एक रिपोर्ट से सामने आया था कि पिछले 18 वर्षों में कांग्रेस और बीजेपी की सरकारों में सीबीआई ने जिन 200 राजनेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है, गिरफ्तार किया है, छापे मारे हैं या उनसे पूछताछ की है, उनमें से 80 प्रतिशत से ज्यादा विपक्ष के थे. इस बार ईडी के मामले में भी ऐसे ही आंकड़े उजागर हुए हैं.
ED के शिकंजे में विपक्ष
ईडी की केसबुक में भी विपक्षी राजनेताओं और उनके करीबी रिश्तेदारों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. यह नेता 2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से इसके दायरे में आ गए हैं. जांच से पता चलता है कि 121 प्रमुख राजनेता इसके अधीन रहे हैं. इस दौरान एजेंसी ने 115 विपक्षी नेताओं पर छापा मारा, पूछताछ की या गिरफ्तार किया. इनमें 95 प्रतिशत विपक्षी नेता हैं.
यूपीए शासन के आंकड़ों पर नजर
एनडीए का आंकड़ा यूपीए शासन (2004 से 2014) में एजेंसी की केसबुक के बिल्कुल अलग है. यूपीए शासन में एजेंसी द्वारा केवल 26 राजनीतिक नेताओं की जांच की गई थी. इनमें विपक्ष के 14 (54 फीसदी) नेता शामिल थे. ईडी के मामलों में बढ़ोतरी मुख्य रूप से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के लिए जिम्मेदार है. एक कानून जिसे 2005 में लागू होने के बाद से मजबूत किया गया है. कड़ी जमानत शर्तों के साथ, इसके प्रावधान अब एजेंसी को गिरफ्तारी की भी अनुमति देते हैं.
संसद में कई उठा है ईडी का मुद्दा
विपक्ष ने संसद में कई बार ईडी का मुद्दा उठाया है. विपक्ष के नेताओं का आरोप है कि हाल ही में मानसून सत्र के दौरान एजेंसी द्वारा उन्हें अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. यह आरोप है कि सरकार और ईडी ने एजेंसी के अधिकारियों के साथ यह कहते हुए दृढ़ता से इनकार किया है कि उसकी कार्रवाई गैर-राजनीतिक है और पहले अन्य एजेंसियों या राज्य पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामलों की वजह से होती है.
ईडी के जाल में विपक्ष के नेता
2014 से ईडी के जाल में विपक्ष के कई नेता रहे हैं. इसमें कांग्रेस (24), टीएमसी (19), एनसीपी (11), शिवसेना (8), डीएमके (6), बीजद (6), राजद ( 5), बसपा (5), एसपी (5), टीडीपी (5), आप (3), इनेलो (3), वाईएसआरसीपी (3), सीपीएम (2), एनसी (2), पीडीपी (2), इंडस्ट्रीज़ ( 2), अन्नाद्रमुक (1), मनसे (1), एसबीएसपी (1) और टीआरएस (1) के नेता रहे.
हेमंत बिस्वा सरमा का मामला
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ सीबीआई और ईडी ने 2014 और 2015 में सारदा चिटफंड घोटाले की जांच की थी, जब वह कांग्रेस का हिस्सा थे. सीबीआई ने 2014 में उनके घर और कार्यालय पर छापा मारा और यहां तक कि उनसे पूछताछ भी की. हालांकि, उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इसी तरह, तत्कालीन टीएमसी नेता सुवेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय को नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई और ईडी ने जांच के दायरे में रखा था. दोनों ही पिछले साल पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे और उनके खिलाफ मामलों में कोई प्रगति नहीं हुई.