ग्वालियर : आउटसोर्स कर्मचारी भर्ती घोटाला ..!

नगर निगम…58 कर्मचारियों से सेवाएं लौटाने के लिए एजेंसी को लिखा पत्र
नगर निगम में आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती में की गई गड़बड़ी करने वाले अधिकारी- कर्मचारियों के भले ही तबादले हुए हों, लेकिन भर्ती के नाम पर ठगे गए कर्मचारियों की सेवाएं वापस करने का काम शुरू हो गया है।

नगर निगम में आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती में की गई गड़बड़ी करने वाले अधिकारी- कर्मचारियों के भले ही तबादले हुए हों, लेकिन भर्ती के नाम पर ठगे गए कर्मचारियों की सेवाएं वापस करने का काम शुरू हो गया है। इसके पहले चरण में शुक्रवार को सामान्य प्रशासन विभाग के अपर आयुक्त ने राज सिक्योरिटी फोर्स को 58 कर्मचारियों की सेवाएं वापस करने के लिए पत्र लिखा है। इनमें से 40 पीएचई और 12 कार्यशाला में काम कर रहे हैं। शेष वार्ड व क्षेत्रीय कार्यालयों पर सेवाएं दे रहे हैं।

अपर आयुक्त द्वारा लिखे गए पत्र में उल्लेख किया गया है कि इन कर्मचारियों की प्रतिस्थापना एजेंसी द्वारा निगम की स्वीकृति या आवश्यकता के बिना की गई है। ऐसे में उक्त कर्मचारी आपको वापस किए जा रहे हैं। खास बात यह है इन कर्मचारियों में से भी अधिकतर की भर्ती अधिकारी और कर्मचारियों ने अपने स्तर पर की है। लेकिन जांच के दौरान ऐसा कुछ सामने नहीं आ पाया, इस कारण कार्रवाई कर्मचारियों को हटाने तक सीमित रह गई। विभाग प्रमुख करेंगे हाजिरी का सत्यापन: निगम में आउटसोर्स कर्मचारियों की उपस्थिति का प्रमाणीकरण अब विभाग प्रमुख करेंगे।

इस संबंध में निगमायुक्त किशोर कन्याल ने शुक्रवार को आदेश जारी किया। निगमायुक्त ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि आउटसोर्स एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों से यह दिखाई दे रहा है कि सामान्य तौर पर आउटसोर्स श्रमिकों की उपस्थित विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रमाणित न की जाकर अधीनस्थ स्टाफ द्वारा प्रमाणित की जाती है, जो उचित नहीं है।

पीएचई के श्रमिकों की उपस्थिति उपयंत्री या उससे नीचे के कर्मचारियों द्वारा प्रमाणित की जाती है। निगमायुक्त के अनुसार पीएचई में संबंधित क्षेत्र का सहायक यंत्री, क्षेत्रीय कार्यालय और जनमित्र केंद्रों पर संबंधित क्षेत्र का क्षेत्राधिकारी, शेष विभागों में विभागाधिकारी उपस्थिति प्रमाणित करेगा।

समिति बनी, लेकिन जांच पर अब भी संशय बरकरार
आडटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती में हुई गड़बड़ी के मामले की प्रारंभिक जांच के लिए गठित समिति दोषियों के मामले को लेकर किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई। इसका कारण आउटसोर्स कर्मचारियों से जुड़ा रिकार्ड न मिलना बताया जा रहा है। ऐसे में मेयर-इन-काउंसिल के निर्देश पर गठित उच्च स्तरीय समिति जांच को अंजाम तक कैसे पहुंचाएगी? इसे लेकर जानकारों में संशय है। उनका कहना है कि जब रिकार्ड ही आधा-अधूरा है तो कोई भी समिति कैसे निष्कर्ष तक पहुंच पाएगा?

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