कूड़ा उठाने के नाम पर 84 करोड़ का घोटाला, दुर्गेश पाठक का MCD पर भ्रष्टाचार का आरोप

दुर्गेश पाठक ने कहा कि जब 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन का टेंडर संभव था तो बीजेपी ने पहले 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन का टेंडर क्यों दिया

आम आदमी पार्टी के विधायक और MCD प्रभारी दुर्गेश पाठक ने MCD में 84 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. दुर्गेश पाठक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि BJP की MCD में भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे हैं. एक डॉक्यूमेंट उनके पास आया है. 84 करोड़ का भ्रष्टाचार कूड़ा उठाने के नाम हुआ. ‘आप’ विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा कि बीजेपी शासित एमसीडी ने दिल्ली में कूड़ा उठाने के नाम पर 84 करोड़ का भ्रष्टाचार किया है.

भलस्वा के कूड़े के पहाड़ से कूड़ा उठाने के लिए भाजपा ने फरवरी 2020 में एक कंपनी को 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन का टेंडर दिया था. एक नए नियम के अनुसार ट्रकों में जीपीएस लगाना था लेकिन कंपनी ने मना कर दिया. जिसके कारण टेंडर रद्द कर दिया गया. बाद में एक नई कंपनी को मात्र 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन का टेंडर दिया गया. तबतक पुरानी कंपनी 3 लाख मीट्रिक टन कूड़ा प्रॉसेस कर चुकी थी, जिसके अनुसार 84 करोड़ का घोटाला हुआ है.

कूड़ा उठाने में भ्रष्टाचार का आरोप

दुर्गेश पाठक ने कहा कि जब 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन का टेंडर संभव था तो बीजेपी ने पहले 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन का टेंडर क्यों दिया? मैं पूरे मामले की जांच की मांग करता हूं. आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता विधायक और एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रश्न वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी शासित एमसीडी के एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार को हम आपके सामने उजागर करने जा रहे हैं. कुछ दस्तावेज उनके हाथ लगे हैं. जिनको पढ़कर पता चलता है कि बीजेपी ने कूड़ा उठाने के नाम पर लगभग 84 करोड रुपयों का घोटाला किया गया है. यह मामला भलस्वा लैंडफिल साइट का है.

फरवरी 2020 में दिया कूड़ा उठाने का टेंडर

भलस्वा के कूड़े के पहाड़ पर जो भी कूड़ा जाता है, उसको खत्म करने की एक अलग प्रक्रिया है. जिसके लिए बीजेपी ने फरवरी 2020 में कूड़े को उठाने का टेंडर एक कंपनी को 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन के अनुसार दिया. कुछ दिनों तक वह कंपनी ठीक से काम करती रही.एक नया रूल आया, ट्रकों में जीपीएस लगाने को कहा गया. लेकिन उस कंपनी ने नियम मानने से मना कर दिया. जिसके कारण उस कंपनी का टेंडर रद्द कर दिया गया. तब तक वह कंपनी पहाड़ से 3 लाख मीट्रिक टन कूड़ा प्रॉसेस कर चुकी थी.

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