महिलाओं के खिलाफ बढ़े अपराध …!

कोर्ट में पैरवी कमजोर: 19 महीने में कोर्ट पहुंचे 7042 केस, 1841 में ही आरोप हो सका सिद्ध, वर्ष 2021 में
महिलाओं के खिलाफ हुए थे 30673 अपराध
महिलाओं के खिलाफ बढ़े अपराध, दोषियों को सजा दिलाने की दर 26.5%

भोपाल. प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में एक साल में 5033 की बढ़ोतरी हुई है। दोषियों को सजा दिलाने में भी हालात खराब हैं। 2021 में महिलाओं के खिलाफ 30673 अपराध हुए थे। इधर, अपराधों की जांच और कोर्ट में प्रकरणों की पैरवी में अनदेखी से 19 माह में मप्र में 26.5% प्रकरणों में आरोपियों को सजा मिल सकी है।

दोष मुक्ति वाले टॉप टेन जिले

जिला सिद्ध केस दोष मुक्ति प्रतिशत

आलीराजपुर 01 58 98.3

सीहोर 06 53 89.8

ग्वालियर 21 163 88.6

धार 24 186 88.6

निवाड़ी 02 14 87.5

बड़वानी 06 41 87.2

शिवपुरी 08 47 85.5

झाबुआ 14 80 85.1

बैतूल 06 31 83.8

भोपाल 20 100 83.3

(आंकड़े एक जनवरी से 31 दिसंबर 2021 तक)

दोष सिद्धि में ये जिले बेहतर

जिला सिद्ध केस दोष मुक्ति प्रतिशत

बुरहानपुर 13 11 45.8

आगर-मालवा 10 10 50.0

खंडवा 32 39 54.9

सिवनी 61 77 55.8

उमरिया 18 23 56.1

(आंकड़े एक जनवरी से 31 दिसंबर 2021 तक)

चैकलिस्ट जारी

अपराधों की पुख्ता जांच, सबूतों के बेहतर संग्रहण के लिए लोक अभियोजन संचालनालय ने चैकलिस्ट जारी की है। एफआइआर से लेकर क्राइम सीन, सबूत इकट्टा करने, कोर्ट तक प्रकरण पहुंचाने के लिए बरती जाने वाली सावधानियां बताई गई हैं।

अपराधी सलाखों के पीछे हों, इसलिए साक्षी संरक्षण योजना

महिला अपराधों में दोष सिद्धि की दर बढ़ाने साक्षी संरक्षण योजना लागू की गई है। महिला सुरक्षा शाखा की एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के मुताबिक चार अगस्त से योजना को शुरू किया गया। प्रत्येक जिले से चिह्नित अपराधों को योजना में शामिल किया गया है।

तीन को फांसी की सजा

अदालतों में सुनवाई में तीन दोषियों को फांसी की सजा, 171 को उम्रकैद से दंडित किया गया है। एक जनवरी से अगस्त 2022 तक 510 केस में दस वर्ष या इससे ज्यादा की सजा तो 34 में दस वर्ष से कम और पांच वर्ष से ज्यादा की सजा दी गई। इसतरह कुल 718 प्रकरणों मेंआरोपियों को सजा सुनाई गई है।

इसलिए बनतीहै ऐसी स्थिति

एक जनवरी 2021 से 31 जुलाई 2022 तक प्रदेश की अलग-अलग अदालतों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 7042 प्रकरण पहुंचे। इनमें से 1841 में ही आरोपियों को सजा हो सकी। 5201 प्रकरणों में आरोप सिद्ध नहीं हो सके। कानून के विशेषज्ञों के मुताबिक अधिकतर मामलों में पीड़िता और गवाहों के पक्षद्रोही होने तो कई में प्रकरणों से संबंधित साक्ष्यों को बेहतर ढंग से कोर्ट में नहीं रखने से ऐसी स्थिति बनती है।

 

 

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