महाराष्ट्र में अगस्त तक 1875 किसानों ने की आत्महत्या ..!

महाराष्ट्र में अगस्त तक 1875 किसानों ने की आत्महत्या, इन जिलों में अधिक मौतें …
अमरावती जिले में ही 8 महीने के अंदर 725 किसानों ने खुदकुशी की है. इसी तरह औरंगाबाद में 661 किसानों ने खुद को मौत के घाट उतारा है. इस तरह सिर्फ इन दो जिलों में ही 1,386 किसानों ने सुसाइड किया.

महाराष्ट्र में बाढ़ और भारी बारिश के चलते फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. हजारों एकड़ में लगी तिलहन और अन्य फसलें बर्बाद हो गईं. ऐसे में कर्ज में डूबे किसानों ने सुसाइड करना शुरू कर दिया. महाराष्ट्र सहायता एवं पुनर्वास विभाग के मुताबिक, राज्य में इस साल जनवरी से अगस्त के बीच करीब 1,875 किसानों ने खुदकुशी की है. इसका मतलब यह हुआ कि महाराष्ट्र में हर महीने 234 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की. खास बात यह है कि अमरावती क्षेत्र में सबसे अधिक किसानों ने अपनी जान दी है. वहीं, दूसरे स्थान पर औरंगाबाद जिले का स्थान है.

न्यूज वेबसाइट पत्रिका के मुताबिक, सिर्फ अमरावती जिले में ही 8 महीने के अंदर 725 किसानों ने खुदकुशी की है. इसी तरह औरंगाबाद में 661 किसानों ने खुद को मौत के घाट उतारा है. इस तरह सिर्फ इन दो जिलों में ही 1,386 किसानों ने सुसाइड किया. वहीं, जनवरी से अगस्त महीने के बीच इन दोनों क्षेत्रों में करीबन 75 प्रतिशत किसानों ने आत्महत्या की. ऐसे में औरंगाबाद और अमरावती क्षेत्र में किसानों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है वे किस तरह कर्ज में डूबे हुए थे और उनकी फसल का कितना भारी नुकसान हुआ होगा. पिछले साल भी कमोबेश यही स्थित थी.

12 किसानों ने की आत्महत्या

वहीं, अमरावती और औरंगाबाद के बाद तीसरे स्थान पर नाशिक व चौथे स्थान पर नागपुर है. इन दोनों जिलों में क्रमश: 252 और 225 किसानों ने आत्महत्या की है. इसी तरह पिछले साल पुणे में जहां 11 किसानों ने सुसाइड किया था, वहीं इस साल जनवरी से अगस्त तक की अवधि में 12 किसानों ने आत्महत्या की. जबकि, कोंकण जिले में किसानों की आत्महत्या करने की एक भी खबर सामने नहीं आई है. राज्य के सीएम पद की कमान संभालने के बाद एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र को किसान आत्महत्या मुक्त प्रदेश बनाने की शपथ ली है. इसके लिए उन्होंने कुछ योजना भी तैयार की है.

ये है आत्महत्या की वजह

बता दें कि किसान हित के लिए काम करने वाले संगठन और कार्यकर्ता किसानों की आत्महत्याएं की कई वजहें बताते हैं. मुख्य कारणों में सरकारी अमले का अभी तक भी सीधे किसानों के संपर्क में न आना है. साथ ही सिंचाई की अच्छी व्यवस्था का न होना और फसलों का सही दाम नहीं मिलना है. मुआवजे का समय पर सही वितरण न होना और सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों के लिए ठोस योजना का अभाव. साथ ही कर्ज भी किसानों की आत्महत्या की एक बड़ी वजह है.

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