रहें अलर्ट, देश में स्पेशल कानून नहीं; फिर कैसे मिलेगा न्याय?

मेरी निजता में ऐसे दखल से मुझे आपत्ति है। प्लीज लोगों की प्राइवेसी का सम्मान कीजिए और उन्हें अपने मनोरंजन की चीज की तरह ट्रीट मत कीजिए।

आज जरूरत की खबर में प्राइवेसी पर बात …….

सवाल- प्राइवेसी का मतलब क्या होता है?
जवाब- 
प्राइवेसी को हिन्दी में निजता भी कहते हैं। जिसका मतलब है आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में किसी दूसरे का दखल न होना। सभी की जिंदगी में कुछ प्राइवेसी है, जिसमें कोई दूसरा इंटरफेयर नहीं कर सकता है।

सवाल- क्या भारतीय कानून में भी प्राइवेसी को लेकर कोई नियम है?
जवाब- 
जी बिल्कुल। सुप्रीम कोर्ट में 9 मेंबर की बेंच ने साल 2017 को राइट टु प्राइवेसी को मौलिक अधिकार माना है।

सवाल- आम इंसान को कौन-कौन सी प्राइवेसी का अधिकार है?
जवाब-

  • कोई भी आपकी मर्जी के बगैर आपकी तस्वीर नहीं खींच सकता, न ही कहीं पब्लिश कर सकता है।
  • आपकी पर्सनल लाइफ में तांक-झांक करने का किसी को भी कोई अधिकार नहीं है।
  • किसी पर नजर रखने के लिए स्पाई कैमरा नहीं लगाया जा सकता है।
  • फोन पर बातचीत करते समय अगर कोई आपकी पर्सनल बातें सुनने के लिए किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का यूज करता है या फिर बात करने के दौरान जान-बूझकर रोक-टोक करता है, तो यह प्राइवेसी का उल्लंघन माना जाएगा।
  • आपकी गंभीर बीमारी से जुड़ी कोई भी बात डॉक्टर या हॉस्पिटल मैनेजमेंट आपकी परमिशन के बगैर पब्लिक नहीं कर सकते हैं।
  • लड़कियों के कमरों या पब्लिक टॉयलेट में तांक-झांक नहीं की जा सकती है।
  • किसी की फोटो या वीडियो को बगैर परमिशन कर्मिशयल तौर पर यूज नहीं किया जा सकता है।

सवाल- जैसा विराट कोहली के साथ हुआ, वैसा किसी के साथ भी न हो, इसके लिए हमें किन बातों का ख्याल रखने की जरूरत है?
जवाब- 
प्राइवेसी को लेकर आपको खुद अलर्ट रहना होगा-

  • कहीं भी अपनी पर्सनल इन्फॉर्मेशन शेयर करने से पहले सोच-समझ लें या पता कर लें कि आपकी उस इन्फॉर्मेशन को किस तरह इस्तेमाल किया जाएगा।
  • जब तक जरूरी न हो, तब तक अपनी डेट ऑफ बर्थ और ईमेल ID किसी भी फॉर्म में न भरें।
  • होटल में रूम बुक करने से पहले उसकी क्रेडिबिलिटी यानी विश्‍वसनीयता के बारे में जानकारी इकट्ठा कर लें।
  • मॉल या किसी शोरुम के चेंजिंग रूम में कपड़े बदलते वक्त या फिर पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करते वक्त देख लें कि वहां कैमरा तो नहीं है।

सवाल- सारी बातों का ख्याल रखने के बावजूद अगर कोई आपकी फोटो या वीडियो वायरल कर दे, तो क्या करें?
जवाब- 
इन 5 स्टेप्स को फॉलो करें-

  • अक्सर लोग डर जाते हैं और आत्महत्या की कोशिश करते हैं, ऐसा न करें
  • परिवार को पूरी बात बताएं, वो गुस्सा करेंगे, लेकिन वही मदद भी करेंगे
  • वायरल वीडियो या फोटो का स्क्रीनशॉट जरूर लें या उसे सेव कर लें
  • किसी सोशल मीडिया साइट पर आपको टैग किया गया है, तो खुद को अनटैग करें
  • पर्टिकुलर वेबसाइट पर जाकर वीडियो या फोटो डिलीट करने के लिए कम्प्लेन करें

सवाल- कई बार किसी व्यक्ति की वजह से नहीं बल्कि सरकारी नियम को लेकर ऐसा लगता है कि इससे हमारी राइट टु प्राइवेसी का उल्लंघन हो रहा है, तो क्या कर सकते हैं?
जवाब-
 ऐसे मामलों को लेकर आप भारतीय संविधान की धारा 226 के तहत हाइकोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं। या फिर डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट में भारतीय संविधान की धारा 32 के तहत भी चैलेंज कर सकते हैं।

सवाल- अगर कोई प्राइवेट कंपनी आपके राइट टु प्राइवेसी यानी निजता के अधिकार का उल्लंघन करे, तो आप क्या कर सकते हैं?
जवाब- 
इस सिचुएशन में आप डैमेजेस यानी मेंटली, फिजिकली और फाइनेंशियली होने वाले निजी नुकसान के लिए क्लेम कर सकते हैं।

सवाल- अगर कोई इंसान आपकी प्राइवेसी में दखल दे, तो उसे क्या सजा हो सकती है?
जवाब- 
भारतीय संविधान में प्राइवेसी का उल्लंघन करने पर, इसे दंडनीय अपराध नहीं माना गया है। हालांकि अगर कोई आपकी मर्जी के बगैर आपकी फोटो पब्लिश करे, इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सर्कुलेट करे, नहाते या कपड़े चेंज करते वक्त वीडियो बनाकर वायरल कर दे, तो IT एक्ट की धारा 66ई के तहत उसे 3 साल तक की जेल या फिर 2 लाख से लेकर 10 लाख तक का जुर्माना या फिर दोनों ही हो सकते हैं।

सवाल- सोशल मीडिया के इस जमाने में, हम अपनी प्राइवेसी को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं? कुछ टिप्स दीजिए…
जवाब-

  • सोशल मीडिया पर अपने बारे में बहुत ज्यादा जानकारी शेयर न करें।
  • कुछ भी शेयर करने से पहले ध्यान रखें कि आपकी चीजों को अजनबी भी देख रहे हैं, जिनमें से किसी का भी मकसद लोगों को फंसाना हो सकता है।
  • अपनी कोई भी प्राइवेट जानकारी पब्लिक स्टोरेज में न रखें, जैसे- अकाउंट पासवर्ड्स, डॉक्युमेंट्स के स्कैन, ये सारी चीजें गूगल डॉक्स या ड्रॉप बॉक्स में न रखें।
  • जरूरी हो, तब ही अपनी ईमेल ID और फोन नंबर शेयर करें, वरना स्पैम ईमेल्स और प्रमोशनल फोन कॉल्स आपको परेशान कर देंगे।
  • पासवर्ड्स स्ट्रॉन्ग और बड़े रखें, ताकि आसानी से कोई इन्हें हैक न कर सके। कोशिश करें 12 कैरेक्टर का पासवर्ड बनाएं, जिसमें नंबर्स और स्पेशल कैरेक्टर्स भी हों।
  • बहुत-से ऐप किसी भी तरह से परमिशन मांगते हैं, जिससे वो आपकी लोकेशन, मीडिया और कैमरे जैसी चीजों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर सकें। ऐसे में सभी ऐप्स को परमिशन न दें।
  • बहुत से लोग स्क्रीन लॉक करने के लिए पासवर्ड्स रखते हैं, लेकिन नोटिफिकेशन लॉक नहीं करते, जिससे कोई भी आते-जाते आपके नोटिफिकेशन्स देख सकता है। सेटिंग्स में जाकर इसे डिसेबल करें।

चलते-चलते
ऊपर इस बात का जिक्र किया गया है कि राइट टु प्राइवेसी को सुप्रीम कोर्ट ने आम लोगों का मौलिक अधिकार माना है, भारतीय संविधान में आम लोगों के लिए कितने मौलिक अधिकार हैं?

6 तरह के मौलिक अधिकार हैं-

  • राइट टु इक्वेलिटी (आर्टिकल 14 से 18)
  • राइट टु फ्रीडम ( आर्टिकल 19 से 22)- इसी में आर्टिकल 21 है, जिसमें राइट टु लाइफ है और राइट टु लाइफ में ही राइट टु प्राइवेसी भी है।
  • राइट अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन यानी शोषण के विरुद्ध अधिकार (आर्टिकल 23 और 24)
  • राइट टु फ्रीडम ऑफ रिलीजन यानी धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (आर्टिकल 24 से 28)
  • संस्कृति और शिक्षा का अधिकार (आर्टिकल 29 और 30)
  • राइट टु कॉन्स्टिट्यूशन रेमेडी यानी संवैधानिक उपचारों का अधिकार (आर्टिकल 32)

मौलिक अधिकार का उल्लंघन होने पर क्या हम सीधे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं?

जी बिल्कुल, भारतीय संविधान के आर्टिकल 32 के तहत ऐसी सिचुएशन में पीड़ित हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट डायरेक्ट जा सकते हैं। संविधान के आर्टिकल 226 (आर्टिकल 26 में ये मौलिक अधिकार नहीं है) के तहत पीड़ित हाईकोर्ट में गुहार लगा सकते हैं।

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