ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने का मामला, जस्टिस एस के कौल ने खुद को सुनवाई से किया अलग

सरकार ने गुरुवार को भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी मिश्रा को तीसरी बार एक साल का नया विस्तार दिया। सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि 1984 बैच के आईआरएस अधिकारी 18 नवंबर, 2023 तक पद पर रहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस के कौल ने शुक्रवार को ईडी निदेशक के लिए पांच साल तक के विस्तार की अनुमति देने वाले संशोधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। हालांकि न्यायाधीश ने अदालत में घोषित अपने फैसले के लिए कोई कारण नहीं बताया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल स्पष्ट कर दिया था कि मिश्रा को और विस्तार नहीं दिया जाएगा। जस्टिस कौल और ए एस ओका की पीठ प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुखों को विस्तार देने के विवादास्पद मुद्दे पर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही थी।

सीजेआई के समक्ष रखने की अपील  
जस्टिस कौल ने आदेश दिया कि मामले की उस बेंच द्वारा सुनवाई की जाए जिसमें वह शामिल न हों। याचिकाकर्ता की ओर से पेस हुए वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने बेंच को बताया कि केंद्र ने संजय कुमार मिश्रा को एक साल का कार्यकाल विस्तार दे दिया जबकि मामला अदालत में लंबित है। इस पर बेंच ने कहा कि चूंकि एक पक्षकार के वकील ने मामले पर तात्कालिकता दिखाई है, इसे सीजेआई के समक्ष रखा जाए।

एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, केंद्र सरकार ने गुरुवार को भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी मिश्रा को तीसरी बार एक साल का नया विस्तार दिया। सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि 1984 बैच के आईआरएस अधिकारी 18 नवंबर, 2023 तक पद पर रहेंगे। 62 वर्षीय मिश्रा को पहली बार 19 नवंबर, 2018 को दो साल के लिए ईडी का निदेशक नियुक्त किया गया था। बाद में नवंबर के एक आदेश द्वारा 13, 2020 को केंद्र सरकार ने नियुक्ति पत्र को संशोधित किया और उनके दो साल के कार्यकाल को बदलकर तीन साल कर दिया गया।

कोटा बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के फैसले को रद्द करने पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर जवाब मांगा, जिसमें राज्य सरकार के 2012 के सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में कोटा बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के फैसले को रद्द कर दिया गया था। जस्टिस बी आर गवई और विक्रम नाथ की पीठ ने हाई कोर्ट के 19 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी को नोटिस जारी किया।

राज्य सरकार ने अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में तर्क दिया कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मामले के तथ्यों और दिए गए आंकड़ों की जांच किए बिना आदेश पारित किया। हाई कोर्ट ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में कोटा बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के राज्य सरकार के 2012 के फैसले को खारिज कर दिया था और कहा था कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है। 2012 में आरक्षण नियमों में संशोधन के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था।

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