इंदौर । सरकारी अस्पताल के डाक्टरों के पास हर वो संसाधन और उपकरण उपलब्ध है जो ओपीडी में मरीजों को देखने के लिए जरूरी होता है, बावजूद इसके वे ओपीडी में नहीं पहुंचते। मरीजों को देखने के एवज में सरकार उन्हें मोटी तनख्वाह भी देती है लेकिन डाक्टर हैं कि मानने को तैयार नहीं। गुरुवार को ………की टीम ने सुबह नौ से दस बजे के बीच शहर के विभिन्न अस्पतालों की ओपीडी का जायजा लिया और पाया कि 90 प्रतिशत डाक्टर समय पर अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं। कागजों पर अस्पतालों की ओपीडी भले ही सुबह नौ बजे से शुरू हो जाती हो लेकिन वास्तविकता यह है कि डाक्टर सुबह 10 बजे तक भी नहीं पहुंचते। डाक्टरों के इंतजार में परेशान हो रहे मरीज सरकारी सिस्टम को कोसते रहते हैं। ये वो ही डाक्टर हैं जिन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई पूरी करने के बाद शपथ ली थी कि मानवता की सेवा में वे अपने आपको समर्पित कर देंगे, लेकिन सरकारी अस्पतालों में कतार में लगे मरीजों को देखने के बावजूद इनकी मानवता नहीं जागती। ऐसे में सवाल उठता है कि हालात सुधरेंगे तो कैसे?

एमवाय अस्पताल की ओपीडी पूरी तरह से जूनियर डाक्टरों के भरोसे है। गुरुवार सुबह सुबह 10 बजे तक इक्का-दुक्का सीनियर डाक्टर ही पहुंचे थे। ज्यादातर विभागों में जूनियर डाक्टर ही मरीजों को देख रहे थे। पर्ची काउंटर भले ही सुबह 9 बजे शुरू हो लेकिन अस्पताल की ओपीडी में मरीजों का इलाज सुबह 9.30 के बाद ही शुरू होता है। बायोमीट्रिक मशीन लगने के बावजूद डाक्टरों की लेटलतीफी जारी है। कोई सीनियर डाक्टर ओपीडी में नहीं पहुंचते। ज्यादातर डाक्टर ओपीडी से पहले निजी अस्पतालों में भर्ती अपने मरीजों को देखने जाते हैं। ओपीडी में समय पर आना उनके लिए संभव नहीं।

जिला अस्पताल : खुद 10.30 बजे पहुंचे सिविल सर्जन

कलेक्टर डा. इलैयाराजा टी के दौरे के बावजूद जिला अस्पताल के हालात नहीं सुध्ारे। एकमात्र गायनेकोलाजिस्ट डा. मयंक सोनी 10.15 बजे बाद पहुंचे। वे निश्चिंत इसलिए हैं क्योंकि सिविल सर्जन खुद 10.30 बजे आते हैं। कहने को तो यहां डेढ़ दर्जन से ज्यादा चिकित्सकों की ड्यूटी है बावजूद इसके मरीज कर्मचारियों, नर्सिंग स्टाफ के भरोसे हैं। सुबह 9.15 बजे भी सोनोग्राफी शुरू नहीं हुई थी। सोनोग्राफी-एक्स रे के लिए पहुंची महिलाएं परेशान हो रही थीं। मेडिसिन विभाग की ओपीडी में डा.सतीश नीमा सुबह 9.25 पर आए। गायनिक विभाग में दो दर्जन से ज्यादा गर्भवतियां डाक्टर के इंतजार में परेशान थीं।naidunia

मानसिक चिकित्सालय : 10 बजे बाद ही पहुंचते हैं डाक्टर

बाणगंगा स्थित मानसिक चिकित्सालय में सुबह 10 बजे तक भी ओपीडी शुरू नहीं हो पाई थी। वजह, डाक्टर ही नहीं पहुंचे। टेली मानस सेल के डाक्टर ने मरीजों को कसरत करवाना शुरू कर दिया। सुबह 10 बजे ओपीडी शुरू हो सकी। अस्पताल के वरिष्ठ डाक्टर भी ओपीडी में समय पर नहीं पहुंचते। मानसिक चिकित्सालय के अधीक्षक डा.वीएस पाल के मुताबिक ओपीडी समय पर ही शुरू होती है। फलहाल अवकाश पर हूं। आने पर पता करूंगा कि ओपीडी समय पर शुरू क्यों नहीं हुई। सीनियर डाक्टरों की एमवाय अस्पताल में भी ड्यूटी रहती है, लेकिन नईदुनिया की टीम को पता चला कि वे वहां भी नहीं पहुंचे हैं।

बीमा अस्पताल : ओपीडी इंचार्ज कक्ष में नहीं

नंदानगर स्थित राज्य कर्मचारी बीमा निगम (ईएसआइसी) अस्पताल में डाक्टर से परामर्श लेने के लिए मरीज और उनके स्वजन को खासी मशक्कत करना पड़ती है। ओपीडी का निर्ध्ाारित समय सुबह 9 से शाम 4 बजे तक है, लेकिन अधिकांश डाक्टर यहां निर्धारित समय से 20 से 25 मिनट देरी से पहुंचते हैं। सुबह 9.20 पर स्त्रीरोग विभाग के बाहर बड़ी संख्या में महिलाएं खड़ी थीं। सोनोग्राफी कक्ष में भी सुबह 9.30 बजे तक कोई नहीं था। एक्स-रे विभाग में भी 9.30 बजे तक कोई नहीं था। मेडिसिन विभाग के बाहर भी लंबी कतार लगी थी। सुबह 9.30 बजे तक ओपीडी इंचार्ज के कक्ष में भी कोई नहीं था। पूछा तो बताया गया कि मैडम राउंड पर हैं।

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अरण्य नगर : साढ़े 10 बजे तक नहीं खुला पर्ची काउंटर

स्कीम 78, विजय नगर और आसपास के हजारों परिवार शासकीय चिकित्सालय स्कीम 78 पर निर्भर हैं। कागजों पर यह अस्पताल सुबह 9 बजे शुरू हो जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि जिस खिड़की पर पर्ची बनती है वह 10.30 बजे तक नहीं खुली। अस्पताल में तीन डाक्टरों की ड्यूटी है लेकिन सुबह 10.30 बजे तक एक ही डाक्टर उपस्थित थीं। इंचार्ज डा. रूपाली जोशी का कमरा भी बंद मिला। नईदुनिया की टीम ने डा. जोशी से फोन पर बताया कि परिवार में शादी है। तीन दिन की छूट्टी पर हूं। यह पूछने पर कि पर्ची खिड़की क्यों नहीं खुली तो उन्होंने कहा कि कल से ही पर्ची खिड़की समय पर खोलने के लिए कहा जाएगा। आगे से देरी नहीं होगी।

शासकीय कैंसर अस्पताल : मनमर्जी से आते हैं डाक्टर

शासकीय कैंसर अस्पताल में डाक्टर मनमर्जी से आते हैं। सुबह ओपीडी के समय से पहले ही मरीज आना शुरू हो जाते हैं लेकिन डाक्टरों के आने का कोई समय नहीं है। अस्पताल में मरीजों के रजिस्ट्रेशन के लिए बनाया गया काउंटर भी सुबह 9 के बजाय 9.30 के बाद ही शुरू होता हैं। सुबह 9 बजे अस्पताल में एक भी डाक्टर मौजूद नहीं था। 10 बजे बाद डाक्टरों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। कैंसर के मरीज डाक्टरों का इंतजार करते हुए परेशान हो रहे थे। डाक्टरों की लेटलतीफी इंदौर के बाहर से आए मरीजों के लिए अधिक कष्टप्रद थी। सुबह 10 बजे तक भी इलाज शुरू नहीं हो सका था। मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही थी।

प्रा. स्वास्थ्य केंद्र एमओजी : सुबह 10.30 के बाद ओपीडी

समाजवादी इंदिरा नगर स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुबह 9 बजे सफाइकर्मी के अलावा और कोई नजर नहीं आया। डाक्टर की कुर्सियां खाली नजर आई। बोर्ड पर ओपीडी का समय सुबह 9 से शाम 4 बजे तक लिखा हुआ है। 10.30 बजे एक डाक्टर आए, इसके बाद धीरे-धीरे अन्य डाक्टर आने लगे। प्रभारी डा. मधु व्यास खुद 11 बजे बाद आई। डाक्टरों के देरी से आने के संबंध में प्रभारी से बात कि तो कहा कि सुबह साफसफाई होती है। इस वजह से सभी देरी से आते हैं। सुबह-सुबह मरीज भी नहीं रहते हैं। मरीजों ने बताया कि डाक्टर रोजाना ही देरी से आते हैं। इस वजह से हम भी सुबह 11 बजे बाद ही अस्पताल आते हैं।

पीसी सेठी अस्पताल : सुबह 9 बजे इलाज शुरू

अस्पताल में सुबह 8 बजे से ही महिलाओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। 8.45 बजे पर्ची बनाने के साथ महिलाओं को पहली मंजिल पर भेजना शुरू हो जाता है। गुरुवार सुबह अस्पताल प्रभारी डा. निखिल ओझा कक्ष में मिले। ऊपरी मंजिल पर डाक्टर मरीजों का उपचार करती मिलीं। यहां पूरे फ्लोर पर विभिन्ना विभाग बने हैं। यहीं पर पहली बार दिखाने आने वाले मरीजों का पंजीयन भी किया जा रहा था। प्रभारी डा.ओझा का कहना है कि यहां पर 28 डाक्टर हैं। यहां के डाक्टर जरूरत पड़ने पर शहर के अन्य अस्पतालों में भी सेवा देने जाते हैं। मरीजों को देखने के लिए राउंड पर भी रहते हैं। कोशिश करते हैं कि मरीजों को इंतजार नहीं करना पड़े।

एमटीएच : तय समय से आधे घंटे बाद पहुंचीं वरिष्ठ डाक्टर

एमटीएच अस्पताल की ओपीडी में मरीज तो तय समय पर पहुंच जाते हैं लेकिन डाक्टर अपने हिसाब से ही आते हैं। सुबह 9 बजे ओपीडी में कोई सीनियर डाक्टर मौजूद नहीं थे। गुरुवार को ओपीडी में जिन चार चिकित्सकों को ड्यूटी थी वे भी तय समय से आधे घंटे देरी से पहुंचीं। डाक्टरों से जब देरी की वजह पूछी तो किसी ने बताया कि वे रेफर रिसीविंग रूम में थीं तो किसी ने कहा कि हम लेबर रूम में थे। अस्पताल के प्रभारी डा. नीलेश दलाल खुद सुबह 9.15 बजे पहुंचे। उन्होंने कर्मचारी से बोलकर अपने कक्ष के दरवाजे को बाहर से बंद करवा दिया। पूछने पर बताया कि कर्मचारी सुबह-सुबह छुट्टी लेने आ जाते हैं इसलिए दरवाजा बंद करवा लेता हूं।

मांगीलाल चूरिया अस्पताल : नर्सिंग स्टाफ के भरोसे मरीज

आंबेडकर नगर स्थित मांगीलाल चूरिया अस्पताल में सुबह के वक्त कोई डाक्टर नहीं मिला। यह क्षेत्र श्रमिक क्षेत्र और बस्तियों के नजदीक है। …….की टीम गुरुवार सुबह अस्पताल में पहुंची तो नर्सिंग स्टाफ ही लक्षणों के आधार पर मरीजों को दवाई दे रहा था। पूछने पर बताया कि डाक्टर कुछ ही देर में आएंगे। कागजों पर भले ही ओपीडी सुबह 9 बजे शुरू हो जाती है लेकिन वास्तविकता इससे दूर है। नईदुनिया की टीम अस्पताल पहुंची तो मरीज कतार में लगे मिले, लेकिन डाक्टर नहीं थे। 9.30 बजे बाद कर्मचारियोंडाक्टरों के आने का सिलसिला शुरू हुआ।