मध्य प्रदेश में स्टार्टअप का दौर, अव्वल है हमारा इंदौर शहर
मध्य प्रदेश में बीते तीन वर्षों के दौरान स्टार्टअप की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 2018 तक करीब 1700 स्टार्टअप हुआ करते थे, जो अब बढ़कर 2500 से ज्यादा हो गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1400 स्टार्टअप इंदौर में हैं।
इंदौर। मध्य प्रदेश में बीते तीन वर्षों के दौरान स्टार्टअप की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 2018 तक करीब 1700 स्टार्टअप हुआ करते थे, जो अब बढ़कर 2500 से ज्यादा हो गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1400 स्टार्टअप इंदौर में हैं। जबलपुर और ग्वालियर में भी स्टार्टअप 400 से ज्यादा हो गए हैं। प्रदेश में स्टार्टअप के लिए इकोसिस्टम को बढ़ावा देने की कोशिश में कई तरह के प्रमोशन किए जा रहे हैं। स्टार्टअप नीति भी तैयार हुई है। इंदौर में स्टार्टअप की तेजी से बढ़ रही संख्या के पीछे सबसे बड़ा कारण इंदौर का माहौल और यहां उपलब्ध सुविधाएं हैं। बीते तीन वर्षों में यहां इंक्यूबेशन सेंटर की संख्या में इजाफा हुआ है।
इसे देखते हुए प्रदेश के साथ बाहर के स्टार्टअप भी इंदौर में स्थापित होने लगे हैं। बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों के मुकाबले यहां 30 से 40 प्रतिशत कम किराए में दफ्तर मिल रहे हैं। कई नई कार्पोरेट बिल्डिंग तैयार हो गई हैं। विजय नगर से लेकर देवास नाका तक के बीआरटीएस के दोनों और कई कार्पोरेट बिल्डिंगों में स्टार्टअप और आइटी कंपनियां जगह ले चुकी हैं। कुछ बिल्डिंग तैयार होने के पहले ही किराए के लिए बुक हो गई हैं। इन्वेस्ट इंदौर के सचिव सावन लड्ढा का कहना है कि यहां चार लोगों से लेकर एक हजार कर्मचारियों के हिसाब से दफ्तर मौजूद हैं। स्टार्टअप को दफ्तर के साथ कंप्यूटर, इंटरनेट, कांफ्रेंस हाल और अन्य सुविधाएं भी तैयार करके दिए जा रहे हैं। दस हजार से पांच लाख रुपये महीने तक के दफ्तर शहर में मौजूद हैं।
मध्य प्रदेश सरकार लगातार ऐसे व्यवसाय की तलाश कर रही है, जो स्टार्टअप की श्रेणी में आते हैं। इनमें घर से किए जाने वाले कई व्यवसाय चिह्नित हुए हैं। घरों में पापड़, अचार, नमकीन, अगरबत्ती, खिलौने, चूड़ियां और अन्य सामग्री तैयार करने वाली महिलाओं के संगठन को स्टार्टअप इंडिया से जोड़ा जा रहा है। इससे प्रदेश सरकार के पास स्टार्टअप के कई नए डाटा एकत्रित हुए हैं। इसे देखते हुए प्रदेश की स्टार्टअप नीति में भी बदलाव किए जा रहे हैं। लड्ढा का कहना है कि स्टार्टअप नीति को लचीला रखा गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जिस तेजी से प्रदेश में नए तरह के स्टार्टअप खुल रहे हैं, उनसे नए साधन और संसाधनों की जरूरत महसूस होती है।
इंदौर आंत्रप्रेन्योर नेटवर्क के अतुल भरत का कहना है कि नेसकाम की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर वर्ष 10 प्रतिशत की दर से स्टार्टअप की संख्या बढ़ रही है। देश में इस समय सौ से ज्यादा यूनिकार्न कंपनियां हो गई हैं। यूनिकार्न का मतलब है सात हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कंपनियां। इनमें ज्यादातर वे स्टार्टअप शामिल हैं, जो बहुत छोटे स्तर पर शुरू हुए थे। 2021में देश में 44 स्टार्टअप यूनिकार्न बने थे, वहीं 2022 में 85 से ज्यादा बने हैं। इंदौर से एक स्टार्टअप यूनिकार्न बन चुका है।
इन्हें मिला सम्मान
इंदौर के स्टार्टअप तेजी से अपनी जगह बनाते जा रहे हैं। बीते दिनों टीआइई मध्य प्रदेश चेप्टर द्वारा इंदौर के प्रमुख स्टार्टअप के संस्थापकों, संचालकों को सम्मानित किया गया। इनमें ग्रामोफोन, एटम लैब्स, क्लास मानिटर, बीमा कवच टेक्नोलाजी, फिंगपे, कार्रग्रीन, स्टेज, शाप किराना आदि शामिल हैं।
सफल कहानी 1 : इंदौर के ‘वायु ने तैयार कर दिया प्राकृतिक एयर कंडीशनर
दुनियाभर में ग्रीन एनर्जी को लेकर कार्य हो रहा है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए भारत सहित सभी देश कम से कम ऊर्जा का उपयोग करने पर जोर दे रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रख इंदौर के एक स्टार्टअप ने ऐसा उत्पाद तैयार किया है, जिसमें 80 फीसदी तक बिजली बच रही है। इंदौर के स्टार्टअप ‘वायु ने प्राकृतिक एयर कंडीशनर (एसी) तैयार किया है, जिसकी मांग अब देश ही नहीं, विदेश में भी होने लगी है। हाल ही में नाइजीरिया से स्टार्टअप को 45 लाख रुपये के आर्डर मिले। कतर में हो रहे फीफा विश्व कप में भी इंदौर में तैयार हुए एयर कंडीशनर लगाए गए हैं। फीफा विश्व कप के अंदर बने कैफेटेरिया पूरी तरह स्टार्टअप वायु के एयर कंडीशनर से वातानुकूलित हो रहे हैं। वायु के संस्थापक डा. प्रियंका मोक्षमार और प्रणव मोक्षमार ने अत्यंत कम बिजली में संचालित होने वाले एसी तैयार करने के बाद इसका पेटेंट भी अपने नाम करवा लिया है। कुछ महीने पहले उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआइआइटी) और स्टार्टअप इंडिया द्वारा आयोजित कार्यक्रम में इस शानदार उत्पाद की जानकारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी दी जा चुकी है।
सफल कहानी 2 : 500 कंपनियों में अव्वल
इंदौर से संचालित होने वाला शाप किराना स्टार्टअप भी धूम मचा रहा है। इसकी शुरुआत तीन दोस्तों दीपक धनोतिया, तनुतेजस सारस्वत और सुमित घोरावत ने 2015 में की थी। पहले ही वर्ष में स्टार्टअप का टर्नओवर करीब दो करोड़ रुपये था। इसकी सफलता देखते हुए अमेरिका की बैटर कैपिटल, जापान की इन्क्यूबेट फंड और नौकरी डाट काम ने 14 करोड़ की फंडिंग दी है। इसके अलावा अन्य कंपनियों से स्टार्टअप को करोड़ों रुपये की फंडिंग के आफर हैं। इंदौर के बाद जयपुर, सूरत, वड़ोदरा व अन्य शहरों में भी शाप किराना की शुरुआत हो चुकी है। स्टार्टअप को कुछ महीने पहले फोर्ब्स इंडिया मैग्जीन ने टाप बेबीकार्न कंपनियों में शामिल किया। देश की 500 कंपनियों के बीच इस स्टार्टअप ने पहला स्थान बनाया था।
सफल कहानी 3 : बना रहे सस्ती ईव
आइआइटी इंदौर के अविनाश सिंह कुशवाह और चेतन सिंह कुशवाह ने इलेक्ट्रिक वाहन संबंधी स्टार्टअप बनाया है। मेक इन इंडिया की अवधारणा पर वाहन का 90 प्रतिशत काम संस्थान में ही किया गया। लिथियम मंगवाकर बैटरी यहीं असेंबल की गई, मोटर का निर्माण भी आइआइटी इंदौर में ही किया। यहां के शोधार्थी और विज्ञानी दो साल से इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं। तकनीक को बेहतर करने में जापान के विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। वाहनों के कन्वर्टर और अन्य उपकरण पर खास फोकस किया जा रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन में काम आने वाले इलेक्ट्रान मैग्निट्यूड ट्रांजिस्टर तैयार करने के लिए भी संस्थान को पेटेंट प्राप्त हो चुका है। इससे विदेश पर निर्भरता कम हो गई है। इनसे वाहन की गुणवत्ता बेहतर होगी।