इंदौर,  मेडिकल कालेजों के अस्पतालों में डाक्टरों के ओपीडी में समय पर नहीं पहुंचने के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि इन डाक्टरों को इंदौर से बाहर ट्रांसफर किए जाने का भय ही नहीं रहता। दरअसल, एमजीएम मेडिकल कालेज एक स्वशासी संस्था है। नियमानुसार स्वशासी संस्था के डाक्टरों को शहर से बाहर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। इस नियम का फायदा उठाकर कालेज के शिक्षक (डाक्टर) सालों साल इंदौर में बने रहते हैं। वे समय पर ओपीडी में पहुंचने के बजाय सुबह निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को देखने निकल जाते हैं। नियमानुसार सिर्फ वे ही डाक्टर निजी अस्पतालों में मरीजों को देख सकते हैं जो नान प्रैक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) नहीं लेते हैं, लेकिन यह जानकारी भी सामने आई है कि कई डाक्टर ऐसे भी हैं जो एनपीए लेने के बावजूद निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे हैं।
 ……की टीम गुरुवार सुबह 9 से 10 बजे के बीच शहर के कई अस्पतालों की सेहत जांचने मैदान में उतरी थी। पता चला कि एमवाय अस्पताल, शासकीय कैंसर अस्पताल, एमटीएच अस्पताल सहित ज्यादातर अस्पतालों में डाक्टर समय पर नहीं पहुंचते हैं। इस संबंध में जब नईदुनिया ने मेडिकल कालेज के डीन से चर्चा की तो पता चला कि मेडिकल कालेज स्वशासी होने की वजह से लापरवाही साबित होने के बावजूद डाक्टरों को शहर के बाहर नहीं ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
वर्ष 1997 में बना स्वशासी
एमजीएम मेडिकल कालेज 1997 से स्वशासी संस्था के रूप में काम कर रहा है। उस वक्त कालेज के शिक्षकों से कहा गया था कि वे स्वशासी संस्था और शासन दोनों में से किसी एक विकल्प को चुन सकते हैं। ज्यादातर शिक्षकों ने स्वशासी संस्था का विकल्प चुना था, क्योंकि स्वशासी संस्था के डाक्टरों को शहर के बाहर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि इंदौर के एमजीएम मेडिकल कालेज के डाक्टरों के ट्रांसफर इंदौर से इंदौर में ही होते हैं। कालेज में नए शिक्षकों की नियुक्ति भी स्वशासी संस्था के अंतर्गत ही की जा रही है।
जिन डाक्टरों की नियुक्ति स्वशासी संस्था के तहत है, उन्हें शहर से बाहर नियुक्त नहीं किया जा सकता। एमजीएम मेडिकल कालेज में गिनती के डाक्टर हैं जो शासन के अंतर्गत हैं, स्वशासी संस्था में नहीं।
-डा. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कालेज, इंदौर