ग्वालियर । पति-पत्नी के बीच लगातार अविश्वास बढ़ता जा रहा है। यह अविश्वास परिवारों में झगड़े का कारण बन रहे हैं। झगड़े चाहर दीवारी से बाहर आकर कोर्ट तक पहुंचने लगे हैं। यही वजह है कि कुटुंब न्यायालय में पिछले चार साल की तुलना में वर्ष 2022 में ज्यादा केस फाइल हुए हैं। इसमें तलाक व पत्नी-पत्नी को वापस बुलाने के 1570 व भरण पोषण के 870 मामले हैं

वर्ष 2018 से 2022 की स्थिति देखी जाए तो केसों में इजाफा हुआ है। 2020 में थोड़ी कमी आई, क्योंकि कोविड-19 के लाकडाउन के चलते न्यायालय लंबे समय तक बंद रहा था। कुटुंब न्यायालय में पति-पत्नी की काउंसलिंग करने वाले काउंसलरों का मानना है कि सहनशीलता, एक-दूसरे पर अविश्वास व मोबाइल का उपयोग झगड़े का प्रमुख कारण बन रहा है। वर्ष 2016 के पहले कुटुंब न्यायालय में पक्षकारों की संख्या काफी कम थी। एक न्यायाधीश केसों की सुनवाई करते थे। पति-पत्नी के बीच होने वाले झगड़े पंचायतों में नहीं सुलझे तो उन्होंने न्यायालय का सहारा लेना शुरू किया। वर्तमान में ग्वालियर में तीन न्यायाधीश केसों की सुनवाई कर रहे हैं। सिविल केस में तलाक व पति या पत्नी को वापस बुलाने का केस दायर किया जाता है, जबकि क्रिमिनल में भरण पोषण के केस दायर होते हैं। अब सीधे तलाक के मामले अधिक बढ़ गए हैं।

पति-पत्नी के बीच इन कारणों से बढ़ रहे झगड़े

1. पत्नी चाहती है पति उसे बाहर घुमाए, खुलापन प्रदान करे, उसके शौक पूरे करे। इन खर्चो की पूर्ति करने के लिए पति की आय अधिक नहीं होती है। इस कारण पत्नी का पति से झगड़ा होने लगता है।

2. मोबाइल की वजह से पति-पत्नी के बीच अविश्वास बढ़ा है।

3. ससुराल में कोई कुछ कहता है तो पत्नी अपनी मां को फोन करना शुरू कर देती हैं। वह सही जानकारी नहीं देती हैं। माता-पिता का हस्तक्षेप बढ़ने पर परिवारों के बीच झगड़े हो जाते हैं।

4. संयुक्त परिवार होने पर खाना बनाने को लेकर परिवारों में अधिक विवाद हैं। घरेलू काम करना नहीं चाहती हैं।

5. छोटी-छोटी बातें बड़ी बन रही हैं, पति और पत्नी एक-दूसरे के बारे में भी नहीं सोचते हैं।

(नोट: कुटुंब न्यायालय में काउंसलिंग करने वाले हरीश दीवान व बबीता दीवान ने नईदुनिया को पति-पत्नी के बीच झगड़ों के यह मुख्य कारण बताए।)