महिलाओं में हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ललक …?
ड्राइविंग के प्रति बढ़ रहा है क्रेज, पहली बार 7 हजार ने बनवाए लाइसेंस …
महिलाओं में ड्राइविंग के प्रति क्रेज बढ़ रहा है। इसी का परिणाम है कि पहली बार शहर की महिलाओं में सबसे ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन किया है। इसका एक कारण यह भी कि महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं। वह काम के लिए किसी दूसरे के भरोसे नहीं रहना चाहती हैं। इसलिए पिछले चार वर्षों की तुलना में इस साल दो पहिया और चार पहिया वाहन चलाने के लिए महिलाओं ने सबसे ज्यादा आवेदन किया है। परिवहन विभाग के मुताबिक इस वर्ष परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए लड़कियों और महिलाओं के रिकॉर्ड तोड़ आवेदन आए हैं।
खास बात यह है कि चार वर्ष पहले जहां मात्र 1700 महिलाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किए थे। वहीं इस वर्ष यह आवेदन बढ़कर चार गुना हो गया है। यानि इस बार महिलाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 7 हजार से अधिक आवेदन किए हैं। यह स्थिति तब है जब वित्तीय वर्ष खत्म होने में अभी पूरे तीन माह शेष हैं। विभाग के मुताबिक यदि इसी हिसाब से महिलाओं ने डीएल के लिए आवेदन किया तो यह संख्या एक रिकॉर्ड हो जाएगी।
महिलाओं को ट्रैफिक रूल्स की पूरी जानकारी, 85 फीसदी टेस्ट में होती हैं पास
सूत्रों की मानें तो महिलाओं को डीएल के लिए टेस्ट देना होता है। जिसमें उनसे यातायात नियमों संबंधित सवाल पूछे जाते हैं। जिन्हें उन्हें पास करना होता है। इसके लिए महिलाएं बेहतर ढंग से स्टडी करके आती हैं। उन्हें यातायात नियमों की पूरी जानकारी है। यही वजह है कि जब उनसे टेस्ट लिया जाता है। इनमें 85 फीसदी टेस्ट में पास होती है। जिससे उनके ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में कोई परेशानी नहीं आती और उन्हें लाइसेंस बनाकर दे दिया जाता है। यही वजह है कि यातायात नियमों को लेकर महिलाएं गंभीर है। जिसका फायदा उन्हें वाहन चलाते समय भी मिलता है। इसलिए यह टेस्ट सभी महिलाओं के लिए देना आवश्यक है। इसके अलावा महिलाओं से टेस्ट ड्राइव भी ली जाती है। हालांकि आरटीओ परिसर में अभी टेस्ट ड्राइव के लिए ड्राइविंग ट्रैक नहीं बना है।
इसलिए बढ़ रहा वाहन चलाने का ट्रेंड
महिला बाल विकास के संयुक्त संचालक सुरेश तोमर ने बताया कि सेफ टूरिज्म की शुरूआत महिला बाल विकास ने एमपी टूरिज्म के साथ मिलकर सार्थक पहल की थी। जिसके चलते महिलाओं को सेफ रहने से लेकर सेफ व्हीकल राइडिंग की भी ट्रेनिंग दी गई थी। जिस वजह से महिलाओं में वाहन चलाने को लेकर जागरूकता बढ़ी है। अब वह सेफ ड्राइविंग के लिए ड्राइवर को हायर करने के बजाय खुद ही वाहन चलाना ज्यादा पसंद कर रही हैं। जिससे वह पूरी तरह से सुरक्षित रह सकें।
यह भी एक कारण
शहर में कई महिलाएं प्राइवेट और गवर्नमेंट सेक्टर में काम कर रही हैं, उन्हें वाहन की आवश्यकता होती है। लेकिन पहले लाइसेंस बनवाने के लिए जटिल प्रक्रिया थी, जिस कारण अधिकांश महिलाएं डीएल नहीं बनवाती थी, लेकिन जब से विभाग ने लाइसेंस की प्रक्रिया को आसान किया है तब से इनकी संख्या बढ़ने लगी है।
महिलाओं को ट्रेनिंग देने अभियान चलाएंगे
“पिंक लाइसेंस बनवाने के बाद महिलाओं में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए जागरूकता बढ़ी है। इसलिए इस बार 7 हजार से अधिक आवेदन आए हैं। अब विभाग की ओर से सालभर तक महिलाओं को ट्रेनिंग देने के लिए अभियान चलाया जाएगा। जिससे अगले वर्ष तक 15 हजार तक महिलाओं के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लक्ष्य को पार किया जा सके। यदि महिलाएं सशक्त होंगी, तो निश्चित ही विभाग की भूमिका सफल हो जाएगी।”
आरटीओ ग्वालियर